डॉल्फिन के अस्तत्वि पर खतरा, गंगा नदी में छापेमारी
डॉल्फिन के अस्तित्व पर खतरा, गंगा नदी में छापेमारी – डॉल्फिन सेंचुरी में सुलतानगंज से लेकर कहलगांव तक 65 किलोमीटर का क्षेत्र – प्रतिबंघित क्षेत्र में लगातार छोटी मछली मारने से डॉल्फिन के असतित्व पर खतरा- विक्रमशिला अभ्यारण्य आश्रणयी क्षेत्र में कम दिखायी दे रहे डॉल्फिन के बच्चे- अवैध तरीके से मछली मारने के खिलाफ […]
डॉल्फिन के अस्तित्व पर खतरा, गंगा नदी में छापेमारी – डॉल्फिन सेंचुरी में सुलतानगंज से लेकर कहलगांव तक 65 किलोमीटर का क्षेत्र – प्रतिबंघित क्षेत्र में लगातार छोटी मछली मारने से डॉल्फिन के असतित्व पर खतरा- विक्रमशिला अभ्यारण्य आश्रणयी क्षेत्र में कम दिखायी दे रहे डॉल्फिन के बच्चे- अवैध तरीके से मछली मारने के खिलाफ सेंचुरी क्षेत्र में होगी लगातार छापेमारीसंवाददाताभागलपुर: भारत में डॉल्फिन संरक्षण के लिए विक्रमशिला अभ्यारण्य आश्रणयी स्थल बनाया गया है. यह सुलतानगंज से लेकर कहलगांव तक करीब 65 किलोमीटर क्षेत्र में पड़ता है. पिछले साल हुई जनगणना के मुताबिक इस क्षेत्र में करीब 200 डॉल्फिन संरक्षित हैं. डॉल्फिन के अस्तित्व पर लगातार खतरा मंडरा रहा है. पिछले दिनों गंगा नदी में डॉल्फिन के छोटे-छोटे बच्चे कम दिखाई पड़ रहे हैं. इसी के मद्देनजर वन विभाग के पदाधिकारी डॉल्फिन सेंचुरी क्षेत्र में लगातार छापेमारी कर रही है. वन प्रमंडल पदाधिकारी संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि गंगा नदी में डॉल्फिन का मुख्य भोजन मछली होता है, इसलिए विक्रमशिला अभ्यारण्य क्षेत्र में मछली पकड़ने को अवैध घोषित किया गया है. बावजूद इसके अवैध तरीके से मछली मारा जाता है. खासकर कपासी व मुसहरी जालों से मछली मारने पर छोटी-छोटी मछलियां भी जाल में आ जाती हैं. इसलिए ऐसे जाल से मछली मारने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाती है. फॉरेस्ट रेंजर पदाधिकारी ने बताया कि कहलगांव में छापेमारी हुई है और आगे भी सुलतानगंज, भागलपुर, पीरपैंती व कहलगांव के क्षेत्र में लगातार छापेमारी की जायेगी. डॉल्फिन की विदेशाें में काफी मांग कहा जाता है कि डॉल्फिन की विदेशों में ज्यादा मांग होने के कारण डॉल्फिन की तस्करी से इनकार नहीं किया जा सकता है. जानकारों का कहना है कि डॉल्फिन लाखों में बिकती है. इसकी वजह यह है कि डॉल्फिन के तेल काफी कीमती होते है. साथ ही इसके प्रत्येक अंगों का मेडिकेटेड दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. यही कारण है कि विक्रमशिला अभ्यारण्य आश्रणयी स्थल के रूप में सुलतानगंज से लेकर कहलगांव तक के क्षेत्र को डॉल्फिन सेंचुरी के रूप में संरक्षित किया गया है. डॉल्फिन की अपडेट स्थिति के लिए प्रत्येक साल डॉल्फिन की गिनती की जाती है. मालूम हाे कि इस साल अबतक डॉल्फिन की संख्या की गिनती नहीं की गयी है. बॉक्स में ………………..चार के खिलाफ फॉरेस्ट आॅफेंस एक्ट के तहत कारवाईवन विभाग की टीम ने मंगलवार को कहलगांव में गंगा नदी के कोल ढाब में अवैध तरीके से मछली मारने को लेकर फोरेस्ट रेंजर के नेतृत्व में छापेमारी की थी. छापेमारी में 20 प्रतिबंधित कपासी व मुसहरी जालों बरामद किया था. फॉरेस्ट रेंजर पदाधिकारी ब्रजकिशोर सिंह ने बताया कि अवैध रूप से मछली मारने के कारण चार लोगाें के खिलाफ फॉरेस्ट आॅफेंस एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है. मणी मंडल पिता रामू मंडल, संजय मंडल पिता रामू मंडल, विलास मंडल, धर्मराज मंडल ये सभी कुलकुलिया कहलगांव के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में केस दर्ज किया जायेगा. फॉरेस्ट रेंजर पदाधिकारी ने बताया कि सजा के रूप में 25 हजार से लेकर 50 हजार तक का जुर्माना या छह माह से लेकर पांच साल तक की सजा हो सकती है.