दल्लिी में दाल सस्ती, भागलपुर में क्यों नहीं‍

दिल्ली में दाल सस्ती, भागलपुर में क्यों नहीं‍-भागलपुर की जनता उठा रही सवाल – दिल्ली में 120 रुपये अरहर दाल तो प्याज 28 रुपये, भागलपुर में बिक रहा 155 से 170 रुपये किलो तो प्याज 60-65 रुपये संवाददाता,भागलपुर दाल, चीनी से लेकर हरी सब्जी तक पर महंगाई की मार है. डेढ़ माह में अरहर दाल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 14, 2015 11:18 PM

दिल्ली में दाल सस्ती, भागलपुर में क्यों नहीं‍-भागलपुर की जनता उठा रही सवाल – दिल्ली में 120 रुपये अरहर दाल तो प्याज 28 रुपये, भागलपुर में बिक रहा 155 से 170 रुपये किलो तो प्याज 60-65 रुपये संवाददाता,भागलपुर दाल, चीनी से लेकर हरी सब्जी तक पर महंगाई की मार है. डेढ़ माह में अरहर दाल 90 से बढ़ कर 170 रुपये किलो पर पहुंच गया है, जबकि प्याज 65 रुपये पर स्थिर है. हरी सब्जी में कोई ही सब्जी 30-40 रुपये किलो से नीचे नहीं है. इससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है. केंद्र सरकार जनता को सस्ता खाद्य सामग्री मुहैया कराने के लिए विदेशों से दाल, प्याज व अन्य खाद्यान्न आयात कर रही है. भागलपुर के लोग सवाल उठा रहे हैं कि दिल्ली की जनता को यह सस्ते भाव में उपलब्ध हाे रही है, तो भागलपुर में क्यों नहीं.लोगों का कहना है कि जब दिल्ली सरकार जनता के लिए केंद्र सरकार से खाद्यान्न की खरीद कर जनता के बीच सस्ते में वितरण करा रही है, तो बिहार सरकार क्यों नहीं. कुछ का कहना है कि विधानसभा चुनाव में राज्य सरकार के लिए आचार संहिता अड़ंगा हो सकता है, लेकिन लोगों की मूलभूत आवश्यकता को प्राथमिकता के रूप में भोजन उपलब्ध कराने को सरकार कैसे नजर अंदाज कर सकती है. 200 तक पहुंच सकता है अरहर दालथोक दाल कारोबारी रोहित जैन बताते हैं कि भागलपुर बाजार में अरहर दाल की नयी खेप नहीं पहुंची है. पहले से आयी दाल को ही यहां के दुकानदार 150 से 170 रुपये तक में बेच रहे हैं. केंद्र सरकार जितनी दाल वर्मा से मंगवा रही है, उतना पूरे देश के लिए पर्याप्त नहीं है. वह जमाखोरों के हाथ में जाने की संभावना है. अभी केवल दिल्ली के मदर डेयरी या सरकारी अनाज भंडार में ही सस्ते में प्याज व दाल उपलब्ध हो रहे हैं. अन्य राज्यों में भी सरकारी दर पर दाल उपलब्ध कराने का नियम लागू नहीं हुआ है. उन्होंने बताया कि कटनी में 70 फीसदी दाल मिल बंद हो चुकी है, चूंकि अरहर दाल कटनी व महाराष्ट्र अकोला से पूरे देश में सप्लाइ होती है. यदि यहां पर आयातित दाल नहीं लाया गया, तो खुदरा में 200 रुपये तक भी अरहर दाल के भाव चढ़ने व अन्य दाल के भाव बढ़ने की संभावना है. कहती हैं गृहिणी अरहर दाल तो मेहमानबाजी के लिए ही बन रही है. पहले रोज-रोज अरहर दाल थाली में रहती थी. अन्य दाल के भाव भी कम नहीं हैं. इसके लिए विकल्प में सोयाबीन, मटर व राजमा आदि का उपयोग कर रही हूं. सरकार की ओर से कोई पहल नहीं हो रही है. केवल समाचार में सस्ता होने का आश्वासन मिल रहा है.जुली प्रिया, नया बाजारखाने-पीने की चीजों में कोई चीज ऐसी नहीं है जो सस्ता हो. हर चीजों का भाव बढ़ता जा रहा है और नेता व जनप्रतिनिधि लोगों को दूसरी बातों में उलझाने में लगे हैं. मूलभूत सुविधा रोटी-कपड़ा व आवास की चिंता किसी को नहीं है. कोई हवाई सपना दिखाता, तो कोई जात-पात में भटकाता.प्रिया भारती, आनंद मार्ग कॉलोनी अलीगंज शहर के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों ही नहीं मध्यवर्गीय लोगों की थाली से भोजन में मिठास लाने वाली चीनी और पौष्टिकता लाने वाला दाल गायब होती जा रही है. दाल की कटोरी में पानी अधिक और दाल कम नजर आने लगी है. केंद्र सरकार तो आयात कर रही है, लेकिन प्रदेश सरकार को वहां से दाल व प्याज मंगाना होगा. जैसे दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने प्याज व अरहर दाल मंगवा कर कम दाम में बेचा, इससे आम लोगों को सामान्य दर पर चीजें मिली. अगर यहां पर भी राज्य सरकार इस मामले में आगे बढ़े, तो यहां भी सामान्य दर पर प्याज व अरहर दाल उपलब्ध हो सकता है. अभी चुनाव की प्रक्रिया चल रही है और आचार संहिता लागू है. इसलिए लगता है कि अब नयी सरकार के आने के बाद ही महंगाई पर नियंत्रण लगाने की दिशा में कदम उठाया जा सकेगा. शैलेंद्र सर्राफ, अध्यक्ष, चेंबर ऑफ कॉमर्स

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