भागलपुर में मोदी पूरा भाषण : हमरा अपनै सबकै आशीर्वाद चाहियै
भारत माता की जय. भारत माता की जय. मंच पर विराजमान एनडीए के सभी वरिष्ठ नेतागण और विशाल संख्या में आये हुए भागलपुर के मेरे प्यारे भाइयो और बहनों. हमें आपने सभी के प्रणाम करै छियै. आपने सबके आशीर्वाद चाहिये. भाइयो-बहनो, ये कर्ण की भूमि है. भाइयो-बहनो, मेरी और एनडीए की यह चौथी रैली हो […]
भारत माता की जय. भारत माता की जय. मंच पर विराजमान एनडीए के सभी वरिष्ठ नेतागण और विशाल संख्या में आये हुए भागलपुर के मेरे प्यारे भाइयो और बहनों. हमें आपने सभी के प्रणाम करै छियै. आपने सबके आशीर्वाद चाहिये.
भाइयो-बहनो, ये कर्ण की भूमि है. भाइयो-बहनो, मेरी और एनडीए की यह चौथी रैली हो रही है, लेकिन मैं कह सकता हूं कि एक -से बढ़ कर एक, एक से बढ़ कर एक और आज भागलपुर ने सारे तिकड़म तोड़ दिये. न सिर्फ एनडीए की रैलियों के विकल्प तोड़े हैं, गत कई वर्ष की जो रैलियां हुई, उन सारे रैलियों के तिकड़म आपने तोड़ दिये. जो पॉलीटिकल पंडित हैं वे भली-भांति हवा का रुख पहचान लेंगे. जनता जनार्दन का मिजाज क्या है, ये लोग जान लेंगे.
भाइयो-बहनो मैं साफ देख रहा हूं कि 25 साल के बाद पहली बार बिहार की जनता-जनार्दन विकास के लिए वोट करने का संकल्प कर चुकी है और विकास के लिए सरकार बनाने का निर्णय कर चुकी है. भाइयो-बहनो, अब हमारी विजय यात्र को कोई रोक नहीं सकता.
कितने भी दल इकटठे हो जाये, कितने ही नेता इकट्ठे हो जायें, कितने ही भ्रम फैलायें जायें, कितने ही झूठ चलाये जायें, कितने ही धोखे दिये जायें, लेकिन अब आप बिहार की जनता विकासशील और रोजगार देनेवाला बिहार बनाने के लिए, एनडीए को जिताने के लिए, एक प्रगतिशील इतिहास बनाने के लिए, संपूर्ण बिहार बनाने के लिए, माता-बहनों की रक्षा करनेवाला बिहार बनाने के लिए, ये बिहार के लोग वोट करनेवाले हैं भाइयो-बहनो.
आप मुङो बताइये भाइयो, ये चुनाव बिहार की सरकार चुनने के लिए है या नही. यहां से चुन कर जो विधायक जायेंगे, वह बिहार की सरकार बनायेगा या नहीं. मुङो बताइये भाइयो-बहनो, अगर चुनाव बिहार विधानसभा का है, 25 साल से जिन लोगों ने बिहार में राज किया है, उनलोगों को अपने 25 साल के कामकाज का हिसाब देना चाहिये कि नहीं देना चाहिए.
क्या काम किया वे बताना चाहिये कि नहीं. कैसे किया वो भी बताना चाहिए कि नहीं. जनता जनार्दन को अपने काम का हिसाब देना चाहिये या नहीं देना चाहिए. भाइयो-बहनो, मैं वादा करता हूं कि चार साल बाद 2019 में जब लोकसभा चुनाव आयेगा मैं फिर से आपके पास वोट मांगने आउंगा और 2019 में जब आउंगा तो दिल्ली सरकार ने क्या किया है, पाइ पाइ का हिसाब दूंगा. पल-पल का हिसाब दूंगा. भाइयो-बहनो, लोकतंत्र में जो सरकार में बैठे हैं, उनकी जिम्मेदारी बनती है, 25साल सत्ता में रहने के दौरान हुए काम का उन्हें हिसाब देना चाहिये. हिसाब देना होगा. हिसाब तो दे ही नहीं रहे हैं. 25 साल तक काम क्या किया.
