नर्सिंग होम का होगा निबंधन
नर्सिंग होम का होगा निबंधन – बिना निबंधन के चल रहे क्लिनिक व नर्सिंग होम होंगे बंद- भागलपुर में चल रहे हैं करीब 250 प्राइवेट क्लिनिक- शहर में 100 से ज्यादा छोटे व बड़े नर्सिंग होम चल रहे हैं-करीब एक हजार की संख्या में होमियोपैथिक व आयुर्वेदिक क्लिनिक संवाददाता भागलपुर :भागलपुर समेत बिहार के नर्सिंग […]
नर्सिंग होम का होगा निबंधन – बिना निबंधन के चल रहे क्लिनिक व नर्सिंग होम होंगे बंद- भागलपुर में चल रहे हैं करीब 250 प्राइवेट क्लिनिक- शहर में 100 से ज्यादा छोटे व बड़े नर्सिंग होम चल रहे हैं-करीब एक हजार की संख्या में होमियोपैथिक व आयुर्वेदिक क्लिनिक संवाददाता भागलपुर :भागलपुर समेत बिहार के नर्सिंग पर अंकुश लगाने के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक का आैपबंधिक यानी प्रोविजनल रूप से रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है. रजिस्ट्रेशन होने के बाद सभी नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक का निरीक्षण किया जायेगा. मानक के अनुरूप नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक पाया जायेगा तो उसे ऑरिजिनल प्रमाण पत्र दिया जायेगा. अगर मानक के अनुरूप नहीं पाया गया तो उसे सील कर दिया जायेगा. वैसे इसके लिए राज्य सरकार अभी तक कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं की है. उम्मीद है कि दिसंबर तक इसे पूरा कर लिया जायेगा. भागलपुर में क्या है स्थितिएक अनुमान के मुताबिक भागलपुर में 100 से ज्यादा नर्सिंग होम और 250 के करीब प्राइवेट क्लिनिक चल रहे हैं. साथ ही जवाहरलाल नेहरू मेडिकल अस्पताल व सदर अस्पताल के अलावा चार रेफरल अस्पताल और 16 पीएचसी चल रहे हैं. वर्तमान में एक भी नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक का निबंधन नहीं हुआ है. वैसे जेएलएनएमसीएच ने करीब 15 दिन पहले अस्पताल के निबंधन के लिए फार्म भरकर भेजा है. बता दें कि निबंधन के दायरे में नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक के अलावा होमियो पैथिक व आयुर्वेदिक क्लिनिक भी आते हैं. भागलपुर में होमियो पैथिक व आयुर्वेदिक क्लिनिक की संख्या भी 1000 से ऊपर है. नर्सिंग होम निबंधन के लिए क्या-क्या करने हैं पालन नर्सिंग होम ऐसी जगह पर हो, जहां मरीज, अग्निशामन व एंबुलेंस आराम से पहुंच सकेकमरे पूरी तरह से हवादार और पर्याप्त मात्रा में रोशनी आता होपरिसर पूरी तरह साफ-सुथरा और पेयजल की पूरी व्यवस्था होआपदा या संकट की स्थिति में सिविल सर्जन के कहने पर सहायता उपलब्ध करा सकेंचिकित्सक व पारा मेडिकल स्टाफ के नाम, योग्यता व रजिस्ट्रेशन संख्या स्थायी रूप से दर्शाया जाये, इसमें परिवर्तन होने पर इसकी सूचना परिवर्तन की तिथि से तीन दिनों के अंदर सक्षम प्राधिकार सिविल सर्जन को देना होगाबिजली जाने पर जेनरेटर की व्यवस्था, आवासीय स्थान के परिसर में नर्सिंग होम नहीं रहे, यह परामर्श कक्ष पर लागू नहीं होगा. 10 गुना महंगी हो जायेगी इलाज आइएमए के डॉ डीपी सिंह ने बताया कि नर्सिंग होम एक्ट कई बिंदु ऐसे हैं, जिसे व्यवहार में उतारना संभव नहीं है. उन्होंने एक उदाहरण स्वरूप बताया कि एक्ट के तहत ट्रेंड पारा मेडिकल स्टाफ रखना अनिवार्य होगा. दिक्कत यह है कि इतनी संख्या में ट्रेंड मेडिकल स्टाफ नहीं हैं और दूसरी सालों साल से काम कर रहे लाखाें की संख्या में पारा स्टाफ के सामने रोजी-रोटी की संकट खड़ा हो जायेगा. वर्तमान में पारा स्टाफ पांच से छह हजार में मिल जाता है, लेकिन ट्रेंड पारा स्टाफ के लिए 25 से 30 हजार देना होगा. इसके अलावा सभी प्रकार के नियम व कानून पालन करने के बाद जिस रोग का इलाज आज पांच हजार में हो जाता है, उस रोग का इलाज का खर्च 50 हजार हो जायेगा. इलाज का खर्च मेट्रो शहर व छोटे शहर के बीच कोई अंतर नहीं रह जायेगा. क्या है आइएमए का स्टैंड भागलपुर इकाई आइएमए अध्यक्ष डॉ एससी झा ने बताया कि बिहार क्लिनिकल एसटेबलिसमेंट एक्ट का आइएमए शुरू से विरोध कर रही है. उन्होंने कहा कि नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक का निबंधन कराने का निर्णय पटना आइएमए की ओर से लिया जायेगा. जबतक भागलपुर आइएमए को वहां से कोई निर्देश नहीं आता है, तब तक निबंधन कराने का सवाल ही नहीं उठता है. उन्होंने कहा कि आइएमए की ओर से 16 नवंबर को एक्ट के विरोध में हड़ताल प्रस्तावित है. बॉक्स में…………नर्सिंग होम एक्ट के विरोध में 16 नवंबर को राज्यव्यापी आंदोलन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बिहार चेप्टर के अध्यक्ष डॉ डीपी सिंह ने बताया कि वर्तमान नर्सिंग होम व प्राइवेट क्लिनिक एक्ट मेट्रो जैसे शहर के लिए बनाया गया है. यह एक्ट भागलपुर जैसे शहर में लागू नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में डॉक्टर के खिलाफ मरीज के परिजनों के द्वारा हिंसक घटनाएं तेजी से बढ़ी है. ऐसे में डॉक्टरों को गंभीर मरीजों का इलाज करने में परेशानी हो रही है.