अंग-अंगिका :: खेती किसानी केरो तरीका बदलो आरु विकास करो

बिहार में अभियो वर्षा पर खेती निर्भर करै छैय. एैय चलतैह हर साल बहुतै किसानों रो खेती मारिलो जाय छैय. किसान समस्या में फंसी जाये छैय. हैय समस्या रो चलतैय बहुतैय लोग खेती बारी छोडि़कैय शहरों में छोटो मोटो रोजगार या नौकरी चाकरी या मजदूरी रो काम पकड़ी लेलह छैय. इह समस्या रो समाधान करैय […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 11, 2015 9:05 PM

बिहार में अभियो वर्षा पर खेती निर्भर करै छैय. एैय चलतैह हर साल बहुतै किसानों रो खेती मारिलो जाय छैय. किसान समस्या में फंसी जाये छैय. हैय समस्या रो चलतैय बहुतैय लोग खेती बारी छोडि़कैय शहरों में छोटो मोटो रोजगार या नौकरी चाकरी या मजदूरी रो काम पकड़ी लेलह छैय. इह समस्या रो समाधान करैय लियैह बिहार कृषि विश्वविद्यालय नेय संरक्षित खेती के बढ़ावा दैय लियैह अभियान चला रहिलो छैय. यहांकरो पदाधिकारी आरू वैज्ञानिक गांवों गांवों में जाई करि कै किसानों के संरक्षित खेती रो भेद बताई रहिलो छैय. यहै लियैह हमहूं किसान भाय सनी से संरक्षित खेती अपनावै लियै अनुरोध करैय छियै. संरक्षित खेती आज केय जरूरत हो गेलो छैय. संरक्षित खेती में खेतों केय जुताई नैय करैय पड़ै छैय. आरू नैय ही ज्यादे सिंचाई करै के आरू खाद दैय के जरूरत पड़ै छैय. ऐकरा में जीरोटिलेज मशीनों स गेहूं, धान, मक्का आरू सनी फसल सीधे बुआई हो जाय छैय. सिंचाई रो लियैह ड्रीप (बूंद बूंद सिंचाई) विधि और स्प्रिींगलर ( छिड़काव) विधि से पानी पटवन करै लियैह पड़ै छैय. ऐकरा सअ् मजदूरों रो खरच भी कम होय छैय आरू फसल उपज भी उतने होय छैय. यही खातिर संरक्षित खेती स कम खरच में उन्नत आरू ज्यादे आमदनी हौ सकै छै. ये विधि के किसानों के अपनावै केय जरूरत छैय. अेकरा अलावा भी किसान के खेती के नया-नया विधि अपनावै कै जरूरत छै. डॉ मेवा लाल चौधरी, कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर

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