मुहर्रम का चांद दिखा, पहलाम 24 को
मुहर्रम का चांद दिखा, पहलाम 24 को – इमामबाड़ों पर रंग रोगन व आसपास के क्षेत्रों में साफ-सफाई शुरू- लोगों ने एक-दूसरे को दी नये साल की मुबारकबादनोट : फोटो फाइल से मुफ्ती मौलाना फारूक आलम अशरफी का लगा लगेंगे संवाददाता, भागलपुर बुधवार को मुहर्रम का चांद लोगों ने देखा. 24 अक्तूबर को मुहर्रम का […]
मुहर्रम का चांद दिखा, पहलाम 24 को – इमामबाड़ों पर रंग रोगन व आसपास के क्षेत्रों में साफ-सफाई शुरू- लोगों ने एक-दूसरे को दी नये साल की मुबारकबादनोट : फोटो फाइल से मुफ्ती मौलाना फारूक आलम अशरफी का लगा लगेंगे संवाददाता, भागलपुर बुधवार को मुहर्रम का चांद लोगों ने देखा. 24 अक्तूबर को मुहर्रम का पहलाम शाहजंगी करबला मैदान में होगा. इसे लेकर शहरी व आसपास के मुसलिम क्षेत्रों के इमामबाड़ों में रंग-रोगन व आसपास की साफ-सफाई शुरू कर दी गयी है. इमामबाड़ों पर ताशा व ढोल बजने शुरू हो गये हैं. इसलामिक कैलेंडर के एतवार से मुहर्रम की पहली तारीख उर्दू साल के नये वर्ष के रूप में मनाया जाता है. इसे लेकर लोगों ने एक-दूसरे को नये साल की मुबारकबाद दी. दूर-दराज से लोगों ने अपने रिश्तेदारों को मोबाइल व व्हाट्सएप पर भी मैसेज भेज कर नये साल की बधाई दी. इसलामिक तारिखों से जुड़ा है मुहर्रम मुहर्रम इसलामिक वर्ष यानी हिजरी सन का पहला महीना है. यह महीना इसलामिक एतवार से कई तारिखों से जुड़ा है. मुहर्रम की दसवीं तारीख को यौमे-ए-अाशुरा भी कहते हैं. इससे बहुत सारे पैगंबरों का नाता जुड़ा हुआ है. हजरत आदम अलैह सलाम का तौबा इसी दिन अल्लाह ने कबूल फरमाया था. हजरत नूह अलैह सलाम की किश्ती को किनारा मिला था. हजरत युनूस अलैह सलाम मछली के पेट से बाहर आये थे. इसी दिन हजरत मुसा अलैह सलाम को आसमानी किताब मिली. इसी दिन पैगंबर साहब के नवासे हजरत इमाम हुसैन अलैह सलाम हक व सच्चाई के लिए शहीद कर दिये गये थे. उक्त बातें मदरसा जामिया शहबाजिया के हेड शिक्षक मुफ्ती मौलाना फारूक आलम अशरफी ने कही. उन्होंने बताया कि इसलाम को बचाने के लिए सन 680 में यजीद ने हजरत इमाम हुसैन व उनके 72 साथियों के साथ मैदान-ए-करबला ईराक में शहीद कर दिया था. उनकी इस कुरबानी को अल्लाह की तरफ से इनाम मिला कि 1400 वर्ष बाद भी याद के रूप में मनाया जाता है. मुहर्रम के नौवीं व दसवीं तारीख को रोजा रखने और इबादत करने से बड़ा सबाब मिलता है. लोगों को चाहिए कि मुहर्रम के एक से दसवीं तारीख तक घरों व मसजिदों में खूब इबादत करें.