विकास क्यों नहीं हुआ. रास्ते क्यों नहीं बने, बिजली क्यों नहीं मिली. इसका जबाव नहीं दे रहे, और जवाब मोदी से मांग रहे हैं. भाइयो मेरे से जवाब लोकसभा में मांगना चाहिये कि नहीं. केद्र से जवाब लोकसभा चुनाव में मांगना चाहिये या नहीं. मैं जनता का सेवक हूं. जब लोकसभ चुनाव आये तो काम का हिसाब देना चाहिये. और मेरे काम के आधार पर आपसे वोट मांगना चाहिए. भाइयो-बहनो, अपने काम का हिसाब देने के लिए तैयार हूं मैं. ये अपने कारमानो का हिसाब देने को तैयार नहीं हैं.
मैं बिहार की जनता से आग्रह करता हूं, जो सरकार में बैठे हैं, वो अगर आपसे वोट मांगने आये, तो आप उनसे सवाल कीजिये, पूछिये आपने वादा किया था कि 2015 में अगर मैं बिजली न दूं, तो मैं वोट मांगने नहीं आउंगा. ये कहा था, ये कहा था. बताइये मेरे भाइयो-बहनो कहा था.
उन्होंने बिजली देने का वादा किया था. बिजली मिली, वो आये कि नहीं आये, वादा तोड़ा या नहीं. आपसे वादाखिलाफी की कि नहीं की. अरे जो आज आपसे वादाखिलाफी करते हैं तो आगे तो पता नहीं न जाने क्या-क्या करेंगे और इसलिए भाइयो-बहनो 20 और 25 साल का हिसाब चाहिये. बिहार के नौजवान जो आज से 25 साल पहले जिनका जन्म हुआ होगा, वह आग 25 साल का हो गया है. वह सोच रहा है मुङो यहां से कोलकाता जाना हो, दिल्ली क्यों जाना हो पढ़ने के लिए. वो पूछ रहा है रोजी-रोटी कमाने के लिए मुङो बिहार क्यों छोड़ना पड़े. ये सवाल आपके सामने खड़े हैं लेकिन ये जवाब नहीं दे रहे.
भाइयो-बहनों, अभी पिछले दिनों पटना के गांधी मैदान में एक तिलांजलि सभा हुई. उस सभा में राममनोहर लोहिया जी को तिलांजलि दी गयी.
उस सभा में जयप्रकाश नारायण जी को तिलांजलि दी गयी. उस सभा में कपरूरी ठाकुर को तिलांजलि दी गयी. राममनोहर लोहिया और उनके साथी कांग्रेस के खिलाफ लड़ते रहे. देश को बचाने के लिए जेलों में भी सत्याग्रह करके पहुंचते रहे. सत्ता और स्वार्थ के लिए, सत्ता की भूख के लिए राममनोहर लोहिया जी को छोड़ कर, परसों गांधी मैदान में उनलोगों के साथ बैठे थे, जिनका राममनोहर लोहिया जी ने जीवन भर विरोध किया. ये कौन से सिद्धांत हैं आपके, ये कौन सी आपकी नीतियां है. भाइयो-बहनो जयप्रकाश नारायण ने जिस गांधी मैदान में संपूर्ण का्रंति का बिगुल बजाया था. जयप्रकाश नारायण जी ने सत्ता के खिलाफ एक लड़ाई छेड़ी थी. और कांग्रेस पार्टी ने, कांग्रेस की सरकार ने जयप्रकाश नारायण जी को जेल में बंद कर दिया था. पूरे हिन्दुस्तान को जेलखाना बना दिया था.
