टीएमबीयू: सत्र विलंब का साइड इफेक्ट, एक छात्र पर 60 हजार अतिरिक्त खर्च का बोझ

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं से लेकर उनके अभिभावकों तक को सत्र विलंब होने के कई साइड इफेक्ट झेलने होते हैं. सबसे बड़ा संकट अभिभावकों पर पड़नेवाला आर्थिक बोझ है. एक छात्र को यहां से ग्रेजुएशन करने में 60 हजार अतिरिक्त खर्च का बोझ उठाना पड़ता है, जो सीधे अभिभावकों को प्रभावित करता है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 4, 2015 8:41 AM

भागलपुर: तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं से लेकर उनके अभिभावकों तक को सत्र विलंब होने के कई साइड इफेक्ट झेलने होते हैं. सबसे बड़ा संकट अभिभावकों पर पड़नेवाला आर्थिक बोझ है. एक छात्र को यहां से ग्रेजुएशन करने में 60 हजार अतिरिक्त खर्च का बोझ उठाना पड़ता है, जो सीधे अभिभावकों को प्रभावित करता है.

दरअसल, भागलपुर विश्वविद्यालय से तीन वर्ष के ग्रेजुएशन कोर्स करने में छात्रों को चार वर्ष का समय देना पड़ता है. यहां अधिकतर छात्र-छात्राएं दूसरे जिलों व राज्यों से आकर पढ़ाई करते हैं. उन्हें किराये के मकानों में रहना पड़ता है. स्थानीय छात्रों के मुकाबले उन्हें अधिक खर्च करना पड़ता है. किराये के मकान में रहनेवाले छात्रों को औसतन पांच हजार रुपये मासिक खर्च हो जाता है. यानी साल में अभिभावकों को 60 हजार रुपये अपने बच्चों को भेजना पड़ता है.

ऐसे पड़ता है अतिरिक्त बोझ : विश्वविद्यालय तीन साल में कोर्स समाप्त कर दे, तो अतिरिक्त एक साल रहने का खर्च छात्रों को बच जायेगा. लेकिन ऐसा होता नहीं है. परीक्षा तिथि बढ़ने, समय पर परीक्षा नहीं लेने, समय पर रिजल्ट नहीं देने आदि की वजह से सत्र विलंब हो ही जाता है. आखिरकार तीन साल का कोर्स चार साल से पहले समाप्त नहीं हो पाता है. लिहाजा छात्रों को 60 हजार रुपये अतिरिक्त खर्च करना पड़ता है.

इसलिए जुटती है यहां छात्रों की भीड़
भागलपुर विश्वविद्यालय आसपास के लगभग 15 जिलों में इकलौता समृद्ध संस्थान है. इसके कई कॉलेजों की प्रतिष्ठा बिहार सहित अन्य राज्यों में भी फैली हुई है. छात्राओं के लिए एसएम कॉलेज राज्य का दूसरा सबसे बड़ा महिलाओं का कॉलेज माना जाता है. इस कारण छात्रों की यहां अधिक भीड़ जुटती है. वैसे छात्रों की संख्या अधिक है, जो कम आयवर्ग के परिवार से आते हैं. बावजूद इसके तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय में पिछले करीब एक दशक से विलंब सत्र के कारण छात्रों की होनेवाली समस्या को गंभीरता से नहीं लिया गया.

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