बटूक भैरव के नाम पर पड़ा तालाब का नाम

-गंगा दशहरा के दिन हुआ था बटूक भैरव का आविर्भाव – तालाब से महाशय ड्योढ़ी तक हर कदम तक पड़ी थी बलि – वार्ड 10 में स्थित है भैरवा तालाब संवाददाता,भागलपुरबटूक भैरव के नाम पर ही तालाब का नाम भैरवा पड़ा. भैरवा तालाब के समीप बटूक भैरव की प्रतिमा मिट्टी के अंदर से निकली थी. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2015 10:05 PM

-गंगा दशहरा के दिन हुआ था बटूक भैरव का आविर्भाव – तालाब से महाशय ड्योढ़ी तक हर कदम तक पड़ी थी बलि – वार्ड 10 में स्थित है भैरवा तालाब संवाददाता,भागलपुरबटूक भैरव के नाम पर ही तालाब का नाम भैरवा पड़ा. भैरवा तालाब के समीप बटूक भैरव की प्रतिमा मिट्टी के अंदर से निकली थी. सामाजिक कार्यकर्ता देवाशीष बनर्जी बताते हैं कि 300 वर्ष पहले महाशय परिवार की रानी व महाशय द्वारिका नाथ घोष की माता कृष्णा सुंदरी को स्वप्न आया कि भैरवा तालाब के पास बटूक भैरव की प्रतिमा है. गंगा दशहरा के दिन ही बटूक भैरव का आविर्भाव हुआ था. भैरव की प्रतिमा को गंगा दशहरा के दिन ही महाशय ड्योढ़ी में स्थापित की गयी. हर वर्ष इसी दिन धूमधाम से पूजन किया जाता है. दूसरे सामाजिक कार्यकर्ता जगतराम साह कर्णपुरी बताते हैं कि लगभग चार बीघा में भैरवा तालाब फैला है. गंगा दशहरा के दिन प्रतिमा मिट्टी के अंदर से निकली थी. उन्हें स्थापित करने के लिए शोभायात्रा निकाली गयी थी. तालाब से महाशय ड्योढ़ी तक हर कदम पर बली चढ़ाते हुए बटूक भैरव की प्रतिमा स्थापित की गयी थी. उस परंपरा को जिंदा रखते हुए हर दिन मछली का भोग लगाया जाता है. मछली भी जीव है, जिसका भोग लगना बलि देने के समान ही है. देश स्तर पर बटूक भैरव की प्रतिमा अद्भुत मानी गयी है. 2002 में कुलपति ने तालाब को सजाने का किया था प्रयास हाल के दिनों भैरवा तालाब का सौंदर्यीकरण कराया गया, जिससे आसपास के लोग इस तालाब में नहाने लगे है. 2002 में तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति रामाश्रय यादव ने तालाब को सजाने का प्रयास किया था, चूंकि शहर के लोग यहां पर सैर कर सकें

Next Article

Exit mobile version