और जयप्रकाश जी को जेल में क्या किया गया, ऐसी हालत कर दी कि वह बीमार हो गये. फिर जयप्रकाश जी का कभी स्वास्थ्य ठीक नहीं हुआ और हमें जयप्रकाश जी को खोना पड़ा. मैं पूछना चाहता हूं जो लोग जयप्रकाश जी की उंगली पकड़ कर राजनीति की पाठशाला में आये थे और तब तक अपनी राजनीति करते रहे थे. उन्होंने परसों जयप्रकाश नारायण को भी तिलांजलि दे दी. और उनलोगों के साथ बैठे, जिन्होंने जयप्रकाश नारायण जी को जेल में बंद कर उनके स्वास्थ्य के साथ गंभीर परेशानी पैदा की. ये परसों की सभा एक प्रकार से, परसों की उनकी रैली राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, कपूर्री ठाकुर को तिलांजलि देने की रैली थी.
जिन्होंने जयप्रकाश की तिलांजलि दी, जिन्होंने राममनोहर लोहिया को तिलांजलि दी, जिन्होंने कपरूरी ठाकुर की तिलांजलि दी, उनकी तिलांजलि आप करोगे. पक्का करोगे. चुनाव में बटन दबा कर अब इनकी तिलांजलि करने का वक्त आ गया है. और इसलिए भाइयो-बहनो मैं सोच रहा था कि गांधी मैदान में लेकिन एक से बढ कर एक सारे लोग बैठे थे. वहां मुङो लगता था कि ये जो इतनी महत्वपूर्ण रैली है, उसमें बताएंगे कि बिहार को आगे कैसे ले जाया जाय. लेकिन न सिर्फ बिहार बल्कि पूरा हिन्दुस्तान निराश हो गये. उस सभा में बिहार को आगे कैसे ले जाया जाये. इस पर चर्चा नहीं हुई. कोई योजना नहीं बनी. भक्षयो-बहनो किया क्या गया. मोदी-मोदी मोदी-मोदी, मोदी-मोदी. मैं सोच रहा था कि एनडीए की सभाओं में या विदेशों में नौजवान तो मोदी-मोदी करते हैं लेकिन मैं हैरान रहा कि ये भी मोदी-मोदी कर रहे हैं.
भाइयो-बहनों, जिन्होंने राज किया उन्हें हिसाब देना था. 25 साल के अपने कारनामों का हिसाब देने को तैयार नहीं है. भाइयो-बहनो, मुङो इस बात की खुशी है कि आनेवाले चुनाव में ये मेरी खुशी बरकरार रहे. मेरी खुशी इस बात की है कि जब मैंने आरा में, एक लाख 25 हजार करोड़ का विशेष पैकेज घोषित किया और 40 हजार करोड़ रुपये, जो आगे के काम की योजना बनी है, उसे भी आगे बढ़ाने का निर्णय किया. केंद्र सरकार के खजाने से एक लाख 65 हजार करेाड़ का पैकेज हमने घोषित किया. दो-तीन दिन तो हमारे पैकेज का मजाक उड़ाते रहे, बाल की खाल उधेरते रहे. लेकिन बिहार की जनता के गले उतार नहीं पाये. उनको लगा कि यदि यह किया तो बिहार की जनता हमारा मुंह नहीं देखेगी. लंबी-लंबी प्रेस कांफ्रेंस किये. भांति-भांति के आंकड़े बोल दिये लेकिन जनता को बरगला नहीं पाये.
