किस्मत ने दिया दर्द, तो पति ने भी की बेवफाई

भागलपुर: जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के स्त्री व प्रसव रोग विभाग में भरती कृष्णा को किस्मत के साथ-साथ उसके पति ने भी बीच मंझधार में छोड़ दिया. रविवार की शाम उसे जेएलएनएमसीएच में भरती कराया और खून देने के नाम पर ही अस्पताल से भाग गया. चिकित्सकों ने कृष्णा का ऑपरेशन बिना रिस्क […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 30, 2015 9:06 AM
भागलपुर: जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल के स्त्री व प्रसव रोग विभाग में भरती कृष्णा को किस्मत के साथ-साथ उसके पति ने भी बीच मंझधार में छोड़ दिया. रविवार की शाम उसे जेएलएनएमसीएच में भरती कराया और खून देने के नाम पर ही अस्पताल से भाग गया. चिकित्सकों ने कृष्णा का ऑपरेशन बिना रिस्क बांड के ही किया और उसकी जान बचायी.

सोमवार को प्रभात खबर के माध्यम से घटना की जानकारी मिलने पर उसकी मां नारायणपुर प्रखंड के नगरपाड़ा से अपनी बेटी से मिलने आयी. सुबह नौ बजे अधीक्षक डॉ आरसी मंडल ने भी निरीक्षण के दौरान कृष्णा का हाल-चाल लिया. उन्होंने बताया कि उसकी स्थिति में सुधार है और उसकी मां भी अस्पताल आ गयी है.

कृष्णा का दर्द उसकी की जुबानी
कृष्णा देवी ने बताया कि वह अपने पति इंद्र पासवान के साथ दिल्ली से न्यू फरक्का एक्सप्रेस के सामान्य बोगी में सफर कर रविवार की सुबह भागलपुर पहुंची. भागलपुर से खगड़िया जाने के लिए नवगछिया रेलवे स्टेशन पर वह और उसका पति ट्रेन का इंतजार कर ही रहे थे कि उसके पेट में तेज दर्द हुआ. उसने बताया कि पति ने उसे संभालने की कोशिश की, पर दोपहर 12 बजे स्टेशन पर ही बच्च हो गया. छह माह के अपरिपक्व मृत नवजात को जन्म देने के बाद उसका तेजी से रक्त-श्रव हो रहा था. उसे किसी तरह प्राइवेट वाहन से नवगछिया के सरकारी अस्पताल में भरती कराया गया, पर वहां से उसे जेएलएनएमसीएच एंबुलेंस से रेफर कर दिया गया. यहां आने पर जब चिकित्सकों ने उसके पति से कहा कि महिला के शरीर में खून बहुत ही कम है. कम से कम तीन यूनिट खून देना होगा, तभी इसकी जान बचेगी.

इतना सुनते ही वह अस्पताल से भाग गया और अपने ससुराल नगरपाड़ा चला गया. वहां उसने परिजनों से कहा कि उनकी बेटी अस्पताल में भरती है, आप जाइए, हम भी वहीं आ रहे हैं, लेकिन सोमवार शाम तक उसका पति अस्पताल नहीं आया. कृष्णा की मां रंजना देवी ने बताया कि कि कहियों बाबू. एकरो पैहनो भी चार दाव एकरो बच्च खराब हो गये गेलो छैय. हमरा सिनी एकरा नगरपाड़े में रखै छैलिये, लेकिन हो इंदर नैय कहलकैय कि अबकी बढ़िया से राखवे, ते दिल्ली भेजी देलिये. अरू देखो, वें कि करलकैय. अगर अस्पताल के बाबू सिनी न ध्यान नैय देतिये, ते एकरो कि हाल होतिये.

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