बरसात में श्मशान घाट में शवदाह गृह नहीं होने की वजह से हो रही परेशानी

कहलगांव. श्मशान घाट में हो रही लगातार वर्षा में शव को जलाने में शवदाह करने वालों को हो रही है कठिनाई. गंगा का जल स्तर में वृद्धि हो जाने की वजह से गंगा किनारे स्थित स्थानीय सोने लाल साह, संतोष साह के जमीन पर शव को जला अंत्येष्ठि किया जाता है. 1994 में पटना की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 22, 2015 10:06 PM

कहलगांव. श्मशान घाट में हो रही लगातार वर्षा में शव को जलाने में शवदाह करने वालों को हो रही है कठिनाई. गंगा का जल स्तर में वृद्धि हो जाने की वजह से गंगा किनारे स्थित स्थानीय सोने लाल साह, संतोष साह के जमीन पर शव को जला अंत्येष्ठि किया जाता है. 1994 में पटना की कंपनी विश्वास वोट के द्वारा एक शवदाह गृह बनाया गया था जिसमें बरसात के अवसर पर शवदाह गृह में एक साथ दो शवों को जलाया जाता था. विगत 8-9 वर्ष पहले गंगा के कटाव में शवदाह गृह गंगा में समा गया. गंगा के किनारे वर्ष 2003 में वन विभाग द्वारा डॉल्फीन देखरेख के लिये एक शेड बनाया गया है जिसमें घाट पर शव का पैसा वसूलने वाले जली हुयी बचे लकड़ी को जमा कर रखने का कार्य करते हैं. 2010 में एनटीपीसी के सौजन्य से विश्राम गृह शवदाह करने वालों के लिये बनाया गया है. 1994 में बने शवदाह गृह के गंगा में ध्वस्त होने के बाद आज तक फिर से दुबारा प्रशासनिक व स्थानीय स्तर पर नहीं बन पाया. शव जलाने वालों को बरसात में शव जलाने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है. वर्षा होने पर आग बुझ जाता है. दुबारा लकड़ी खरीदना पड़ता है. शव को जलाने में आर्थिक कष्ट के साथ परेशानी का सामना करना पड़ता है. हवा को रोकने के लिये स्थानीय व्यवसायी शिबु खेमका द्वारा 6 चदरा प्रदत्त किया गया है जो हवा के वेग को सिर्फ कम करता है.

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