अलम नहीं है, ये एक खून भरी कहानी हैफोटो विद्या सागर – हजरत इमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय के लोगों ने किया गम का इजहार – जंजीरी मातम कर खुद को किया लहूलुहान- मोहद्दीनपुर हबीबपुर स्थित लल्लो मियां इमामबाड़ा में लगभग दो घंटे तक मरशिया, नौहा खानी व मातम किया – परंपरागत तरीके से शाहजंगी करबला मैदान में किया पहलाम संवाददाता, भागलपुरअसानंदपुर बड़ा इमामबाड़ा से रविवार को शिया समुदाय के लोगों ने अलम का जुलूस निकाला. जुलूस शाम चार बजे शाहजंगी करबला मैदान पहुंचा और पहलाम के साथ संपन्न हुआ. सुबह 10 बजे बड़ा इमामबाड़ा से अलम का जुलूस निकला. करीब 11.45 मिनट पर मुसलिम हाइस्कूल के समीप पहुंचा. जुलूस में शामिल लोग नौहा खानी व मरसिया खानी पढ़ रहे थे. हजरत इमाम हुसैन के गम में लोग जंजीरी मातम कर खून से लहूलुहान हो गये थे. या हुसैन, या हुसैन की सदा लगा रहे थे. अलम नहीं है, ये एक खून भरी कहानी है, निशां है प्यास का अब्बास की निशानी है. रास्ते में जगह -जगह जुलूस रोक कर तकरीर की जा रही थी. इसमें इमाम हुसैन और उनके शहीद हुए साथियों के बारे में बताया जा रहा था. जुलूस मुसलिम हाइस्कूल समपार होते हुए मोहद्दीनपुर हबीबपुर स्थित लल्लो मियां के इमामबाड़ा पहुंचा. वहां लोगों ने नौहा खानी, मरसिया खानी पढ़ी और जंजीरी मातम किया. शाम चार बजे जुलूस शाहजंगी करबला मैदान पहुंचा. इस मौके पर मौलाना सैयद फजले हसन ने करबला के वाकये पर रोशनी डालते हुए कहा कि यजीद ने इमाम हुसैन और 72 साथियों को शहीद कर इसलाम को खत्म करने का प्रयास किया, लेकिन हजरत इमाम हुसैन अलैह सलाम ने अपने नाना जान हजरत पैगंबर साहब के दीन -ए-इसलाम को कयामत तक के लिए बचा लिया. लोगों ने नम आंखों से पहलाम के अंत में अलविदा नौहा खानी ताजदार हुसैन अलविदा या हुसैन, अलविदा या हुसैन पढ़ी. अलम के जुलूस में शहर के अलावा दूर-दराज से आये शिया समुदाय के लोगों ने भी शिरकत की. इधर, जिला शिया वक्फ बोर्ड के सचिव जीजाह हुसैन ने शांतिपूर्ण तरीके से पहलाम होने पर जिला प्रशासन व सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के सदस्यों को धन्यवाद दिया. ——————— इमाम हुसैन ने कुरबानी पेश कर सच्चाई का सिर बुलंद किया फोटो – विद्या सागर – मौलाना सैयद डॉ मुसलिम संवाददाता, भागलपुरहजरत इमाम हुसैन ने अपनी कुरबानी पेश कर सच्चाई का सिर ऊंचा किया है. कयामत तक हजरत हुसैन का नाम लिया जाता रहेगा. उनकी इस कुरबानी को कयामत तक याद रखा जायेगा. हजरत अब्बास अलैह सलाम ने अपने भाई हजरत इमाम हुसैन के लिए अपनी जान दे दी. हजरत इमाम हुसैन के कहने पर बच्चों के लिए पानी लाने नहर पर गये, लेकिन पानी लाने के दौरान यजीद की फौज ने तलवार से हमला कर दिया. इसमें हजरत अब्बास के दोनों हाथ काट दिये. तीर चला कर सिर को छलनी कर दिया. करबला की जंग अजीम वाकया है. यह बातें मौलाना सैयद डॉ मुसलिम ने कही. उन्होंने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने दीन -ए- इसलाम के खातिर सब भुला कर अपने नाना जान के दीन को बचाया. अपनी और अपने 72 साथियों की शहादत इसलाम को बचाने के लिए दिया. लड़ाई से पूर्व भी हजरत इमाम हुसैन ने नमाज पढ़ी. हजरत इमाम हुसैन के साथ यजीद और उसकी फौज ने जुल्म किया. बावजूद इसके हजरत हुसैन ने हक व सच्चाई के लिए अपनी कुरबानी दे दी.————-जुलूस को देखने लोगों की भीड़ उमड़ीभागलपुर. अलम का जुलूस देखने के लिए शहर व दूर-दराज से आये लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. मुसलिम हाइस्कूल से लेकर शाहजंगी करबला मैदान तक सड़क के दोनों ओर लोगों से पटा हुआ था. मानों, सड़क ठहर सा गया हो. जुलूस के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे. जंजीरी मातम को देख हर कोई हैरत में था. मातम के दौरान शरीर से खून निकलने पर भीड़ में मौजूद कुछ लोगों की हालत खराब होने लगी थी. खास कर बच्चे खून देख कर अपने अभिभावकों से घर जाने की जिद मचाये हुए थे.——————-नौहा खानी पढ़ीइरशाद हुसैन, सैयद नासिर हुसैन, समर मेहंदी, जिशान हुसैन, मुबारक हुसैन, विक्टर हुसैन, जिशान नकवी, सैयद दिलावर हुसैन आदि ने नौहा खानी पढ़ी.
अलम नहीं है, ये एक खून भरी कहानी है
अलम नहीं है, ये एक खून भरी कहानी हैफोटो विद्या सागर – हजरत इमाम हुसैन की याद में शिया समुदाय के लोगों ने किया गम का इजहार – जंजीरी मातम कर खुद को किया लहूलुहान- मोहद्दीनपुर हबीबपुर स्थित लल्लो मियां इमामबाड़ा में लगभग दो घंटे तक मरशिया, नौहा खानी व मातम किया – परंपरागत तरीके […]
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