बचपन की सर्दी को नहीं करें नजरअंदाज

भागलपुर: अगर बचपन में किसी बच्ची को सर्दी-खांसी हमेशा होती हो और ठीक से इलाज नहीं हो तो वह आगे चल कर हर्ट की बीमारी में बदल सकता है. शनिवार को आइएमए हॉल में प्रेगनेंसी एंड वल्वुलर हर्ट डीजिज विषय पर आयोजित सेमिनार में कोलकाता अपोलो हॉस्पिटल के चीफ कार्डिएक सजर्न डॉ अमरनाथ घोष ने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 15, 2013 10:17 AM

भागलपुर: अगर बचपन में किसी बच्ची को सर्दी-खांसी हमेशा होती हो और ठीक से इलाज नहीं हो तो वह आगे चल कर हर्ट की बीमारी में बदल सकता है. शनिवार को आइएमए हॉल में प्रेगनेंसी एंड वल्वुलर हर्ट डीजिज विषय पर आयोजित सेमिनार में कोलकाता अपोलो हॉस्पिटल के चीफ कार्डिएक सजर्न डॉ अमरनाथ घोष ने उक्त बातें कही. उन्होंने बताया कि बचपन में इलाज नहीं कराने से स्ट्रेप्टोकोकस जीवाणु गले में संक्रमण कर देता है. धीरे-धीरे यह मरीज के घुटने व हर्ट के बल्व को संक्रमित करने लगता है. हर्ट को क्रोनिक रियूमेटिक हर्ट डीजिज कहते हैं.

ऐसे महिलाओं को गर्भ धारण करने के पहले अपना इलाज करना चाहिए. क्योंकि गर्भधारण करने में हाय रिस्क हो जाता है और मरीज की जान बचाना मुश्किल हो जाता है.

इससे बचाव के लिए पेनसिलिन की इंजेक्शन चिकित्सक की सलाह पर लेना चाहिए व हर्ट में कृत्रिम वल्व लगाया जा सकता है. कार्यक्रम में मंच संचालन डॉ संदीप लाल ने किया. मौके पर आइएमए अध्यक्ष डॉ एसडी गुप्ता, सचिव डॉ बिहारी लाल, डॉ विनय भगत, डॉ राजकिशोर भगत, डॉ आरएन झा, डॉ एसएन झा, डॉ एनएन भगत, डॉ दीपक, डॉ अर्चना झा, डॉ रोमा यादव, डॉ मृदुला सहित अन्य मौजूद थे.

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