मेगा फूड पार्क गया बांका

भागलपुर: भागलपुर के औद्योगिक विकास की रफ्तार को जबरदस्त झटका लगा है. जिले के कहलगांव में बनने वाला मेगा फूड पार्क अब पड़ोस के बांका जिले के बौंसी में खुलेगा. मेगा फूड पार्क में 1800 करोड़ निवेश होना था. राज्य सरकार ने मेगा फूड पार्क की प्रमोटर कंपनी कैवेंडर एग्रो लि को बौंसी में सौ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 7, 2013 10:08 AM

भागलपुर: भागलपुर के औद्योगिक विकास की रफ्तार को जबरदस्त झटका लगा है. जिले के कहलगांव में बनने वाला मेगा फूड पार्क अब पड़ोस के बांका जिले के बौंसी में खुलेगा. मेगा फूड पार्क में 1800 करोड़ निवेश होना था. राज्य सरकार ने मेगा फूड पार्क की प्रमोटर कंपनी कैवेंडर एग्रो लि को बौंसी में सौ एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की बात कही है. कंपनी ने भी अपनी सहमति दे दी है. जल्द ही इसकी औपचारिकता भी पूरी हो जायेगी.

कहलगांव में सौ एकड़ जमीन उपलब्ध करानी थी
सूबे का पहला मेगा फूड पार्क भागलपुर में स्थापित होना था. भागलपुर व आसपास के इलाके में कच्चे माल की प्रचुरता है. फूड पार्क में 1800 करोड़ का निवेश होना है. प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार मिलता. खाद्य प्रसंस्करण की कई इकाइयां खुलती. औद्योगिक रूप से भागलपुर का विकास तो होता ही भागलपुर के विकास में मेगा फूड पार्क मिल का पत्थर साबित होता. पिछले तीन- चार साल से फूड पार्क की कवायद चल रही थी. कहलगांव के औद्योगिक ग्रोथ सेंटर में फूड पार्क के लिए सौ एकड़ जमीन उपलब्ध करानी थी, लेकिन औद्योगिक ग्रोथ सेंटर के भू विस्थापितों के विरोध के चलते आज तक ग्रोथ सेंटर में एक भी उद्योग स्थापित नहीं हुआ. कुछ दिन पहले भारत सरकार की खाद्य प्रसंस्करण मंत्रलय ने कहा कि अगर मेगा फूड पार्क स्थापित नहीं होगा, तो यह परियोजना यहां से हटा ली जायेगी. फूड पार्क की प्रमोटर कंपनी कैवेंडर एग्रो लि के अध्यक्ष महेंद्र लाल जालान ने राज्य सरकार को साफ कह दिया कि जमीन नहीं मिली, तो हमलोगों की दिलचस्पी इसमें नहीं रह जाएगी. केंद्र के अल्टीमेटम और निवेशकों के हाथ खींचने के बाद सरकार हरकत में आयी और उद्योग विभाग सक्रिय हुआ. राज्य सरकार ने मेगा फूड पार्क के लिए बौंसी में सौ एकड़ जमीन उपलब्ध कराने की बात कही है.

मेगा फूड के एक निदेशक सत्यजीत सिंह ने बताया कि सरकार ने बौंसी में जमीन उपलब्ध कराने की बात कही है. हमलोगों ने भी हामी भर दी है. सरकार जितनी जल्दी जमीन उपलब्ध करा देगी उतना जल्दी काम शुरू हो जाएगा. देरी की वजह से परियोजना का खर्च भी बढ़ रहा है.

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