प्रतिनिधि, लखीसरायजिले के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में छात्र बिना विज्ञान संकाय के शिक्षक के ही पढ़ाई करने को विवश हैं. यहां नामांकित छात्र कोंचिग व प्राइवेट ट्यूटर का सहारा ले रहे हैं. वहीं इससे अधिक परेशानी गरीब छात्र-छात्रा को हो रही है जो किताब खरीदने की भी हैसियत नहीं रखते हैं. शिक्षा विभाग ने वर्ष 2006 से चार चरणों में जिले के 45 माध्यमिक विद्यालय को प्लस टू में उत्क्रमित कर दिया. प्लस टू में दर्जा मिलते ही इन विद्यालयों में कला संकाय के विषयों इतिहास, भूगोल, राजनीति शास्त्र, हिंदी, अंगरेजी, सामाजिक विज्ञान आदि विषयों में शिक्षकों का नियोजन किया गया. वहीं विज्ञान संकाय के विषय गणित, भौतिकी, रसायन शास्त्र, जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान आदि विषयों में शिक्षक उपलब्ध नहीं होने से कई विद्यालयों में विज्ञान विषय के शिक्षक का नियोजन हो पाया है, जबकि इन प्लस टू विद्यालयों में छात्रों का नामांकन किया जा चुका है. विज्ञान विषय के शिक्षक के अभाव में विद्यार्थी विद्यालय तो आते हैं लेकिन शिक्षक के अभाव में बिना पढ़ाई किये ही घर लौटने को विवश हैं. शिक्षा प्रेमी सदानंद सिंह ने बताया कि विडंबना है कि सरकार ने माध्यमिक विद्यालय को उत्क्रमित करते हुए इसे प्लस टू का दर्जा तो दे दिया लेकिन विज्ञान शिक्षक नहीं रहने से इन विद्यार्थियों के समक्ष पठन-पाठन करने में काफी परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा पूर्व में ली गयी शिक्षक पात्रता परीक्षा में पदार्थ विज्ञान के विषय में मात्र पांच शिक्षक ही उत्तीर्ण हुए हैं.
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विज्ञान शिक्षक के बिना हो रही प्लस टू विद्यालयों में पढ़ाई
प्रतिनिधि, लखीसरायजिले के उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में छात्र बिना विज्ञान संकाय के शिक्षक के ही पढ़ाई करने को विवश हैं. यहां नामांकित छात्र कोंचिग व प्राइवेट ट्यूटर का सहारा ले रहे हैं. वहीं इससे अधिक परेशानी गरीब छात्र-छात्रा को हो रही है जो किताब खरीदने की भी हैसियत नहीं रखते हैं. शिक्षा विभाग ने वर्ष […]
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