भागलपुर: सुलतानगंज से बेलहर व कटोरिया होकर देवघर तक रेल यात्र सात साल बाद भी संभव नहीं हो सकी है. लोगों की उम्मीद समय बीतने से के साथ खत्म हो चुकी है. रेलवे ने फंड के अभाव में नयी रेल लाइन परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है. नयी रेल लाइन परियोजना को लेकर जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुई, मगर इसमें समय लगने से इसका बजट कई गुणा बढ़ गया, जिससे प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी.
जमीन अधिग्रहण के मामले में होने वाला खर्च डेढ़ सौ गुणा अधिक बढ़ गया था. जिसकी वजह से रेलवे बोर्ड ने नयी रेल परियोजना को दरकिनार कर दिया है. परियोजना को लेकर दोबारा प्रक्रिया कब शुरू होगी, इसको लेकर रेलवे अफसर भी कुछ नहीं बता पा रहे हैं. नयी रेल लाइन परियोजना वर्ष 2007-08 की है.
288.85 करोड़ का प्राक्कलन, सात साल बाद भी नहीं मिली स्वीकृति : परियोजना को पूरा करने के लिए सात साल पहले 288.85 करोड़ का प्राक्कलन को स्वीकृति के लिए मुख्यालय को भेजा गया है. इससे पहले लोकेशन का सर्वे किया गया. एलाइनमेंट की जांच हुई. जमीन अधिग्रहण के पेच में फंसने से प्राक्कलन को स्वीकृति नहीं मिल सकी है.
लोगों को जगी रेलमार्ग की उम्मीद
एक सितंबर को परिवर्तन रैली को संबोधित करने भागलपुर आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सुलतानगंज के लोगों को नयी रेल लाइन परियोजना की उम्मीद बनी है. दरअसल, पीएम विकास की बात करते हैं, तो नयी रेल लाइन तैयार होने से इस क्षेत्र का विकास तो होगा ही, कांवरियों को भी सुविधा मिल सकेगी. कांवरिया आसानी से सुलतानगंज से असरगंज व बेलहर कटोरिया होकर आसानी से जा सकेंगे. हालांकि बांका-कटोरिया-देवघर नयी रेल लाइन परियोजना का काम अंतिम चरण पर है. सुलतानगंज से कटोरिया नयी रेल लाइन परियोजना का कार्यान्वयन हो जाये, तो सुलजानगंज और देवघर के बीच रेल से यात्रा होने लगेगी.