शायद धरती पर सबसे तेज बुद्धिमान लोग कहीं है तो शायद बिहार में है. वे ये खेल समझ गये. उनको लगा कि अब कुछ और करना पड़ेगा. जिन मुद्दों पर मुङो गालियां दे रहे थे, दो लाख सत्तर करोड़ का पैकेज लेकर आना पडा. आना पडा कि नहीं आना पडा. मुङो खुशी इस बात की है कि विकास इस चुनाव का मुददा बनना चाहिए. मुङो खुशी इस बात की है कि चाहे यूपीए के लोग हो, एनडीए के लोग हों. दोनों अपनी तरफ से बिहार का भला कैसे करेंगे, वो अपने मुद्दे लेकर आयेंगे. चुनाव में यही आवश्यक है. मुङो खुशी है कि 25 साल तक जिन्होंने जातिवाद सांप्रदायिकता का जहर फैलाया और उनलोगों को मजबूरन, मजबूरन, मजबूरन पैकेज लेकर आना पड़ा. मुङो बताओ भाइयो-बहनो इससे बिहार को लाभ होगा कि नहीं होगा. मोदी पैकेज लाये तो बिहार सरकार पैकेज लाये तो लाभ होगा कि नहीं. विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ना चाहिए कि नहीं. नौजवान को रोजगार देने के लिए चुनाव लड़ना चाहिए कि नहीं.
गुंडाराज खत्म करने के लिए चुनाव लड़ना चाहिए कि नहीं. उनको मजबूरन, मजबूरन विकास के रास्ते पर आना पड़ा. और इसलिए भाइयो-बहनो मैं तो चाहता हूं कि दिल्ली सरकार और राज्य के बीच विकास की स्पर्धा होनी चाहिए. मैं तो चाहता हूं कि राज्यों के बीच विकास की स्पर्धा होनी चाहिए. लेकिन भाइयो बहनों अभी भी जनता की आंख में धूल झोंकने की कुछ लोगों की आदत नहीं जाती है. मैं जरा आंकडे बताना चाहता हूं, बताउं भाइयों. आप घर-घर मेरी बात पहुंचाओगे. आप समझाओगे. आज बिहार में हर वर्ष बिहार का जो बजट है वह 50-55 हजार करोड़ रुपये एक साल का होता है. मुङो बताइये, पांच साल का कितना होगा. ढाई लाख करोड़ का होगा कि नहीं. अगर 55 हजार करोड़ है, तो 2 लाख 70 हजार करोड़ पहुंच जायेगा या नहीं. इसका मतलब हुआ कि आपका जो वार्षिक बजट है, अभी जो चल रहा है.
पिछले साल भी था. उसके आगे वाले साल भी था. उसी का पांच गुना कर आपने बिहार की जनता की आंख में धूल झोंकने का पाप किया है. मैं दूसरी बात बताता हूं, आप चौंक जाओगे मेरे भाइयो-बहनो. हर राज्यों के बीच विकास कैसे हो, इसके लिए एक फाइनेंस कमीशन होता है. यह फाइनेंस कमीशन पांच साल के लिए भारत सरकार राज्य सरकार को कितना पैसा देगी, उसका फैसला करती है. 14वां जो फाइनांस कमीशन है उसने जो कहा है, उसके हिसाब से बिहार को पांच साल में भारत सरकार की तिजोरी से तीन लाख 74 हजार करोड़ रुपया मिलनेवाला है. बोलिये कितना. करीब-करीब पौने लाख करोड़ रुपया दिल्ली से पांच साल में मिलनेवाला है. और ये जो मेरा एक लाख 65 हजार करोड़ का पैकेज है, उससे अलग है. पौने चार लाख करोड़ फाइनेंस कमीशन से आनेवाले हैं, बिहार की तिजोरी में. अब मुङो बताओ, भइया. जरा ध्यान से सुनिये. दिल्ली सरकार के खजाने से तीन लाख 74 हजार करोड़ तो आनेवाला है. और आप पैकेज दे रहे हो दो लाख 70 हजार करोड़ का. मतलब कि आपका अपना कुछ नहीं. जनता से जो टैक्स आता है उसका कुछ नहीं. दिल्ली से जो आयेगा तीन लाख 74 हजार करोड़, उसमें से भी कितना 2 लाख सत्तर हजार करोड़. जरा पूछना चाहिये कि एक लाख छह हजार करोड़ कहां जायेगा. एक लाख छह हजार करोड़ कहां जायेगा. भाइयो-बहनो जरा पूछना पड़ेगा कि भारत सरकार का 3 लाख 76 हजार करोड़ आना है. तो एक लाख छह हजार करोड़ क्या चारे के लिए लगाया जायेगा क्या.
