चुनौतीपूर्ण होगा डॉ ताहिर का समय प्रबंधन

भागलपुर: विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर इंचार्ज और कुलसचिव का पद पहले से ही संभाल रहे थे डॉ ताहिर हुसैन वारसी, अब हाइकोर्ट के आदेश पर परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेवारी उन्होंने स्वीकार कर ली है. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में इन चारों पदों पर पूर्व में अलग-अलग लोगों को प्रभार था और अब केवल एक के पास इसकी जिम्मेवारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 12, 2013 1:11 AM

भागलपुर: विभागाध्यक्ष, प्रोफेसर इंचार्ज और कुलसचिव का पद पहले से ही संभाल रहे थे डॉ ताहिर हुसैन वारसी, अब हाइकोर्ट के आदेश पर परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेवारी उन्होंने स्वीकार कर ली है. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में इन चारों पदों पर पूर्व में अलग-अलग लोगों को प्रभार था और अब केवल एक के पास इसकी जिम्मेवारी है. ऐसे में डॉ ताहिर का सभी पदों के लिए समय देने व सभी पदों पर तमाम कार्य संपादित करने के लिए समय प्रबंधन करना चुनौती से कम नहीं होगा. जानकार मानते हैं कि जिम्मेदारियों से भरे उक्त पदों को हल्के में लिया भी नहीं जा सकता.

कर्मियों की उपस्थिति से लेकर अनुमति लेने तक

डॉ वारसी ओल्ड पीजी कैंपस के प्रोफेसर इंचार्ज भी हैं. लिहाजा प्रोफेसर इंचार्ज के दैनिक कार्य के बाबत जब जानकारी हासिल की गयी, तो पता चला कि उन्हें प्रतिदिन दरबान की उपस्थिति पर नजर रखनी पड़ती है. कैंपस की निगरानी, सुरक्षा व विभागों की साफ -सफाई की दिशा में कर्मियों को मुस्तैद रखने का भी उनका जिम्मा है. दिनकर भवन व बहुद्देशीय प्रशाल में किसी भी आयोजन की अनुमति प्रोफेसर इंचार्ज के माध्यम से ही कुलपति से प्राप्त की जा सकती है.

कम है 24 घंटे भी काम करना : अब डॉ वारसी परीक्षा नियंत्रक के प्रभार में आ गये हैं. ऐसे में यह जानना भी रोचक होगा कि उक्त तीनों जिम्मेवारियों का निर्वहन करने के बाद उनके लिए परीक्षा नियंत्रक का दायित्व निर्वहन कितना चुनौती भरा होगा. तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक डॉ राजीव रंजन पोद्दार ने बताया कि विवि में परीक्षा नियंत्रण से कठिन कार्य कुछ भी नहीं. सभी कार्य जिम्मेवारियों से भरा है. परीक्षा का संचालन, परीक्षाफल प्रकाशन, मार्क्‍स सीट, प्रावीजनल, ऑरीजनल, माइग्रेशन निर्गत करना परीक्षा नियंत्रक का मुख्य कार्य होता है. कोई परीक्षा नियंत्रक यह सोच ले कि 10 से पांच बजे तक काम करेंगे, तो वे चाह कर भी नहीं कर सकते. उन्हें 24 घंटे भी काम करना पड़े तो कम है. कॉपी से क्वेश्चन तक की सेटिंग, प्रिंटिंग का कार्य उन्हें देखना होता है. इसकी पैकेजिंग का कार्य शाम के बाद ही हो सकता है. क्योंकि दिन भर छात्र-छात्रओं की भीड़ रहती है.

इस कार्य को पूरी तरह कंफीडेंसियल रखना पड़ता है. दूसरे दिन परीक्षा शुरू होने से पहले इन तमाम चीजों को परीक्षा केंद्रों पर पहुंचा देना होता है. अब तो सभी जिलों में केंद्र बनने लगे हैं. बहुत ज्यादा स्टाफ भी नहीं है. इन तमाम कार्य को पूरा करने में परीक्षा नियंत्रक दिमागी तौर पर इस कदर उलझ जाते हैं कि परिवार के लिए भी नहीं सोच सकते. परीक्षा नियंत्रक को परीक्षा विभाग में ए, बी, सी सेक्शन के साथ-साथ पेंडिंग सेक्शन, कंप्यूटर सेक्शन, रजिस्ट्रेशन सेक्शन, रिसर्च सेक्शन व प्रशासन से जुड़े कार्य भी देखना पड़ता है.

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