अब खायेंगे क्या, मिट्टी में मिल गयी फसल
प्रतिनिधि,सबौर बेमौसम बारिश व ओले ने प्रखंड के किसानों की नींद छिन ली है. वे अब रात दिन इसी चिंता में हैं कि कैसे अपने बाल बच्चे की परवरिश करेंगे. घर में अनाज का एक भी दाना खेत से नहीं आया है. बारिश व ओले से किसानों की हजारों एकड़ भूमि में लगी गेहूं, मसूर, […]
प्रतिनिधि,सबौर बेमौसम बारिश व ओले ने प्रखंड के किसानों की नींद छिन ली है. वे अब रात दिन इसी चिंता में हैं कि कैसे अपने बाल बच्चे की परवरिश करेंगे. घर में अनाज का एक भी दाना खेत से नहीं आया है. बारिश व ओले से किसानों की हजारों एकड़ भूमि में लगी गेहूं, मसूर, चना, धनिया की फसल बरबाद हो गयी है. फसल मुआवजे की घोषणा सुन सैकड़ों किसान प्रखंड में आवेदन देने पहुंचे, लेकिन उनका आवेदन कोई लेने वाला नहीं है. सरकार के इस बेरुखी से किसानों में आक्रोश है. मुआवजे की मांग को लेकर जल्द ही प्रखंड के किसान आंदोलन का रूख अख्तियार करेंगे. राजपुर के मो अयुब, मो सचिन साह, अमडार के बाबर साह, घोषपुर के राम विलास तांती, शंकरपुर के प्रमोद मंडल, जय कृष्ण कुमार, चंद्र कांत मंडल, आनंदी मंडल, बैजलपुर के विरेंद्र कुमार सिंह, अंबिका लाल, देवेंद्र यादव आदि ने बताया कि बारिश व ओले की मार से एक तो पहले से ही खेत में कम फसल उपज हुई थी. सोमवार को आयी तेज बारिश व ओले ने तो पूरी तरह से फसल बरबाद कर दिया. सब कुछ मिट्टी में मिल गया. अब कैसे घर गृहस्थी की गाड़ी चलेगी, यह सोच किसान परेशान हैं. फसल मुआवजा देने की सरकारी घोषणा हुई है, लेकिन अभी तक कहीं भी फसल बरबादी का सर्वे तक नहीं हुआ है. प्रखंड में क्षति पूर्ति का आवेदन लेकर आये तो कहा जा रहा है कि अब आवेदन नहीं लिया जायेगा. ऐसे में अब मरना ही अच्छा होगा.