भागलपुर: पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सह विधायक अश्विनी कुमार चौबे ने उत्तराखंड त्रसदी पर केंद्र सरकार से श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है. सोमवार को पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में श्री चौबे ने कहा कि वे उत्तराखंड त्रसदी के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए पीड़ितों परिवारों व धर्माचार्यो के साथ 12 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एकदिवसीय अनशन करेंगे. इस अनशन व धरना में देश के विभिन्न शंकराचार्यो व महामंडलेश्वर भी शामिल होंगे.
विधायक श्री चौबे ने कहा कि हाल में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने बयान दिया है कि करीब दो लाख तीर्थयात्री केदारनाथ की यात्रा पर गये थे और सरकार ने एक लाख 10 हजार यात्रियों को रेसक्यू ऑपरेशन में बचाया है. उन्होंने सवाल उठाया कि यदि वहां के सरकार की ही बात मानी जाये तो शेष यात्री कहां हैं. हादसे में हताहत लोगों की जो सूची जारी की गयी है वह कुछ सौ ही हैं.
इस सूची से उनके साथ गये लापता सात लोगों का नाम भी नहीं है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड त्रसदी के पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा के नाम पर केंद्र व राज्य सरकारें गिरगिट की तरह रंग बदल रही है. श्री चौबे ने कहा कि सैकड़ों परिजन मेल व फोन कर अनशन में शामिल होने के लिए दिल्ली आने की बात कह रहे हैं. पत्रकार वार्ता के दौरान भाजपा के जिला अध्यक्ष नभय चौधरी, महानगर के अध्यक्ष, प्रवक्ता देव कुमार पांडेय आदि भी उपस्थित थे.
सरकार भी बरखास्त हो
श्री चौबे ने कहा कि वह इस संबंध में लगातार बिहार सरकार से भी संपर्क कर रहे थे और वह 16 जून से ही लगातार उनके संपर्क में थे. बावजूद इसके बिहार सरकार ने भी कोई कदम नहीं उठाये. यही नहीं इस आपदा में बिहार के भी हजारों लोग पीड़ित हैं. उनके प्रति भी सरकार गंभीर नहीं है. उल्टे अब एक मंत्री उनके बारे में बयान दे रहे हैं कि वह तो नरभक्षी हैं. यह मानवता पर प्रहार करने वाला बयान है. यह हिंदू धर्मावलंबी व उनकी भावना पर चोट है. ऐसे गैर जिम्मेदाराना बयान देने वाले मंत्री को अविलंब बरखास्त होना चाहिए. उन्होंने बताया कि गया बमकांड के लिए नीतीश सरकार को दोषी ठहराया और सरकार को बरखास्त कर उन पर मुकदमा चलाने की मांग की.