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भूकंप के दौरान छत पर बने मोबाइल टावर खतरनाक

भूकंप के दौरान छत पर बने मोबाइल टावर खतरनाकप्रतिनिधि,सबौर आज आधुनिक तकनीक से बने भवन से ज्यादा मजबूत व भूकंपरोधी पुरानी वास्तुकला से बने भवन है. यह बात पूना के भूकंप अभियंत्रण विभाग के रिटायर्ड विभागाध्यक्ष डॉ अरुण बापट ने बुधवार को इंजीनियरिंग कॉलेज में भूकंप अभियंत्रण आयोजित व्याख्यान के दौरान छात्र व शिक्षकाें को […]

भूकंप के दौरान छत पर बने मोबाइल टावर खतरनाकप्रतिनिधि,सबौर आज आधुनिक तकनीक से बने भवन से ज्यादा मजबूत व भूकंपरोधी पुरानी वास्तुकला से बने भवन है. यह बात पूना के भूकंप अभियंत्रण विभाग के रिटायर्ड विभागाध्यक्ष डॉ अरुण बापट ने बुधवार को इंजीनियरिंग कॉलेज में भूकंप अभियंत्रण आयोजित व्याख्यान के दौरान छात्र व शिक्षकाें को बतायी. उन्हाेंने 450 साल पुराने 1565 ईसवीं में गोवाहटी में बने कामख्या मंदिर, हिमाचल प्रदेश के मनाली में 11 सौ साल पुराना बने बाजीराव महादेव मंदिर, एक हजार साल पुराने लेह में बने मंदिर, किले व बड़े भवन, देश के संसद भवन आदि का उदाहरण देते हुए बताया कि इन सभी भवनाें का कंट्रक्‍शन तकनीक आज के आधुनिक तकनीक से ज्यादा बेहतर था. यही कारण था कि कई बड़े भूचाल में भी इन भवनों पर किसी तरह का प्रभाव नहीं पड़ा, जबकि इसके आस पास बने अाधुनिक भवन या तो धराशायी हो गये या उसे काफी क्षति पहुंची. श्री बापट ने बताया कि दो दीवारों के बीच सार्प कार्नर पर ज्यादा स्ट्रेस एकत्रित हो जाने के कारण ही भूकंप में भवन को ज्यादा नुकसान होता है. उन्होंने बताया कि पहले का का भवन गोलाकार बना है, जिस कारण इसका स्ट्रेस सभी जगह बंट जाती है और भूकंप आने पर कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. इसका उदाहरण संसद भवन से भी लिया जा सकता है. संसद भवन का गोलाकार कंट्रक्‍शन होने के कारण इस भवन पर भूकंप का कोई असर नहीं हो रहा है. उन्होंने बताया कि आज कल मकान के ऊपर काफी संख्या में मोबाइल कंपनी के टावर बनाये जा रहे है. यदि भवन के कॉलम से टावर का बेस जुड़ा होता है तो खतरा कम होता है, लेकिन यदि टावर को बेस कॉलम से जुड़ा नहीं है तो भूकंप में इसके गिरने का ज्यादा खतरा होता है.

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