यह चारे की खाता-बही में डाला जायेगा क्या. यह धोखा है कि नहीं है. ये बिहार के लोगों को मूर्ख बनाने का प्रयास है कि नहीं. लेकिन सत्ता के नशे में चूर लोग समझ लें, आप बिहार के बुद्धिमान लोगों को कभी मूर्ख नहीं बना पाओगे. मुङो आज एक बात ये भी कहनी है कि क्योंकि मैं चाहता हूं कि विकास के मुददे पर चर्चा हो देश में और विकास के आधार पर. मैं आज स्वास्थ्य को लेकर बिहार का क्या हाल है. इसका खाता आपके सामने रखना चाहता हूं. गरीब लोगों को बीमारी में मदद मिले उसके लिए सीएचसी होते हैं. हम जानते हैं कि हर राज्य सीएचसी सेंटर बनाने का प्रयास करती है ताकि गरीबों को बीमारी में दवा, डॉक्टर मदद मिल जाये.
लेकिन, भाइयो-बहनो बिहार का चित्र देखिये. हमारे देश में तीन हजार तीन सौ सीएचसी बढ़ कर पांच हजार तीन सौ हुए. देश में करीब दो हजार सीएचसी बढे. राजस्थान में पहले 336 सीएचसी थे वो 567 हो गये. करीब-करीब दो सौ से ज्यादा बढ़ गये. मध्य प्रदेश में 229 थे वह बढ़ कर 334 हो गये. छत्तीसगढ में 116 थे, बढ़ कर 157 हो गये. लेकिन आपको ये जानकर धक्का लगेगा गरीब बीमार हो, उसको मदद करने के लिए सीएचसी सेंटर होता है. हिन्दुस्तान के गरीब से गरीब राज्यों ने भी उसकी संख्या बढ़ायी. लेकिन बिहार में 2005 में 101 सेंटर थे. 2014 आते-आते 101 से 105, 110 नहीं हुए यह 70 हो गये.
मेरे भाइयो, बताइये, ये गरीबों की सेवा है क्या. भाइयो-बहनो, इतना ही नहीं, पैसों की कोई कमी नहीं है. आरोग्य विभाग के लिए, स्वास्थ्य के लिए बिहार सरकार को जो पैसे दिये थे, उसमें से 536 करोड़ रुपया ये खर्च नहीं कर पाये. पड़े रहे. मुङो बताइये, पैसे हो, इसके बावजूद काम न हो. ऐसी सरकार को निकालना चाहिए कि नहीं. ऐसी सरकार को हटाना चाहिए कि नहीं.
गरीब को दवाई मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए कि नहीं. बीमार को डॉक्टर मिलना चाहिए कि नहीं. भाइयो-बहनो, हमें ये ताना मारा जा रहा कि 14 महीने के बाद बिहार की याद आयी. भाइयो-बहनो, जिनको सच बोलने की आदत नहीं, उनके लिए मुङो ये बात बतानी जरूरी नहीं लगती. लेकिन मेरी बिहार की जनता को मेरे काम का हिसाब देना चाहिए. हमें बिहार की याद नहीं आयी. भाइयो-बहनो जिस समय नेपाल में भूंकप आया और मुङो लगा कि इस भूकंप का असर बिहार में होगा. पहला व्यक्ति मैं था, जिन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री को फोन किया. भूकंप में आपके यहां क्या स्थिति है. कहा मोदी जी मैं दिल्ली में हूं. मुङो अभी कोई जानकारी नहीं है. मैंने बिहार के हर जिले में फोन किया. एक के हर नेता को फोन किया. सबको दौड़ाया. मैनें कहा ये भूंकंप का असर नेपाल से सटे जिलों में हो सकता है. तुरंत पहुंचिये. मेरी सरकार के मंत्रियों को बिहार के हर जिले में भेजा. क्या किया वो आप जानते हैं. भूकंप के कारण जिनको मुसीबत आयी है इनकी चिंता करने का काम दिल्ली सरकार ने प्रधानमंत्री ने सबसे पहले किया था भाइयो-बहनो. पिछले वर्ष हमारी सरकार नयी-नयी बनी थी.
