हैंडलूम पार्क पर ग्रहण

दीपक कुमार मिश्र, भागलपुर: भागलपुर की औद्योगिक रफ्तार पर ब्रेक पर ब्रेक लग रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण जमीन की अनुपलब्धता है. मेगा फूड पार्क के बाद प्रस्तावित हैंडलूम पार्क पर भी ग्रहण लग गया है. केंद्र सरकार अब इस योजना को यहां से कहीं अन्यत्र ले जाने वाली है. अन्य प्रस्तावित उद्योगों के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2013 1:10 AM

दीपक कुमार मिश्र,

भागलपुर: भागलपुर की औद्योगिक रफ्तार पर ब्रेक पर ब्रेक लग रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण जमीन की अनुपलब्धता है. मेगा फूड पार्क के बाद प्रस्तावित हैंडलूम पार्क पर भी ग्रहण लग गया है. केंद्र सरकार अब इस योजना को यहां से कहीं अन्यत्र ले जाने वाली है. अन्य प्रस्तावित उद्योगों के निवेशकों का भी भागलपुर से मोह भंग हो रहा है. जमीन व आधारभूत सुविधाओं की कमी के चलते टेक्सटाइल पार्क के निवेशकों ने पहले ही अपने पांव खींच लिए थे.

भागलपुर को औद्योगिक हब के रूप में विकसित करने की योजना धाराशायी हो रही है. बियाडा की ओर से कहलगांव स्थित औद्योगिक ग्रोथ सेंटर में उद्योग स्थापना के लिए जमीन नहीं मिल रही है. जिन लोगों की जमीन ग्रोथ सेंटर के लिए ली गयी थी वे लोग नयी दर से मुआवजा की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं. इसके अलावा आधारभूत सुविधाओं की भी कमी है.खासकर सड़क और बिजली की स्थिति बेहद खराब है. 10 हजार करोड़ से अधिक की परियोजना पर संशय की स्थिति बनी है. बियाडा के औद्योगिक ग्रोथ सेंटर में टेक्टासइल पार्क बनना था. लेकिन जमीन की स्थिति और आधारभूत संरचना की कमी के चलते निवेशकों ने अपने कदम खींच लिए. पांच साल पहले यह योजना 1200 करोड़ की थी. प्रस्तावित टेक्सटाइलपार्क के प्रमोटरों में एक व टेक्सटाइल पार्क स्थापना करने वाली कंपनी के निदेशक रमन साह कहते हैं कि हमलोगों ने काफी प्रयास किया. मंत्री से लेकर अधिकारी स्तर पर बैठकें भी हुई. लेकिन परिणाम सुखद नहीं रहा. जमीन को लेकर कई समस्या थी. जमीन नहीं मिल पाने के कारण भागलपुर में प्रस्तावित मेगा फूड पार्क के बांका जिले के बौंसी में जाने की संभावना है. सरकार जमीन को लेकर तब गंभीर हुई जब केंद्र ने फूड पार्क के प्रमोटरों को अल्टीमेटम दिया कि अगर जल्द पार्क की स्थापना नहीं होगी यो योजना वापस ले ली जाएगी. मेगा फूड पार्क के बाद अब हैंडलूम पार्क पर भी संशय की तलवार लटक रही है. परियोजना में देरी को देखते हुए केंद्र सरकार अनुदान के रूप में उपलब्ध कराये गये पहली किस्त 1.56 करोड़ की मांग कर रही है. इस योजना में राज्य सरकार को अपने अंश 30 प्रतिशत के रूप में जमीन उपलब्ध कराना था. केंद्रीय वाणिज्य व उद्योग मंत्रलय ने औद्योगिक आधारभूत उन्नयन कार्यक्रम के तहत इस योजना की स्वीकृति दी गयी थी. लेकिन तीन-चार साल बाद की स्थिति जस की तस है. यह योजना 21 करोड़ की है. और इसके लिए 25 एकड़ जमीन के जरूरत है. स्टार सीमेंट कंपनी, इमामी ग्रुप वालों का भी मोह यहां से भंग हो रहा है. भवनाथपुर में प्रस्तावित नालंदा पेपर मिल भी शिलान्यास तक ही सीमित है. अन्य कंपनियों का भी यहां से मोह भंग हो रहा है. इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकटधारी अग्रवाल कहते हैं कि सरकार भागलपुर के औद्योगिक विकास के प्रति गंभीर नहीं है. हैंडलूम पार्क भी भागलपुर से जा रहा है. हैंडलूम पार्क को कलस्टर के रूप में विकसित करना था. इससे यहां के परंपरागत सिल्क उद्योग को भी लाभ मिलता.

मुख्य रूप से जमीन की अनुपलब्धता है. अगर सरकार गंभीर नहीं होगी तो निवेशकों का पूरी तरह से मोह भंग हो जायेगा.

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