भागलपुर: बाढ़ की समस्या विकराल है. बाढ़ पीड़ितों की हालत और भी खराब है. बाढ़ राहत कार्य में गड़बड़ी और गति धीमी के कारण बाढ़ पीड़ित सीओ से बदसलूकी,जाम व प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या समस्या का सही निदान हो रहा है या सरकारी व्यवस्था में कमी रह गयी है. फे सबुक के माध्यम से लोगों ने कहा कि सरकारी चाल से हंगामा और प्रदर्शन होना ही है. बाढ़ पीड़ितों की हालत नाजुक है. सरकारी दावों की हवा निकल रही है.
चांद झुनझुनवाला का कहना है कि अंधेर नगरी चौपट राजा वाली स्थिति है. नीरज झा भी सरकार के राहत कार्य पर नाखुशी जताते हैं. जीतेंद्र कुमार का कहना है कि न सिर्फ भागलपुर में अररिया में भी बाढ़ के कारण प्रदर्शन हो रहे हैं. शिव कुमार का कहना है कि सरकार की व्यवस्था पूरी तरह से बेकार है.
सही समय पर लोगों को राहत सामान नहीं मिल रहा है, विरोध तो होगा ही. पुरुषोत्तम मालाकार का कहना है कि मारपीट करना सही नहीं है, लेकिन अगर पीड़ित मारपीट पर उतारू हो गये हैं, तो यह संकेत है कि वे कितने मजबूर हैं. सागर भगत का कहना है कि पहले सरकारी कर्मचारी अपना पेट भरते हैं फिर पीड़ितों के बारे में सोचते हैं. शुभम भगत का कहना है कि सरकार चौपट है तो व्यवस्था का चौपट होना ही है. राहुल सिंह राजपूत कहते हैं कि व्यवस्था बिल्कुल नहीं है. गौरव जायसवाल कहते हैं कि सरकारी अधिकारी यहां मौज करते हैं. प्रीतम सिंह कहते हैं कि नेताओं का राज है. नीतीश सरकार की नीतियां हमेशा फेल रहती है. यहां अफसरशाही हावी है. रिशी रंजन कहते हैं कि सरकारी नीतियां खराब हैं, लेकिन सरकारी अफसर के साथ इस तरह की घटना सही नहीं है.
राजेश कुमार सिंघानिया का कहना है कि सीओ के साथ जो हुआ वह लोगों का गुस्सा था अव्यवस्था के खिलाफ. राहत की जो सामग्री दी जा रही है वह भी घटिया होती है. नरेश जनप्रिय का कहना है कि इस प्राकृतिक आपदा में लोगों को भी सामने आना होगा. रंजीत मिश्र का कहना है कि सभी अपनी जेबें भरने में लगे हैं. पीड़ितों की कौन सुनेगा. आशिक भागलपुरी ने कहा कि पीड़ितों की मदद के नाम पर प्रशासनिक लूट होती है.दीपक झा, एराम नाज, राहुल कश्यप, रिंकू कुमार ने भी राहत कार्य पर असंतोष जताया. इनके अलावा 27 अन्य लोगों ने भी अपने विचार प्रकट किये.