पुलिस अनुसंधान पर ध्यान देगी दो अलग-अलग कमेटी
भागलपुर : जिला स्तर पर अब दो अलग-अलग कमेटियां पुलिस अनुसंधान की प्रक्रिया की मॉनीटरिंग करेगी. यह कमेटी कोर्ट में दाखिल होनेवाले तमाम आरोप पत्र में पुलिस अनुसंधान की कमी को दूर करने का प्रयास करेगी. इसके लिए कमेटी समय-समय पर खास एडवाइजरी भी जारी करेगी. वहीं जरूरत पड़ने पर कमेटी दाखिल आरोप पत्र के […]
भागलपुर : जिला स्तर पर अब दो अलग-अलग कमेटियां पुलिस अनुसंधान की प्रक्रिया की मॉनीटरिंग करेगी. यह कमेटी कोर्ट में दाखिल होनेवाले तमाम आरोप पत्र में पुलिस अनुसंधान की कमी को दूर करने का प्रयास करेगी. इसके लिए कमेटी समय-समय पर खास एडवाइजरी भी जारी करेगी.
वहीं जरूरत पड़ने पर कमेटी दाखिल आरोप पत्र के दोबारा अनुसंधान का आवेदन देने का भी निर्देश देगी. दरअसल पुलिस अनुसंधान के बाद दाखिल आरोप पत्र में कई तरह की बारीकी पर ध्यान नहीं दिया जाता है. इसका फायदा केस के ट्रायल के दौरान बचाव पक्ष को मिलता है. नतीजतन कोर्ट से आसानी से आरोपी या तो रिहा हो जाते हैं या सही सजा पाने से अछूते रह जाते हैं. इस तरह के मामलों को लेकर पिछले दिनों पटना में गृह विभाग मुख्यालय में मीटिंग हुई थी. इसमें कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल करने से लेकर उसकी पैरवी तक के तरीकों पर चर्चा हुई. इसके बाद कमेटी गठन जैसे कदम उठाने पर आम सहमति बनी.
समय-समय पर अनुसंधान के तरीकों का आता है दिशा निर्देश : डीएसपी (हेडक्वॉर्टर) कालेश्वर पासवान ने कहा कि समय-समय पर वरीय पुलिस अधीक्षक से अनुसंधान के तरीकों को बेहतर करने का निर्देश आता है. इसमें कोर्ट में पुलिस पक्ष को मजबूती से रखने की बात कही जाती है.
सत्र न्यायालय व मजिस्ट्रेट न्यायालय के केसों के अनुसंधान में कमी रहने पर सीआरपीसी की धारा 173(8) का सहारा लिया जाता है. इसमें अनुसंधान की प्रक्रिया और आगे चलाने की अनुमति ली जाती है.