यहां मां भगवती को चढ़ती लाखों की बलि
यहां मां भगवती को चढ़ती लाखों की बलिसंवाददाता भागलपुरनवरात्र के पर्व पर मां को प्रसन्न करने के लिए कई तरीके से पूजा-अर्चना की जाती है. कहीं मां को हलवा-पूड़ी और मेवा-मिठाई का भोग लगता है तो कहीं नारियल की प्रतीकात्मक बलि दी जाती है. जिले के रन्नूचक गांव में बकरे की बलि दी जाती है. […]
यहां मां भगवती को चढ़ती लाखों की बलिसंवाददाता भागलपुरनवरात्र के पर्व पर मां को प्रसन्न करने के लिए कई तरीके से पूजा-अर्चना की जाती है. कहीं मां को हलवा-पूड़ी और मेवा-मिठाई का भोग लगता है तो कहीं नारियल की प्रतीकात्मक बलि दी जाती है. जिले के रन्नूचक गांव में बकरे की बलि दी जाती है. भागलपुर शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित रन्नू चक गांव में एक प्राचीन मां दुर्गा का मंदिर है. इस मंदिर में पूरे नवरात्र भर विधिवत मां की पूजा-अर्चना की जाती है. गांव के वयोवृद्ध कपिलदेव झा के अनुसार, मंदिर में सार्वजनिक चंदे से एक बकरे की बलि शारदीय नवरात्र के सप्तमी तिथि को मंदिर के बाहर चढ़ायी जाती है. सार्वजनिक चंदे से मां को दूसरी बलि अष्टमी-नवमी की मध्य रात्रि(रात 11:55 बजे) में मंदिर के बाहर चढ़ायी जाती है जिसे निशा बलि कहा जाता है. निशा बलि के बाद कपिलदेव झा मां भगवती की नवमी की पूजा-अर्चना कर उन्हें भोग लगाते हैं. नवमी की पहली बलि के लिए लगती है एक लाख के ऊपर की बोलीकपिलदेव झा बताते हैं कि नवमी की सार्वजनिक चंदे से दी गयी बकरे की बलि के बाद व्यक्तिगत रूप से दी जाने वाली पहली बलि के लिये बोली लगती है. जो सबसे ज्यादा बोली लगाता है, उसे ही मां को पहली व्यक्तिगत बकरे की बलि देने का सौभाग्य मिलता है. श्री झा बताते हैं कि बीते शारदीय नवरात्र मेें सबसे ऊंची बोली 1.31 लाख रुपये की लगी थी. अनुमान है कि इस बार डेढ़ लाख रुपये तक की बोली लग सकती है. टोकन के अनुसार क्रमवार देते हैं लोग बलिनवमी को श्रद्धालु बलि देने के लिए रात में कतार में लग जाते है. मंदिर समिति उन्हें लाइन में लगने के क्रम के अनुसार टोकन देती है. दसके आधार पर उन्हें बकरे की बलि देने का अवसर मिलता है. श्री झा बताते हैं कि यहां पर पिछले साल 300 बकरों की बलि दी गयी थी……………….