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पूरी दुनिया में फैलाया संतमत का प्रकाश

-महर्षि मेंहीं का वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को ननिहाल में हुआ था जन्म संवाददाता, भागलपुरसंतमत सत्संग का प्रकाश फैलाने वाले महर्षि मेंहीं परमहंस महाराज का जन्म 28 अप्रैल 1885 वैशाख शुक्ल चतुर्दशी दिन मंगलवार को ग्राम खोखसी श्याम, जिला मधेपुरा में नाना काशी नाथ के घर हुआ था. कुप्पा घाट आश्रम के प्रवक्ता प्रो गुरु प्रसाद […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 2, 2015 10:04 PM

-महर्षि मेंहीं का वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को ननिहाल में हुआ था जन्म संवाददाता, भागलपुरसंतमत सत्संग का प्रकाश फैलाने वाले महर्षि मेंहीं परमहंस महाराज का जन्म 28 अप्रैल 1885 वैशाख शुक्ल चतुर्दशी दिन मंगलवार को ग्राम खोखसी श्याम, जिला मधेपुरा में नाना काशी नाथ के घर हुआ था. कुप्पा घाट आश्रम के प्रवक्ता प्रो गुरु प्रसाद बाबा ने बताया मां का नाम जनकवती, पिता बबुजन लाल दास व पैतृक गृह सिकलीगढ़ धरहरा, जिला पूर्णिया है. 1904 में वे चार जुुलाई को पूर्णिया जिला स्कूल में अंगरेजी की परीक्षा दे रहे थे. बिल्डर शीर्षक कविता की चार पंक्ति का व्याख्या करना था. व्याख्या करते-करते अंतिम में रामचरित मानस की चौपाई देह धरि कर यहि फल भाई, भजि राम सब आम विहायी. लिख कर परीक्षा भवन से सदा के लिए निकल गये व उनका वैराग्य जीवन शुरू हो गया. 1918 में सिकलीगढ़ धरहरा में कुआं में पानी के नीचे बैठ ध्यान करते हुए कई लोगों ने उन्हें देखा था. जब लोगों की भीड़ लगने लगी तब वे वहां से शांत जगह के लिए निकल गये. मार्च 1933 से नवंबर 1934 तक कठोर साधना से ब्रह्म को प्राप्त किये. इसके बाद पूरी दुनिया में घूम-घूम कर संतमत का संदेश पहुंचाने लगे. आठ जून 1986 को शरीर का त्याग कर ब्रह्मलीन हो गये.

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