विनम्रता है स्वीकारने का नाम
विनम्रता है स्वीकारने का नाम-रामचरित्र मानस नवाह परायण एवं भागवत कथा का पांचवां दिनफोटो नंबर :संवाददाता,भागलपुरश्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ समिति व बाल हनुमान सेवा ट्रस्ट, भागलपुर के संयुक्त तत्वावधान में बाबा बूढ़ानाथ मंदिर परिसर में पांचवें दिन गुरुवार को रामचरित्र मानस नवाह परायण एवं भागवत कथा जारी रहा. मुख्य संरक्षक बाल व्यास विजय शंकर चतुर्वेदी […]
विनम्रता है स्वीकारने का नाम-रामचरित्र मानस नवाह परायण एवं भागवत कथा का पांचवां दिनफोटो नंबर :संवाददाता,भागलपुरश्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ समिति व बाल हनुमान सेवा ट्रस्ट, भागलपुर के संयुक्त तत्वावधान में बाबा बूढ़ानाथ मंदिर परिसर में पांचवें दिन गुरुवार को रामचरित्र मानस नवाह परायण एवं भागवत कथा जारी रहा. मुख्य संरक्षक बाल व्यास विजय शंकर चतुर्वेदी ने अपने प्रवचन में कहा कि विनम्रता है स्वीकारने का नाम, झुक कर नमन करने का नाम. कोई भी फलदार वृक्ष झुका रहता है. फलों से लदने का अर्थ है सद्गुणों से विभूषित होना. उज्जैन से पधारे महामण्डलेश्वर स्वामी शांति स्वरूपानंद ने हिंदू के महत्व पर चर्चा की. कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रभुदयाल टिबड़ेवाल, श्यामा प्रसाद घोष, दीपक घोष, अभय घोष सोनू, अमरनाथ मिश्रा, धरणीधर मिश्रा, सुभाष कर्ण, सुनील अग्रवाल, मनोज सिन्हा, एके दत्ता, उपेंद्र महाराज, रामू जी, प्रणव दास, प्रो केसरी प्रसाद सिंह आदि का योगदान रहा.