सरकारी एंबुलेंस का लाभ नहीं मिलता मरीजों को

– अस्पतालों में एंबुलेंस की आपूर्ति होने के बाद नहीं होती मॉनीटरिंगवरीय संवाददाताभागलपुर : सरकारी अस्पतालों में चलने वाले एंबुलेंस विभागीय लापरवाही के कारण फेल हो रहे हैं. अस्पतालों के उदासीन रवैये के कारण जननी को भी एंबुलेंस की सुविधा कम ही मिल पाती है. कागजी खानापूर्ति के लिए कुछ गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 20, 2015 12:03 AM

– अस्पतालों में एंबुलेंस की आपूर्ति होने के बाद नहीं होती मॉनीटरिंगवरीय संवाददाताभागलपुर : सरकारी अस्पतालों में चलने वाले एंबुलेंस विभागीय लापरवाही के कारण फेल हो रहे हैं. अस्पतालों के उदासीन रवैये के कारण जननी को भी एंबुलेंस की सुविधा कम ही मिल पाती है. कागजी खानापूर्ति के लिए कुछ गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचा दिया जाता है. वहीं सीएस डॉ शोभा सिन्हा का कहना है कि ऐसी बात तो नहीं है पर हम अपने स्तर से पता करते हैं. अगर सूचना सही हुई तो संबंधित अस्पताल के प्रभारी के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. यहां सिर्फ रेफर के लिए एंबुलेंस सबौर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद एंबुलेंस की सुविधा जननी को नहीं दी जा रही है. अस्पताल प्रबंधन का तर्क यह है कि एंबुलेंस में डीजल की अधिक खपत होती है इसलिए यह सुविधा नहीं दी जा सकती है. एक लीटर डीजल में छह किलो मीटर तक गाड़ी दूरी तय करती है. इसलिए इमरजेंसी सेवा के तहत यहां से मरीजों को रेफर करने पर ही ले जाने का निर्देश दिया गया है. कभी ब्रेक फेल तो कभी डीजल समाप्तनाम नहीं छापने की शर्त पर एंबुलेंस चालकों ने बताया कि कई बार तो वाहन का मेंटनेंस नहीं होने पर ब्रेक फेल तक हो चुका है. इसके अलावा कई बार मरीज अस्पताल में सीरियस रहते हैं और गाड़ी में डीजल नहीं रहती है. क्या है परेशानीचालक व इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन 12 घंटे लगातार करते हैं ड्यूटीछुट्टी नहीं मिलने व काम के घंटे के बोझ से रहते हैं परेशान, मरीजों से ठीक से नहीं आते पेशएंबुलेंस के रख-रखाव पर नहीं दिया जाता है ध्यानलोकल कॉल सेंटर ध्वस्त, सदर अस्पताल में चलता था कंट्रोल रूम .

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