घर-घर हाथ फैला रहे बाढ़ पीड़ित
भागलपुर: गंगा के दिये जख्मों का दर्द लगातार ङोल रहे बाढ़ पीड़ित अब दाने-दाने को मोहताज हो गये हैं. दियारा के खेतों में दिनभर पसीना बहानेवाले आज घर-घर जाकर लोगों के सामने दो जून की रोटी के लिए हाथ फैला रहे हैं. सरकार की ओर से दी जानेवाली मदद भी पर्याप्त नहीं है. कई बाढ़ […]
भागलपुर: गंगा के दिये जख्मों का दर्द लगातार ङोल रहे बाढ़ पीड़ित अब दाने-दाने को मोहताज हो गये हैं. दियारा के खेतों में दिनभर पसीना बहानेवाले आज घर-घर जाकर लोगों के सामने दो जून की रोटी के लिए हाथ फैला रहे हैं. सरकार की ओर से दी जानेवाली मदद भी पर्याप्त नहीं है. कई बाढ़ पीड़ितों के पास जमीन तो है, लेकिन उसमें लगी फसल भी बरबाद हो गयी.
घर में रखा अनाज भी बाढ़ के पानी में सड़ चुका है. अब उनके पास दूसरे के सामने हाथ फैलाने के अलावा कोई चारा नहीं है. ऐसे में बाढ़ पीड़ित निराश-हताश होकर शहर के मुहल्ले में घर-घर जाकर अपने भोजन के लिए लोगों के सामने हाथ फैला रहे हैं. इन बाढ़ पीड़ितों की स्थिति के सामने पीड़ितों की मदद के तमाम सरकारी दावे बेमानी नजर आते हैं. इन बाढ़ पीड़ितों के पास जमीन व मवेशी के अलावा कुछ नहीं बचा है. साथ ही उनके सामने अब महाजनों से लिये गये कर्ज को चुकाने की चुनौती भी है. फसल लगाने के समय उन्होंने इस आस पर कर्ज लिया था कि
फसल कटते ही सारा कर्ज चुका देंगे. इसके विपरीत उनकी फसल बरबाद हो गयी. नाथनगर प्रखंड स्थित शंकरपुर दियारा के धतूरी मंडल ने बताया कि बाढ़ में उनका घर गिर गया और सारी संपत्ति बह गयी. वे किसी तरह जान बचा कर भागे. उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि कहीं भी कोई काम कर लें. बेटा व परिवार भी संकट में है. बैठ कर परिवार का भरण-पोषण कैसे होगा, इसलिए शहर के लोगों के बीच जा कर मदद मांग रहे हैं. बालू टोला के चंद्रदेव मंडल ने बताया कि उनका कुछ नहीं बचा. उन्हें थोड़ी-बहुत जमीन भी है, लेकिन वह अभी किसी काम की नहीं है.
वे भी विभिन्न स्थानों पर जाकर मदद मांगने को मजबूर हैं. शंकरपुर चवनियां के विष्णु देव मंडल ने बताया कि सरकार की ओर से 50 किलो चावल, 50 किलो गेहूं व 1500 रुपये मिले, लेकिन वह कितने दिन तक चलेगा. उनके पास कई मवेशी हैं. उसके लिए भी भोजन जुटाना पड़ता है. बिना मदद मांगे कोई उपाय नहीं है. उन्होंने बताया कि दो बीघा जमीन में मकई, परवल व अन्य सब्जी लगायी थी. सब बरबाद हो गया. रोज-रोज काम भी नहीं मिलता, जिससे पूरा परिवार चलाया जा सके. कुंती देवी और मुन्नी देवी ने बताया कि उनके छोटे-छोटे बच्चे हैं. उनके लिए दूध का इंतजाम करना पड़ता है. इसलिए लोगों से मदद मांगना पड़ रहा है.