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कहीं इतिहास न बन जाये संग्रहालय
संग्रहालय के कमरों में रखी है दसवीं शताब्दी व चंपा काल की दुर्लभ मूर्तियां दो वर्ष से अधिक समय से संग्रहालय के कमरे बंद, दर्शकों की आवाजाही नहीं भागलपुर : कला व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध भागलपुर का संग्रहालय गुमनामी के अंधेरे में छुपता जा रहा है. 11 नवंबर 1976 को स्थापित संग्रहालय के कमरों […]
संग्रहालय के कमरों में रखी है दसवीं शताब्दी व चंपा काल की दुर्लभ मूर्तियां
दो वर्ष से अधिक समय से संग्रहालय के कमरे बंद, दर्शकों की आवाजाही नहीं
भागलपुर : कला व संस्कृति के लिए प्रसिद्ध भागलपुर का संग्रहालय गुमनामी के अंधेरे में छुपता जा रहा है. 11 नवंबर 1976 को स्थापित संग्रहालय के कमरों की हालत दयनीय है. यहां के कमरों में रखी दसवीं शताब्दी व चंपा काल की दुर्लभ मूर्तियां धूल फांक रहीं हैं. दो वर्षो से अधिक समय से कमरों में ताले लगे हैं. संग्रहालय के परिसर को प्रशासनिक दफ्तर बना दिया गया है. जिला प्रशासन के निर्देश पर यहां समय-समय चुनावी काम निबटाये जाते हैं. अगर यही हाल रहा तो यह ऐतिहासिक संग्रहालय भागलपुर वासियों के लिए सही में इतिहास बन कर रह जायेगा.
दुलर्भ मूर्तियों का संग्रह. मंदार से प्राप्त गणोश की दो विलक्षण प्रतिमा, बांका जिले से प्राप्त काले पत्थर की बनी देवी की दस भुजी प्रतिमा, सीएमएस स्कूल से मिली चतुभरुज दुर्गा, विष्णु धर्मोत्तर पुराण में वर्णित विष्णु की विभिन्न मूर्तियां, शाहकुंड से मिली यशिणी की प्रतिमा, सुलतानगंज से मिले भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं, दसवीं शताब्दी के काले पत्थर की मनौतीस्तूप आदि हैं.
क्यूरेटर सेवानिवृत्त, दो चतुर्थ कर्मचारी के भरोसे विभाग
संग्रहालय की नियमित रखरखाव का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर तैनात क्यूरेटर(देखरेख करनेवाले) अप्रैल को सेवानिवृत्त हो गये हैं. वर्ष 2012 में नियमित सेवानिवृत्ति के बाद वे दो वर्ष तक अनुबंध के तौर पर योगदान दे रहे थे. कुल सात कर्मियों के स्वीकृत पद के बदले वर्तमान में दो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के भरोसे संग्रहालय है. जो दिन-रात के शिफ्ट में यहां पर हैं.
रोजाना 50 से अधिक आते थे दर्शक
भागलपुर संग्रहालय में दो वर्ष पहले काफी गहमा-गहमी रहती थी. यहां पर प्रतिदिन 50 से अधिक दर्शक पहुंचते थे. संग्रहालय में तैनात सुनील व गगन ने बताया कि दो वर्ष पहले दुर्लभ मूर्तियों को देखने के लिए काफी लोग आते थे. इनमें कई देशी व विदेशी भी होते थे. मगर इन दो वर्षो में यहां कोई नहीं आ रहा है.
भागलपुर संग्रहालय में प्रशासनिक काम को लेकर जिला प्रशासन ने विभाग को परिसर खाली करने की रिपोर्ट भेजी है. दो वर्षो से संग्रहालय के कमरे बंद हैं, तो यह बड़ा ही गंभीर है. इस बारे में जल्द ही निदेशालय स्तर पर दौरा किया जायेगा तथा जमीनी हकीकत की पड़ताल की जायेगी.
अरविंद महाजन,
अतिरिक्त प्रभार, क्षेत्रीय उपनिदेशक(संग्रहालय), पटना
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