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फर्जी डिग्री मामला : दो दिनों तक बढ़ी तोमर की रिमांड, साथी छात्र भी संदेह के घेरे में

भागलपुर : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री की तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही जांच में दूसरे दिन शनिवार को नया मोड़ आ गया. टेबुलेशन रजिस्टर में एक छात्र सुमित पाठक का नाम दिल्ली पुलिस को मिला है, जो दिल्ली का रहनेवाला है. यानी जिस साल […]

भागलपुर : दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की डिग्री की तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही जांच में दूसरे दिन शनिवार को नया मोड़ आ गया. टेबुलेशन रजिस्टर में एक छात्र सुमित पाठक का नाम दिल्ली पुलिस को मिला है, जो दिल्ली का रहनेवाला है.
यानी जिस साल तोमर ने एलएलबी की परीक्षा दी थी, उसी वर्ष सुमित ने भी परीक्षा दी थी. दूसरी बात यह कि तोमर दिल्ली में रहते हैं और सुमित भी दिल्ली का ही रहनेवाला है.
इस कारण दिल्ली पुलिस को सुमित को जारी प्रमाणपत्र पर भी संदेह हुआ है. पुलिस ने विश्वविद्यालय प्रशासन से सुमित के परीक्षा से जुड़े तमाम कागजात की मांग की है. पुलिस को इस बात की उम्मीद हो सकती है कि सुमित के प्रमाणपत्र से तोमर प्रकरण से जुड़े कई राज खुल सकते हैं.
नहीं मिला प्राप्ति रजिस्टर : विवि प्रशासन से पुलिस ने उस रजिस्टर की भी मांग की, जिसमें तोमर का प्रमाणपत्र प्राप्त करनेवाले का हस्ताक्षर दर्ज है. विवि के कर्मचारी सुबह से लेकर शाम तक रजिस्टर ढूंढ़ने में लगे रहे, लेकिन देर शाम तक रजिस्टर नहीं मिल पाया था. इसके अलावा पुलिस ने उस चालान की भी मांग की, जिसे प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए कटाया गया था. संबंधित कर्मचारी ने चालान ढूंढ़ कर पुलिस को उपलब्ध करा दिया.
50 कर्मियों की सूची ली : पुलिस ने विवि प्रशासन से वर्ष 1992 से 2000 तक परीक्षा विभाग में कार्यरत कर्मियों की सूची ली. उस दौरान कार्यरत रहे परीक्षा नियंत्रक, टेबलेटर के अलावा रजिस्ट्रेशन, माइग्रेशन आदि शाखा में कार्यरत कर्मचारियों के नाम व जिम्मेदारी सूची में शामिल की गयी है. सूत्रों ने बताया कि सूची में करीब 50 लोगों के नाम शामिल हैं.
इसलिए मांगा प्राप्ति रजिस्टर : सूत्रों ने बताया कि पुलिस अपने साथ तोमर के मूल प्रमाणपत्र की कॉपी भी साथ लेकर आयी है. वर्ष 2012 में विवि ने तोमर का मूल प्रमाणपत्र इश्यू किया था. उसमें कुलपति प्रो विमल कुमार व परीक्षा नियंत्रक डॉ राजीव रंजन पोद्दार के हस्ताक्षर हैं.
दरअसल विश्वविद्यालय से मूल प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए सबसे पहले बैंक में चालान कटाना पड़ता है. नियमानुसार चालान कटने के बाद निर्धारित तिथि के अंदर विवि का परीक्षा विभाग संबंधित आवेदक को मूल प्रमाणपत्र इश्यू करता है. प्रमाणपत्र लेने के लिए एक रजिस्टर पर प्रमाणपत्र प्राप्त करनेवाले का हस्ताक्षर लिया जाता है. पुलिस उसी रजिस्टर की मांग कर रही थी. पुलिस यह देखना चाह रही है कि तोमर का प्रमाणपत्र किसने प्राप्त किया है. सूत्रों की माने, तो तोमर के प्रमाणपत्र के लिए चालान कटानेवाले और प्रमाणपत्र प्राप्त करनेवाले जांच के दायरे में आ सकते हैं. पुलिस ने कई कर्मियों से भी पूछताछ की.
नहीं मिला पार्ट थ्री का ऑरिजनल टीआर : सूत्रों का कहना है कि तोमर का जिस वर्ष एलएलबी पार्ट थ्री का रिजल्ट आया था, उसका ऑरिजनल टेबुलेशन रजिस्टर (टीआर) विवि में उपलब्ध नहीं है. गौरतलब है कि तोमर को विवि द्वारा मूल प्रमाणपत्र इश्यू किया गया है, जबकि बगैर टीआर के मूल प्रमाणपत्र तैयार ही नहीं किया जा सकता. बताया जाता है कि पार्ट थ्री के टीआर रजिस्टर से तोमर का नाम वाला पेज फटा हुआ है. ऐसे में मूल प्रमाणपत्र के आधार पर टीआर की खोज की गयी, तो विवि में उसकी फोटोकॉपी मिली, जो पुलिस को दी गयी.
सुमित पाठक के घर पर पहुंची पुलिस : सूत्रों ने बताया कि तोमर के साथ परीक्षा देनेवाले छात्र सुमित पाठक के दिल्ली स्थित आवास पर शनिवार को दिल्ली पुलिस पहुंची. लेकिन घर पर ताला लगा होने के कारण पुलिस को कोई सफलता हाथ नहीं लगी. इसकी सूचना भागलपुर विवि में डिग्री की जांच कर रही पुलिस को भी दिल्ली पुलिस द्वारा दिये जाने की बात कही जा रही है.
दिल्ली पुलिस
ने विवि के पदाधिकारियों व कर्मचारियों से दूसरे दिन भी पूछताछ की. पुलिस जो कागजात मांग रही है, उपलब्ध कराया जा रहा है. प्रमाणपत्र के लिए कटाया गया चालान उपलब्ध करा दिया गया है. प्राप्ति रजिस्टर ढूंढ़वाया जा रहा है.
प्रो रमा शंकर दुबे
कुलपति, टीएमबीयू
तोमर की पुलिस हिरासत बढ़ी
नयी दिल्ली : फर्जी डिग्री मामले में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर की पुलिस हिरासत यहां की एक अदालत ने दो दिन के लिए बढ़ा दी. तोमर की चार दिन की पुलिस हिरासत खत्म होने पर मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट पूजा अग्रवाल के समक्ष पेश किया गया.
जांचकर्ताओं ने उनका रिमांड 11 दिन के लिए बढ़ाने की मांग की थी. पुलिस ने अदालत से कहा कि उनके (तोमर के) द्वारा पेश किया गया हर दस्तावेज फर्जी है. इसकी जांच किये जाने की जरूरत है.
पुलिस ने क्या-क्या लिया
– पार्ट वन, टू व थ्री का टीआर
– उस समय के 100 प्रोविजनल प्रमाणपत्र के वोल्यूम का बंडल
– परीक्षा विभाग के करीब 50 कर्मियों की सूची
– तोमर के बैंक चालान की प्रतिलिपि
पुलिस ने की मांग
मूल प्रमाणपत्र का प्राप्ति रजिस्टर
सुमित पाठक के तमाम कागजात

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