राजा दशरथ के घर बधाइयां , जनकपुर में सीता ने लिया जन्म

राजा दशरथ के घर बधाइयां , जनकपुर में सीता ने लिया जन्म प्रतिनिधि,नाथनगर जाओ जहां भी साधु ऋषि यज्ञ करते दिखे, उनका यज्ञ विध्वंस कर दो़ पहले उसे लंकेश का नाम लेने को बोलाे. यदि वह ऐसा नहीं करते हैं, तो उसे पकड़ कर ले आओ़ यह आदेश लंकापति रावण ने अपनी राक्षसी सेना को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2015 8:35 PM

राजा दशरथ के घर बधाइयां , जनकपुर में सीता ने लिया जन्म प्रतिनिधि,नाथनगर जाओ जहां भी साधु ऋषि यज्ञ करते दिखे, उनका यज्ञ विध्वंस कर दो़ पहले उसे लंकेश का नाम लेने को बोलाे. यदि वह ऐसा नहीं करते हैं, तो उसे पकड़ कर ले आओ़ यह आदेश लंकापति रावण ने अपनी राक्षसी सेना को नाथनगर गोलदार पट्टी के रामलीला मंच से दी़ राक्षसी सेना के सेनापति ने लंकेश के इस आदेश का पालन करते हुए लंका में जितने भी साधु संत यज्ञ कर रहे थे, सबसे पहले उनके यज्ञ को विध्वंस कर दिया. सब साधु संत को पकड़ वह रावण के पास ले आया़ रावण ने साधु संतों को मार उनका खून एक बड़े घड़े में जमा करवाया और आदेश दिया कि इसे जनकपुर में फेंक दो़ राक्षसी सेनापति ने आदेश का पालन किया़ तभी मंच पर एक दृश्य दिखाया गया, जिसमें जनकपुर में काफी दिनों से बारिश नहीं होने के कारण त्राहिमाम मची थी. राजा जनक को ऋषियों ने सलाह दी कि यदि राजन आप साेने के हल से खेत में ढाई फेरा जोत करेंगे, तो बारिश होगी़ राजा जनक ने प्रजा के सुख के लिए सोने का हल खेत में चलाया़ जैसे ही ढाई फेरा पूरा हुआ. हल का फाल खेत के अंदर पड़े मिट्टी के घड़े से टकराया, जिसे बाहर निकाल फोड़ने पर सीता जी का जन्म हुआ़ साधु संतों के खून से भरा यह वही घड़ा था, जिसे रावण के राक्षस दूत ने जनकपुर के खेत में फेंक दिया था़ सीताजी के जन्म लेते ही पूरे राज्य में जोरों की बारिश शुरू हो गयी़ बारिश होते देख जनकपुर की प्रजा खुशी से झूम उठी़ रामलीला परिसर दशर्कों के जगत जननी सीता मैया की जयकारे से गूंज उठा़ मंच पर राजा दशरथ के राज दरबार में चारों भाइयों के जन्म पर बधाईयां देने का ताता लगा दृश्य दिखाया गया़ राजमहल में महिलाएं गीत गा रही थी़ वशिष्ठ मुनि नामकरण कर रहे थे़ वशिष्ठ मुनी ने वैदिक रीति रिवाज से सबसे बड़े पुत्र का नाम राम, इसके बाद लक्षमण, भरत व शत्रुघन का नामकरण किया़ भगवान राम के जन्म लेने की सूचना गुरु विश्वामित्र को भी मिल गयी थी़ वह भी अपने आश्रम से राजा दशरथ के दरबार की ओर निकल पड़े. गोलदार पट्टी में दशहरा पर हर साल रामलीला का मंचन होता है़ इसे देखने आस पास के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते है़ं देर रात तक यहां दर्शक भक्ति रस में गोता लगाते है़ं यही रामलीला मंडली कर्णगढ़ में आठ, नौ व दसवीं पूजा को रामलीला मैदान में राम लीला करती है़

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