जो लड़ कर जीत जाता है वह फिमेल के झुंड में जाता है. और जो नहीं जा पाता है वह गुस्से में इधर-उधर भागते हुए उत्पात मचाने लगता है. बारिश होने पर हाथी फिर सामान्य हो जाता है. भागलपुर के इलाके में यह तीसरी घटना है कि जान-माल का नुकसान हाथी कर रहा है. बांका में अभी भी हाथी है पर वह नुकसान नहीं पहुंचा रहा है. मेल हाथी का दांत बड़ा-बड़ा होता है. पालतू हाथी को पालने वाले महावत को यह ध्यान रखना चाहिए कि उसके कान से तरल पदार्थ निकले तो उसे बांध कर रखे. उसकी पूरी निगरानी रखने की आवश्यकता होती है और जब बारिश का मौसम आता है तो वह सामान्य हो जाता है.
झारखंड के गोड्डा जिला में 16 हाथियों का एक झुंड है. दो हाथी बांका के फुल्ली डूमर जंगल में है. बिहार में हाथी के आने का एक बड़ा कारण यह भी है कि उसे झारखंड में पर्याप्त भोजन व पानी नहीं मिलता है. लगातार जंगल कट रहे हैं और कोल खदान की वजह से पूरा माहौल गरम रहता है. जबकि बिहार के भागलपुर में गंगा का पानी, बांस व केले की खेती पर्याप्त मात्र में मौजूद है. इसी लालच में हाथी इस इलाके का रुख करते हैं.