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हत्यारोपियों को दस साल कैद

भागलपुर: चतुर्थ अपर व सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार ने चर्चित बांधवी घोषाल की हत्या के मामले में गुरुवार को सजा सुनायी. मामले में पांचों अभियुक्त मुनमुन घोषाल, अजय कुमार घोषाल, डॉ राजकुमार भूषण, रश्मि गोस्वामी व अर्चना बनर्जी को 10 साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी गयी. प्रभात खबर डिजिटल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 10, 2015 7:53 AM
भागलपुर: चतुर्थ अपर व सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार ने चर्चित बांधवी घोषाल की हत्या के मामले में गुरुवार को सजा सुनायी. मामले में पांचों अभियुक्त मुनमुन घोषाल, अजय कुमार घोषाल, डॉ राजकुमार भूषण, रश्मि गोस्वामी व अर्चना बनर्जी को 10 साल की कैद और 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी गयी.

कोर्ट ने जुर्माना अदा नहीं करने पर अभियुक्तों को एक वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतने का निर्देश दिया. सजा सुनाये जाने के दौरान सरकार की ओर से लोक अभियोजक सत्य नारायण साह, सूचक की तरफ से दिगंबर ओझा तथा बचाव पक्ष से पन्ना बाबू उपस्थित रहे. कोर्ट रूम में सोमवार को अभियुक्तों को दोषी करार दिये जाने के बाद हुए हंगामा करने के कारण गुरुवार को कोर्ट परिसर सबकी निगाहें मामले पर थी.

कोर्ट रूम के बाहर व भीतर पुलिस कर्मियों की तैनाती
दोपहर 12 बजे से पहले ही चतुर्थ अपर और सत्र न्यायाधीश की अदालत के बाहर लोगों की भीड़ लगने लगी. इनमें अधिवक्ताओं की संख्या अधिक थी. सभी अधिवक्ताओं में केस के निर्णय से अधिक सोमवार को आरोपियों के हंगामे करने की चर्चा रही. इन सभी कारणों की वजह से पुलिस कर्मियों की भी तैनाती कोर्ट रूम के सामने थी. पांचों अभियुक्तों को कड़ी सुरक्षा में न्यायाधीश में पेश किया गया.
यह था मामला
तिलकामांझी में 15 मई 2007 को डॉ राजकुमार भूषण की पत्नी बेतिया निवासी बांधवी घोषाल की लाश पंखे से लटकी मिली थी. उस दौरान बांधवी के हाथ व पैर में कटे के निशान थे. वहीं बांधवी की लाश के पास एक सुसाइड नोट भी मिला था. मगर बांधवी घोषाल के भाई असीम कुमार चटर्जी ने ससुराल वालों पर दहेज प्रताड़ना का आरोप लगा कर हत्या का मामला दर्ज कराया. पुलिस ने मामले में तफ्तीश शुरू की. तफ्तीश के दौरान 16 मई 2007 को जेएलएनएमसीएच के तीन चिकित्सकों ने वीडियो ग्राफिक परीक्षण रिपोर्ट तैयार की. वहीं, सुसाइड नोट की जांच सीआइडी से करवायी गयी जिसमें सीआइडी लैब प्रभारी हरि नारायण ने बांधवी घोषाल की हैंड राइटिंग की परीक्षण रिपोर्ट दी थी. इस परीक्षण में सुसाइड नोट की लिखावट को पूरी तरह बांधवी घोषाल के होने पर संदेह व्यक्त किया गया था.

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