कॉलेज ने कहा पासआउट हुए थे तोमर, टीएमबीयू के कुलपति बोले नो कमेंट
भागलपुर/मुंगेर : फर्जी डिग्री मामले में गिरफ्तार जितेंद्र सिंह तोमर के बारे में विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान प्रशासन ने दिल्ली पुलिस को कहा कि तोमर उनके संस्थान से पास आउट हुए हैं. दूसरी ओर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमा शंकर दुबे ने हाइकोर्ट का आदेश आये बगैर कोई भी कमेंट देने से मना […]
भागलपुर/मुंगेर : फर्जी डिग्री मामले में गिरफ्तार जितेंद्र सिंह तोमर के बारे में विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान प्रशासन ने दिल्ली पुलिस को कहा कि तोमर उनके संस्थान से पास आउट हुए हैं. दूसरी ओर तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमा शंकर दुबे ने हाइकोर्ट का आदेश आये बगैर कोई भी कमेंट देने से मना कर दिया. शुक्रवार को टीएमबीयू में सुबह 11 बजे से ही आयी दिल्ली पुलिस की एक टीम कागजात की जांच कर रही थी.
जांच टीम ने विवि के वर्ष 1995 से 2002 के रजिस्ट्रेशन रजिस्टर की छाया प्रति भी ली. शाम करीब चार बजे पहुंची टीम के सदस्य तोमर को सीधे विवि के प्रथम तल पर स्थित कुलपति चैंबर के समीप के कमरे में ले गये जहां टीम पहले से जांच कर रही थी. इसके बाद विवि के परीक्षा विभाग के रजिस्ट्रेशन शाखा के वर्तमान व पूर्व कर्मी की मौजूदगी में जांच टीम ने तोमर से पूछताछ की.
इधर, मुंगेर में उनसे लगभग ढ़ाई घंटे तक गहन पूछताछ की गयी. दिल्ली पुलिस के एसीपी एसपी त्यागी के नेतृत्व में टीम ने तोमर से नामांकन से लेकर परीक्षा के संदर्भ में जानकारी प्राप्त की और कॉलेज के दस्तावेज से उसका सत्यापन भी किया. कॉलेज के नामांकन पंजी व टेबुलेशन रजिस्टर की भी जांच-पड़ताल की गयी, लेकिन तोमर के नामांकन से संबंधित फार्म की प्रति कॉलेज में उपलब्ध नहीं हो पायी.
नामांकन रजिस्टर में है तोमर का नाम
विधि संस्थान के प्राचार्य डॉ आरके मिश्र ने शुक्रवार को दिल्ली पुलिस को कहा कि नामांकन रजिस्टर में तोमर का नाम है और टेबुलेशन रजिस्टर में भी उनका नाम है. इस आधार पर उनकी डिग्री सही है.
इससे अतिरिक्त अन्य डिग्री के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है. तोमर ने वर्ष 1999 में संस्थान से विधि स्नातक की डिग्री प्राप्त की थी. वे 1995 में इस कॉलेज के प्रथम वर्ष के छात्र रहे, जबकि 1996 में द्वितीय वर्ष की परीक्षा दी थी. किंतु विधि स्नातक के तृतीय खंड की परीक्षा 1997 में नहीं दे पाये और पुन: सन 1998 में तृतीय खंड की परीक्षा दी थी. इसके बाद उन्हें प्रमाणपत्र मिला था. इस बात की पुष्टि के लिए साक्ष्य के तौर पर दिल्ली पुलिस की टीम नामांकन रजिस्टर व टेबुलेशन रजिस्टर की कॉपी अपने साथ ले गयी.
सूत्रों के मुताबिक उपस्थिति पंजी व स्थानीय पता में गड़बड़ी होने की बात सामने आयी है. इस पर टीम अपना अनुसंधान केंद्रित कर सकती है. इसके साथ ही टीएमबीयू में उस सत्र का टेबुलेशन रजिस्टर भी अनुसंधान का मुख्य श्रोत है.
