जर्जर छोड़ अच्छी सड़क की मरम्मत
भागलपुर: शहर की अंदरूनी सड़कें हो या फिर बाहर जाने वाली सड़कें जर्जर व गड्ढों से भरी है. रोज वाहन खराब हो रहे है और लोग दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, पर जवाबदेह चुप है. ओपीआरएमसी मेंटेनेंस पॉलिसी में सात सड़कों को शामिल किया गया है, जिसमें तिलकामांझी-चंपानगर पथ वाया आदमपुर (सात किमी) में दूसरे किमी […]
By Prabhat Khabar Digital Desk |
October 3, 2015 8:53 AM
भागलपुर: शहर की अंदरूनी सड़कें हो या फिर बाहर जाने वाली सड़कें जर्जर व गड्ढों से भरी है. रोज वाहन खराब हो रहे है और लोग दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं, पर जवाबदेह चुप है.
ओपीआरएमसी मेंटेनेंस पॉलिसी में सात सड़कों को शामिल किया गया है, जिसमें तिलकामांझी-चंपानगर पथ वाया आदमपुर (सात किमी) में दूसरे किमी से आठवें किमी तक, महिला कॉलेज मिरजानहाट पथ (तीन किमी) में महिला कॉलेज से तीसरे किमी शीतला स्थान चौक तक,भागलपुर-अगरपुर भाया कजरैली पथ (16 किमी) में भागलपुर से 16 वें किमी तक, भागलपुर हंसडीहा पथ (16 किमी) में भागलपुर से 16 वें किमी जगदीशपुर तक, तिलकामांझी-बरारी पथ (तीन किमी) में तिलकामांझी से बरारी तक, भागलपुर वैकल्पिक बाइपास (1.3 किमी) में हवाई अड्डा से होली फैमिली स्कूल मोड़ तक एवं भागलपुर-अमरपुर-कोतवाली पथ (17.14 किमी) में भागलपुर से कोतवाली तक वाया लोदीपुर थाना तक शामिल है. मगर, उक्त सड़कों का मेंटेनेंस सही तरीके से नहीं हो रहा है. यहीं नहीं, कई ऐसी सड़कें है, जिसका मरम्मत कार्य अबतक शुरू भी नहीं किया जा सका है.
नगर निगम : 10 साल से नहीं करायी सड़कों की मरम्मत : भले ही नगर निगम जर्जर सड़कों का निर्माण कराता हो, मगर जर्जर सड़कों को कम से कम चलने लायक तैयार करने के प्रति गैर जिम्मेदार बने हुए हैं. पिछले 10 साल में शहर के अंदर की एक भी सड़क मरम्मत कर चलने लायक तैयार नहीं कर सका है और न ही एक पैसा खर्च नहीं किया गया है.
साहेब के घर तक चमचमाती सड़क, और जगह क्यों नहीं : जिलाधिकारी हो या एसएसपी अथवा डीडीसी के घर तक जाने वाली सड़कें चमचमाती है. जिलाधिकारी आवास से कार्यालय तक तिलकामांझी से कचहरी चौक और तिलकामांझी से घूरनपीर बाबा होकर कचहरी चौक चमचमाती सड़क है. इसके अलावा एसएसपी आवास से कार्यालय तक तिलकामांझी-घूरनपीर बाबा मार्ग, डीडीसी आवास से कार्यालय तक घूरनपीर बाबा-कचहरी चौक मार्ग भी चमचमाती है. मगर, शहर में ऐसे कई इलाके हैं, जहां की सड़क बनी ही नहीं. लगातार मांग के बावजूद उक्त उच्चाधिकारियों का अबतक ध्यान नहीं गया है. जर्जर सड़कों पर दिन-रात आवाजाही होती है और इस पर लोगों को गिरते-पड़ते चलने की विवशता बनी है.