चापानल का पानी पीने से चार बच्चे बीमार
नवगछिया: नवगछिया प्रखंड के चक गरैया मध्य विद्यालय में सोमवार को चापानल का पानी पीने से विद्यालय के चार बच्चे बीमार हो गये. बीमार बच्चों को प्रधानाध्यापक प्रमोद प्रसाद ने इलाज के लिए नवगछिया अनुमंडलीय लाया. देर शाम तक बच्चों की हालत सामान्य हुई. बीमार बच्चे गरैया गांव के सौरभ कुमार, श्रवण कुमार, कन्हैया कुमार, […]
नवगछिया: नवगछिया प्रखंड के चक गरैया मध्य विद्यालय में सोमवार को चापानल का पानी पीने से विद्यालय के चार बच्चे बीमार हो गये. बीमार बच्चों को प्रधानाध्यापक प्रमोद प्रसाद ने इलाज के लिए नवगछिया अनुमंडलीय लाया. देर शाम तक बच्चों की हालत सामान्य हुई. बीमार बच्चे गरैया गांव के सौरभ कुमार, श्रवण कुमार, कन्हैया कुमार, पुरुषोत्तम कुमार हैं. चारों के अभिभावक अस्पताल पहुंच चुके थे. डा सुधांशु कुमार ने कहा कि बच्चों की हालत सामान्य है. समान्य परिस्थिति में सभी बच्चे बीमार पड़े थे.
बच्चों ने किसी प्रकार के जहर का सेवन नहीं किया था. उधर इस बात की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में अभिभावक स्कूल पहुंचे और जम कर हंगामा किया. इसके बाद अभिभावक अपने-अपने बच्चों को लेकर घर चले गये. वहीं सूचना पा कर परवत्ता पुलिस और अनुमंडल पदाधिकारी ने स्कूल पहुंच कर मामले की जांच की. फिलहाल स्कूल के चापानल का पानी पीने से बच्चों को मना कर दिया गया है. परवत्ता थाना के थानाध्यक्ष पीके वर्मा ने कहा कि बच्चे किसी दूसरे कारण से बीमार हुए. इधर स्कूल में सिविल सर्जन ने स्कूल में बच्चों की देखरेख के लिए एक एएनएम और एक आशा कार्यकर्ता को कहा है.
पीड़ित बच्चों ने बताया कि वे प्रधानाध्यापक के कहने पर विद्यालय की साफ सफाई कर रहे थे. साफ सफाई करने के बाद उन लोगों ने स्कूल की चहारदीवारी से बाहर वाले चापानल से पानी पीया. इसके बाद वे लोग प्रार्थना सभा में गये. उनके पेट में जोर से दर्द उठा. इसके बाद वे अचेत हो गये. छात्र पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि उसके सर में चक्कर आ गया और पूरा शरीर कांपने लगा. इसके बाद वह बेहोश हो गया.
विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रमोद प्रसाद ने कहा कि बच्चे चापानल का पानी पीने से नहीं बल्कि आंतरिक कमजोरी के कारण बीमार पड़े थे. इधर ग्रामीणों ब्रम्हदेव मंडल, संजय साह, सुनील मंडल, बादो मंडल, प्रमोद मंडल आदि ने कहा कि वे लोग स्कूल के शिक्षकों और प्रधानाध्यापक से इस मामले पर बातचीत करेंगे. प्रधानाध्यापक को बच्चों के स्वास्थ्य की पूरी गारंटी लेनी होगी तभी वे लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे. इस घटना के बाद से गांव में अभिभावक और बच्चे डरे हुए हैं.