कॉलेज उपस्थिति पंजी नहीं करा पाया उपलब्ध
मुंगेर में जांच के दौरान कॉलेज प्रशासन दिल्ली पुलिस के समक्ष सत्र 1995 से लेकर 1999 के छात्रों की उपस्थिति पंजी को उपस्थित नहीं कर पाया. इसी सत्र में जितेंद्र सिंह तोमर यहां के छात्र रहे थे.
दिल्ली पुलिस ने जब तोमर से परीक्षा के दौरान मुंगेर में ठहरने के स्थान के बारे में पूछा, तो तोमर ने कहा कि वे परीक्षा देकर लौट जाते थे. उस समय के प्राचार्य के संदर्भ में जहां पूछा गया और प्रधान लिपिक को बुला कर आमने-सामने भी कराया गया.
अधिवक्ता दिलीप कुमार ने कराया था नामांकन
दिल्ली पुलिस की टीम तोमर को लेकर दोपहर 11:52 बजे लॉ कॉलेज पहुंची. उसे महज दो-तीन मिनट प्राचार्य कक्ष में रखा गया और फिर प्रथम तल पर लाइब्रेरी ले जाया गया. तोमर ने पूछताछ के दौरान कहा कि वे परीक्षा देने के लिए मुंगेर आते थे और इस कॉलेज में भी आये थे.
नामांकन के संदर्भ में उसने कहा कि मुंगेर के ही दिलीप कुमार नामक एक व्यक्ति के माध्यम से यहां लॉ में नामांकन कराया था, जो पेशे से वकील है. बाद में दिलीप कुमार का भाई परीक्षा के समय आने पर उनकी मदद करता था. इस कॉलेज में उसने नियमित रूप से कभी क्लास नहीं की थी, लेकिन परीक्षा देते थे.
जितेंद्र सिंह तोमर के लॉ के डिग्री के संदर्भ में अनुसंधान के तहत उन्हें यहां लाया गया था और जांच पड़ताल की गयी है. उनसे जुड़े कॉलेज के दस्तावेजों की भी जांच की गयी.
एसपी त्यागी, एसीपी, दिल्ली पुलिस
सही क्या है
1. जितेंद्र सिंह तोमर का नामांकन रजिस्टर यह प्रमाणित कर रहा है कि यहां तोमर का नामांकन हुआ था.
2. प्रत्येक साल पार्ट वन, टू व थ्री के टेबुलेशन रजिस्टर में तोमर का नाम दर्ज है. यह साबित करता है कि तोमर ने परीक्षा दी थी और पास भी किया था.
कहां फंस रहा पेच
जब नामांकन लिया उस समय विवि की डिग्री जमा की जाती है. उसी आधार पर कॉलेज में नामांकन होता है. सूत्रों की माने तो जांच के दौरान उस सत्र (1995) के किसी छात्र का नामांकन फॉर्म व संलग्न कागजात विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान में उपलब्ध नहीं है. यह नियमित कॉलेज है. यहां जो भी छात्र नामांकन करायेंगे, उनकी नियमित रूप से क्लास होगी. बावजूद इसके अद्यतन उपस्थिति पंजी कॉलेज में उपलब्ध नहीं है.
50 सवाल के जवाब व 40 हस्ताक्षर ले गयी पुलिस
2.40 घंटे तक प्रशासनिक भवन के बंद कमरे में पुलिस व विवि कर्मी के साथ थे आरोपी पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र तोमर
भागलपुर : दिल्ली पुलिस ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन में शुक्रवार को दिन भर दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री की जांच के लिए फाइलें खंगाली.
पुलिस अपने साथ विश्वविद्यालय से विभिन्न फाइलों की प्रतिलिपि के अलावा कर्मचारियों व पदाधिकारियों से 50 सवालों के जवाब नोट कर साथ ले गयी. इसके अलावा पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह से एक कागज पर 40 हस्ताक्षर करवाये, वह भी अपने साथ ले गयी.
