जिले के स्कूलों में फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी करने वाले 116 नियोजित शिक्षकों को निगरानी ने दोषी करार दिया है. उन शिक्षकों को हटाने के लिए शिक्षा विभाग को निर्देश दिया गया है, लेकिन पांच माह से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी केवल 55 शिक्षकों को ही नियोजन इकाई ने अबतक हटाया है. जारी निर्देश पर जिला शिक्षा विभाग ने उन सभी नियोजित शिक्षकों का वेतन पहले से ही बंद कर दिया है. उन शिक्षकों को नियोजन इकाई हटा नहीं पा रहा है, तो शिक्षा विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है. बताया जा रहा है कि फर्जी शिक्षकों को हटाने के लिए जिला शिक्षा विभाग ने संबंधित नियोजन इकाई को कई बार पत्र लिख है. बावजूद इकाई इस दिशा में कोई कार्रवाई करने से बच रहा है. ऐसे में नियोजन इकाई पर सवाल उठने लगा है. लगातार पत्र के बावजूद संज्ञान नहीं ले रहा नियोजन इकाई इधर, स्थापना डीपीओ देवनारायण पंडित ने कहा कि उन शिक्षकों को हटाने के लिए बीईओ के माध्यम से संबंधित नियोजन इकाई को फिर से पत्र भेजा गया है, लेकिन नियोजन इकाई की तरफ से संज्ञान नहीं लिया जा रहा है. डीपीओ ने कहा कि 116 में केवल 55 शिक्षकों को हटाने की जानकारी विभाग को दी गयी है. सूबे में 2126 फर्जी शिक्षकों में जिले के 116 नाम शामिल गौरतलब हो कि 116 शिक्षक 2015 से 2023 तक फर्जी सर्टिफिकेट पर जिले में नौकरी करते रहे. ऐसे शिक्षकों की संख्या सूबे में 2126 थे. मामले में निगरानी विभाग में केस हुआ था. इसके अंतर्गत जिले में 20 एफआइआर में 116 फर्जी शिक्षक मिले थे. उस सूची में बिहपुर में सबसे ज्यादा 38 फर्जी शिक्षक मिले थे. साथ ही खरीक में 18, नवगछिया में 11 व पीरपैंती में 10 शिक्षक मिले थे. वहीं, गोराडीह, सुल्तानगंज, सबौर, नाथनगर व नगर निगम के एक-एक शिक्षक फर्जी मिले थे. जबकि रंगरा चौक में दो, गोपालपुर में पांच, कहलगांव में नौ, शाहकुंड में चार व नारायणपुर में भी छह, जगदीशपुर व सन्हौला में तीन-तीन शिक्षक फर्जी मिले थे. .
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