बेटा के मारि देलकै हो बाबू

सड़क दुर्घटना में विष्णु को खो चुके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था. परिजनों व ग्रामीणों का आक्रोश धू-धू कर जलते ट्रक में तब्दील था. अंधेरी सड़क पर आग की रोशनी थी, लेकिन सामने घर का चिराग बुझ चुका था. ट्रिन-ट्रिन करती विष्णु की साइकिल के परखचे उड़ चुके थे. विष्णु साइकिल के हैंडिल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2015 1:03 AM

सड़क दुर्घटना में विष्णु को खो चुके परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था. परिजनों व ग्रामीणों का आक्रोश धू-धू कर जलते ट्रक में तब्दील था. अंधेरी सड़क पर आग की रोशनी थी, लेकिन सामने घर का चिराग बुझ चुका था. ट्रिन-ट्रिन करती विष्णु की साइकिल के परखचे उड़ चुके थे. विष्णु साइकिल के हैंडिल में पॉलीथिन बंधी थी. इसमें घर के लिए कुछ सामान था. सड़क पर साइकिल एक ओर बिखरी पड़ी थी और विष्णु के शव के पास दहाड़ मार कर रोती-चिल्लाती घर की महिलाओं के आंसू नहीं थम रहे थे. ‘मारि देलकै रे, हमरो बेटा के…’ महिलाओं संग घर के बच्चे भी रो रहे थे. कोयला लदा होने के कारण ट्रक धू-धू कर जल रहा था. पुलिस के जवानों व कुछ ग्रामीणों की बालटी से आग बुझाने की कोशिश नाकाम थी. काफी मशक्कत के बाद दमकल आग बुझा पाने में कामयाब हुई.

Next Article

Exit mobile version