दिल्ली पुलिस पहले से तैयार की हुई लगभग 50 सवालों की प्रश्नावली अपने साथ लायी थी. बारी-बारी से उन कर्मचारियों से सवाल पूछे गये, जो वर्ष 1994 से 2002 तक विश्वविद्यालय में कार्यरत थे.
पूर्व परीक्षा नियंत्रक से कराये गये हस्ताक्षर. तोमर के पार्ट थ्री के अंक पत्र पर पूर्व परीक्षा नियंत्रक डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह के हस्ताक्षर देखे गये. इस पर डॉ सिंह को बुला कर पूछताछ की गयी.
उन्हें एक कागज पर 40 बार हस्ताक्षर करने को कहा गया. इसके बाद पुलिस ने उन फाइलों को ढूंढ़ कर लाने को कहा, जिसमें डॉ सिंह ने पूर्व में हस्ताक्षर किये होंगे. फाइलें ढूंढ़ कर लायी गयीं और पुलिस को सौंपी गयी.
इन फाइलों को भी खंगाला. कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर वर्ष 1994 में विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान मुंगेर में दाखिला लिया था. वर्ष 1995 में प्रथम व 1996 में द्वितीय खंड की परीक्षा दी थी. किंतु वे 1997 के तृतीय खंड के परीक्षा में शामिल नहीं हो पाये थे. इस कारण 1998 में तृतीय खंड की परीक्षा दी थी और वर्ष 1999 में कॉलेज से पास आउट हुए. लिहाजा 1994 से लेकर 2002 तक के रजिस्ट्रेशन, तीनों खंडों के टीआर आदि फाइलों की प्रतिलिपि ली.
बाजार से करायी फोटोकॉपी. फाइलों को दो बंडल में बांध कर पुलिस विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के साथ बाजार ले गयी. बाजार में फोटोकॉपी कराने के बाद फिर विवि लौटी. वापस लौटने के दौरान पुलिस उन सभी प्रतिलिपियों को बांध कर साथ ले गयी.
दिल्ली पुलिस ने जो मांगा, सब उपलब्ध कराया : कुलपति
भागलपुर : दिल्ली पुलिस द्वारा तोमर को ले जाने के बाद तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे ने पत्रकारों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनसे जो भी कागजात मांगा, सभी उपलब्ध करा दिये गये हैं. विश्वनाथ सिंह विधि संस्थान जो भी बयान दे, उस पर उन्हें कुछ भी नहीं कहना है. दिल्ली हाइकोर्ट ने पूर्व में तोमर का प्रोविजनल सर्टिफिकेट सत्यापन के लिए भेजा था, जिसका सत्यापन कर कोर्ट को समर्पित कर दिया गया है. सत्यापित किये गये प्रोविजनल सर्टिफिकेट में अंकित क्रमांक पर विवि से संजय कुमार चौधरी के प्रमाणपत्र जारी हुए हैं. जब तक यह मामला न्यायालय के अधीन है, तब तक कोई वे कोई बयान नहीं दे सकते.
कोर्ट का आदेश आ जाने के बाद विवि भी अपने स्तर से इस मामले की जांच करायेगा ताकि यह खुलासा हो सके कि गड़बड़ी किस स्तर पर हुई है. दिल्ली पुलिस ने उनसे कोई व्यक्तिगत पूछताछ नहीं की है. पुलिस प्रश्नावली तैयार कर लायी थी. पूछताछ के लिए जिन कर्मियों को बुलाया गया, उन्हें उपस्थित करा दिया गया. टीआर व रजिस्ट्रेशन की फोटोकॉपी पुलिस ने ली है. पुलिस की एक टीम अभी भी विश्वविद्यालय में जांच-पड़ताल कर ही रही है. समय-समय पर जो मांगा जा रहा है, उन्हें उपलब्ध कराया जा रहा है.