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रतन की मौत मामले में न्यायिक जांच शुरू

भागलपुर: 49 लाख की बैंक डकैती के आरोपी रतन यादव की पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत के मामले में न्यायिक जांच शुरू हो गयी है. एसएसपी विवेक कुमार के अनुरोध-पत्र पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी राजीव रंजन रमण को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है. शनिवार को जांच अधिकारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 28, 2015 7:55 AM
भागलपुर: 49 लाख की बैंक डकैती के आरोपी रतन यादव की पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत के मामले में न्यायिक जांच शुरू हो गयी है. एसएसपी विवेक कुमार के अनुरोध-पत्र पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी राजीव रंजन रमण को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा है. शनिवार को जांच अधिकारी न्यायिक दंडाधिकारी ने मामले में बरारी थानेदार केके अकेला का बयान लिया. मजिस्ट्रेट ने थानेदार से पूछा, आखिर कैसे मरा रतन यादव? थानेदार ने बिंदुवार मजिस्ट्रेट को हर पहलू से अवगत कराया. इस मामले में डॉक्टर समेत हबीबपुर पुलिस व अन्य से भी पूछताछ हो सकती है.
पुलिस पर लगा है जहर देकर मारने का आरोप
रतन की पत्नी इंदु उर्फ नीरा देवी ने हबीबपुर पुलिस पर जहर का इंजेक्शन देकर रतन को मारने का आरोप लगाया है. महिला का कहना है कि इस मामले में पुलिस ने डॉक्टरों से मिल कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक बदलवा दी. पत्नी का स्पष्ट कहना है कि रतन की मौत जहर से हुई है और पुलिस व डॉक्टर बीमारी से मौत बता रहे हैं. हबीबपुर थाने के हाजत में रतन को टार्चर किया गया. बैंक डकैती के केस में संलिप्तता स्वीकार करने के लिए पुलिस ने रतन पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया. भूखे-प्यासे हाजत में रखा. चिलचिलाती गरमी व धूप में बैठा कर रखा और उसे तरह-तरह की यातनाएं दी. इस कारण रतन की मौत हो गयी.
24 घंटे के भीतर क्यों नहीं भेजा जेल?
पत्नी इंदु देवी ने कहा कि दो दिन पुलिस हिरासत में रहने के बाद रतन को आखिरकार हर्ट और लीवर की ऐसी कौन सी गंभीर बीमारी हो गयी, जिससे मेरे पति की क्षण भर में मौत हो गयी. पत्नी ने पुलिस से पूछा, क्या हर्ट और लीवर बीमारी वाले की तुरंत मौत हो जाती है? महिला ने कहा कि सात जून की रात 10 बजे मधुसूदनपुर पुलिस ने मेरे पति को घर से गिरफ्तार किया था. पुलिस ने कहा था कि पूछताछ कर तुरंत रतन को छोड़ देंगे. पुलिस इतनी हड़बड़ी में थी कि रतन को कपड़ा तक पहनने नहीं दिया गया. उसे अंडरवियर और बनियान में ही ले गयी. अगर पुलिस की मंशा साफ होती तो रतन को आठ जून को जेल क्यों नहीं भेजा गया. नियमत: गिरफ्तारी के 24 घंटे के अंतराल में आरोपी को कोर्ट के समक्ष उपस्थित करना है. लेकिन पुलिस ने मानवाधिकार का भी उल्लंघन किया. 24 घंटे से ज्यादा मेरे पति को हिरासत में रखा. नौ जून की सुबह में रतन की हालत बिगड़ी तो उसे आनन-फानन में मायागंज अस्पताल में भरती कराया गया. लेकिन तब तक मेरे पति की मौत हो चुकी थी.
मामले में पारदर्शिता बनी रही, इसलिए रतन यादव की मौत मामले की न्यायिक जांच का अनुरोध किया गया है. ताकि सच का पता चल सके.
विवेक कुमार, एसएसपी

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