इस दौरान मो अमीन अख्तर को निचली अदालत में तलाक की बात को सिद्ध करना था, जो नहीं हो पाया. मुसलिम लॉ के तहत तलाक की पुष्टि नहीं होने पर उसकी जमानत निरस्त हो गयी तथा कोर्ट ने उसके खिलाफ कुर्की का आदेश दे दिया था. मो अमीन अख्तर के कोर्ट में आत्मसमर्पण करने के साथ ही उसके व अन्य सात के खिलाफ दहेज प्रताड़ना पर सुनवाई होगी. मामले में नुसरत जहां की ओर से अधिवक्ता सिरुस सुलाल व बचाव पक्ष से सैयद इनामुद्दीन व हसीबुद्दीन ने पैरवी की.
नुसरत जहां ने सीजेएम कोर्ट में नालसी वाद दायर किया था. इसमें उसने बताया कि 17 मई 2012 को उसकी शादी मो अमीन अख्तर से हुई थी. लेकिन शादी के बाद मो अमीन अख्तर व उनके परिजन ने दहेज के लिए तंग करना शुरू कर दिया. नालसी वाद पर जांच के बाद मोजाहीदपुर थाने में दहेज प्रताड़ना का मामला मो अमीन अख्तर व अन्य सात के खिलाफ दर्ज किया गया था.