शहर की सफाई-व्यवस्था को दुरुस्त करने के मकसद से स्मार्ट सिटी की घोषणा के बाद बड़े पैमाने पर संसाधन जुटाये गये हैं. शहर की सफाई व्यवस्था तो बेपटरी है ही, रखरखाव के अभाव में संसाधनों का बुरा हाल हो रहा है. दो साल पहले पटना की एजेंसी से गीला व सूखा कूड़ा एकत्र करने के लिए 55 गारबेज ऑटो ट्रीपर की खरीद की गयी. एक गारबेज ऑटो ट्रीपर की कीमत लगभग पांच लाख रुपये है. छह साल पहले 48 ऑटो ट्रीपर की खरीद की गयी थी. हर वार्ड में दो ट्रीपर से कूड़ा के उठाव की योजना बनी थी. लेकिन यह योजना धरी की धरी रह गयी और एक-एक कर ट्रीपर खराब होते जा रही है.
48 में 38 ट्रीपर खराब, 10 से चल रहा है काम
छह साल पहले निगम में हर वार्ड में कूड़ा के उठाव के लिए पहली बार तत्कालीन नगर आयुक्त अवनीश कुमार सिंह ने ऑटो ट्रीपर की खरीद की थी. 48 ऑटो ट्रीपर की खरीद की गयी थी. हर ट्रीपर की कीमत लगभग साढ़े तीन लाख थी. लेकिन सही से रख-रखाव के बिना ये ट्रीपर खराब होते चले गये. इसके बाद 55 गारबेज ऑटो ट्रीपर की खरीद की गयी. नये की खरीद होने पर पुराने को सही कराने की बात हुई. लेकिन पुराने ऑटो ट्रीपर खराब होते चले गये और आज स्थिति यह है कि 48 में से 38 ट्रीपर खराब है. शेष दस से काम चलाया जा रहा है.आठ साल में 103 ऑटो ट्रीपर की खरीद में खर्च हो गये चार करोड़ से अधिक की राशि
पिछले आठ साल में निगम में सफाई के लिए 103 ऑटो ट्रीपर व गारबेज ऑटो ट्रीपर की खरीद की गयी. इस ऑटो ट्रीपर की खरीद में लगभग चार करोड़ से अधिक की राशि से की गयी. लेकिन सही से रख-रखाव के बिना पहले के खरीद ऑटो ट्रीपर खराब हो रहे हैं व नये में भी कई के ढक्कन खुल गये हैं.हर माह 16 लाख तेल पर खर्च व 198 स्थायी सफाई कर्मियों पर डेढ़ करोड़ खर्च
हर माह निगम में सफाई कार्य में लगी गाड़ियों में लगने वाले तेल पर लगभग 16 लाख रुपये खर्च होते हैं तो वहीं निगम के स्थायी सफाई कर्मी जिसकी संख्या 198 है. उसके सैलरी पर लगभग डेढ़ करोड़ की राशि खर्च होती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है