नेपाल में कोसी नदी पर एक पहाड़ गिर गया. नदी बंद हो गयी और लगा कि यहां पानी भरता जायेगा और जिस दिन ये पहाड़ खिसकेगा, ये पूरा पानी कोसी की ओर बढ़ेगा और ये पूरा इलाका फिर से एक बार तबाह हो जायेगा. दिल्ली सरकार पहली थी, ये प्रधानमंत्री पहला था जिसने सबसे पहले दिल्ली से हमारे एनडीए कार्यकर्ताओं, जो डिजास्टर मैनेजमेंट करते हैं, उसे नदी के किनाने गांव खाली करवाये. लो ग मानने को तैयार नहीं थे, समझाया. नेपाल सरकार को समझाने दिल्ली से अफसर भेजे. वह पानी एक बार निकल जाये, जो पहाड़ गिरा है वह हट जाये. मैं नतमतस्तक होकर कहता हूं कि समय से पहले जागने के कारण हमने कोसी के इलाके को दोबारा डूबने से बचा लिया. इतना ही नहीं हमारे मांझी जी मुख्यमंत्री थे और गांधी मैदान में घटना हुई. कुछ लोग मारे गये. मैं पहला व्यक्ति था जिसने तुरंत, बिहार के मुख्यमंत्री को फोन किया. तब ये हमारे साथ नहीं थे. तुरंत फोन किया. हादसा कैसा हुआ है, मुङो क्या मदद करनी चाहिये. मुङो तुरंत बताइये, मैं आपको मदद पहुंचाता हूं. भाइयो-बहनो, जब भूाला ही नहीं तो याद आने का सवाल कहां से उठता है.
याद तो उनको आती है जो सत्ता के नशे में भूल जाते हैं. उनको बिहार की कभी याद नहीं आती. भाइयो-बहनो इनको बिहार की कितनी चिंता है, हमें कहते हैं बिहार की याद नहीं आती है. हमने बजट में बिहार को पैकेज, की घोषणा की थी ताकि बिहार के अंदर उद्योग लगे. बजट में घोषित किया था और बिहार सरकार की जिम्मेवारी थी कि वह अपने राज्य में कौन से बैकवर्ड डिस्ट्रिक्ट हैं, उसकी सूची बना कर दें. मार्च महीने में आया मई तक बिहार सरकार ने सूची नहीं दी. देना चाहिये या नहीं. दिल्ली से योजना बनी तो उसका लाभ लेना चाहिये कि नहीं. स्पेशल पैकेज का फायदा लेना चाहिये कि नहीं.
ये बिहार सरकार सोयी पड़ी थी. आखिर मई में दिल्ली सरकार ने चिट्ठी लिखी कि हमने बजट में प्रावधान किया है कि आपको जानकर दुख होगा. मई माह में चिट्ठी लिखी लेकिन 21 जिले का नाम देते-देते अगस्त आ गया. जो देते हैं, उसका उपयोग कर नहीं पाते हो. कैसे बिहार के लोगों को रोजगार मिलेगा. इसलिए आपसे आग्रह करने आया हूं, आज देश आपसे कुछ मांग रहा है भाइयो.
सारा देश मानता है बिहार एक बार आगे निकल गया तो हिन्दुस्तान आगे निकल जायेगा. इसलिए आप संकल्प लें और भाजपा व एनडीए के साथियों को इस चुनाव में बहुमत दिलाइये. आप जैसा चाहते हो, वैसा बिहार बनाने के लिए वोट दीजिये. इसी संकल्प के साथ जोर से बोलिये भारत माता की जय, भारत माता की जय.