प्रशासन व आइएमए के बीच रहे मधुर संबंध

भागलपुर: आइएमए हॉल में रविवार की शाम पहली बार आठ घंटे का (सीएमइ) कंटीन्यूड मेडिकल एजुकेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन प्रमंडलीय आयुक्त आरएल चोंग्थू ने किया. मौके पर आयुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन व आइएमए का आपस में बहुत ही सुंदर सामंजस्य है. जिस तरह से आइएमए प्रशासन के लिए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 23, 2015 9:59 AM
भागलपुर: आइएमए हॉल में रविवार की शाम पहली बार आठ घंटे का (सीएमइ) कंटीन्यूड मेडिकल एजुकेशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन प्रमंडलीय आयुक्त आरएल चोंग्थू ने किया. मौके पर आयुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन व आइएमए का आपस में बहुत ही सुंदर सामंजस्य है. जिस तरह से आइएमए प्रशासन के लिए खड़ा रहता है, उसी तरह से प्रशासन भी आइएमए को पूरी मदद करने को तैयार है.

मंच संचालन सचिव डॉ प्रतिभा सिंह ने किया. उन्होंने बताया कि सेमिनार के माध्यम से चिकित्सकों को दो क्रेडिट प्वाइंट मिलेंगे. इससे वे पांच वर्षो में लाइसेंस नवीकरण कराने के लिए बिहार मेडिकल काउंसिल में जमा करा सकेंगे. सेमिनार में स्वाइन फ्लू, न्यूरो की सजर्री, किडनी, विभिन्न बीमारियों में स्तनपान कराने आदि विषयों पर चिकित्सकों ने व्याख्यान दिया. डॉ आनंद सिन्हा ने स्वाइन फ्लू पर चर्चा किया. कार्यक्रम में अध्यक्ष डॉ एससी झा, डॉ आरएन झा, डॉ एसएन झा, डॉ शंभु शंकर सिंह, डॉ अजय सिंह, डॉ संजय सिंह, डॉ बिहारी लाल, डॉ वसुंधरा लाल, डॉ विनय भगत, डॉ शीला कुमारी, डॉ अर्चना झा, डॉ रोमा यादव, डॉ जयकिशोर ठाकुर, डॉ मणिभूषण, डॉ सीमा सिंह, डॉ खलील अहमद, डॉ अरशद अहमद, डॉ पवन झा, डॉ एसपी सिंह, डॉ आनंद सिन्हा आदि मौजूद थे.

सेमिनार में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ स्वयं प्रकाश ने पार्किसन डिजीज पर बताया कि यह ऐसी बीमारी है, जिसमें दिमाग जो चाहता है शरीर वह नहीं कर पाता है. अगर कोई व्यक्ति अपने हाथ को दाहिनी ओर करता है, तो वह बायीं ओर जाने लगता है. इसके अलावा बीमारी होने पर नींद कम आती है साथ ही उनकी आदत भी बदल जाती है. सेमिनार में डॉ सीएम उपाध्याय, डॉ वीणा सिन्हा, डॉ एचपी दुबे, डॉ ब्रिजकांत, डॉ अविलेश कुमार, डॉ आशीष सिन्हा, कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ ज्वाय सान्याल, डॉ डीके सिंह, डॉ पंकज कुमार, डॉ आरके सिन्हा, डॉ संदीप लाल, डॉ इमराना रहमान, डॉ अर्चना झा, डॉ रोमा यादव, डॉ सुरेश प्रसाद, जेएलएनएमसीएच के प्राचार्य डॉ अजरुन कुमार सिंह, डॉ ऋषि आनंद आदि मौजूद थे.
रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट में मरीजों को हेड इंज्यूरी होने पर तुरंत सिटी स्कैन व गले का एक्सरे कराना आवश्यक होता है. अगर मरीज होश में है तो कम से कम नजदीकी अस्पतालों में पांच दिनों तक चिकित्सक की निगरानी में रखें. अगर वह मरीज डीप कोमा में चला गया है, तो सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में ले जायें ताकि जरूरत पड़ने पर उसकी तुरंत सजर्री की जा सके. न्यूरो के केस में अगर मरीज का प्राथमिक उपचार कर दिया जाये, तो अधिकतर मरीजों की जान बचायी जा सकती है. डॉ प्रसाद ने बताया कि मेजर स्पाइन सजर्री कम खर्च में भी की जा सकती है.
डॉ राहुल प्रसाद
न्यूरो सजर्न, निओटिया हॉस्पिटल, सिलीगुड़ी
आइसीयू में भरती 50 प्रतिशत मरीजों के किडनी फेल व 20 प्रतिशत को डायलीसिस की तुरंत आवश्यकता होती है, जिसमें पांच से 10 प्रतिशत मरीजों के किडनी परमानेंट खराब हो जाते हैं. खास कर सड़क दुर्घटना में बड़ी इंज्यूरी होने पर शरीर का पूरा खून समाप्त होने लगता है. ऐसे में सबसे पहले उसे खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है. इसके अलावा हर्ट, हाइ बीपी, मधुमेह व पेशाब में संक्रमण होने पर किडनी फेल होने की संभावना अचानक बढ़ जाती है.
डॉ राजेश कुमार
नेफ्रोलॉजिस्ट, निओटिया हॉस्पिटल
स्वाइन फ्लू बाकी फ्लू की तरह ही बीमारी है. इसमें डरने की आवश्यकता नहीं है. पांच वर्ष तक के बच्चे व 65 वर्ष के वृद्ध व गर्भवती महिलाओं को परहेज से रहने की आवश्यकता है.
डॉ आनंद सिन्हा

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