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तीन साल में खर्च दोगुना, गंदगी जस की तस

भागलपुर: सदर अस्पताल में सफाई के नाम पर हर माह लाखों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन अस्पताल गंदा का गंदा ही रहता है. अस्पताल के 22924 वर्ग मीटर परिसर की सफाई के लिए प्रति माह 1,95,756 रुपये खर्च किये जाते हैं, लेकिन अस्पताल की ना तो सफाई हो रही है ना ही समुचित रूप से […]

भागलपुर: सदर अस्पताल में सफाई के नाम पर हर माह लाखों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन अस्पताल गंदा का गंदा ही रहता है. अस्पताल के 22924 वर्ग मीटर परिसर की सफाई के लिए प्रति माह 1,95,756 रुपये खर्च किये जाते हैं, लेकिन अस्पताल की ना तो सफाई हो रही है ना ही समुचित रूप से रखरखाव. अस्पताल के बाथरूम, शौचालय, प्रसव कक्ष व वार्ड में गंदगी से निजात नहीं है. अस्पताल की पानी टंकी खुली रहने के कारण मरीज व परिजन दूषित पानी पीने को विवश हैं, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है.

फाइलों में दबे हैं निर्देश
सरकार का निर्देश है कि सरकारी अस्पतालों को पूरी तरह से साफ रखें. पहले की तुलना में पैसे भी बढ़ गये और सफाई का दायरा भी बढ़ गया है. सदर अस्पताल में 2010 में 14839.25 वर्ग मीटर की सफाई के लिए प्रतिदिन 2671.06 रुपये लिया जाता था. इसका मासिक भुगतान 82802 रुपये एजेंसी को किया जाता था. इसके अलावा हॉस्पिटल के

रख-रखाव व बाहरी परिसर की सफाई के लिए 2760 रुपये प्रति माह एजेंसी को मिलता था. पर अब 22924 वर्ग मीटर की सफाई 7.60 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से एक माह में 174222.40 रुपये एवं सर्विस टैक्स 12.36 प्रतिशत के हिसाब से 21533.88 रुपये होता है. कुल मिला कर 195756 रुपये का भुगतान किया जा रहा है. ऐसे में राशि भी बढ़ गयी और सफाई का दायरा भी बढ़ा. पर सफाई की गुणवत्ता में बदलाव नहीं आ पाया है. हां अंतर इतना है कि पहले मशीन से सफाई नहीं होती थी और कुछ कर्मचारी दिन भर रहते थे अब पांच-छह सफाई कर्मचारी अस्पताल में शाम तक मौजूद रहते हैं. सरकार का यह भी निर्देश है कि सफाई का कार्य 24 घंटे होना है पर किसी भी अस्पताल के बाथरूम, शौचालय, प्रसव कक्ष व वार्ड में गंदगी मिल जायेगी. जहां-तहां पान के पीक के अलावा अन्य गंदगी भी रहती है.

अस्पताल प्रबंधन नहीं है संजीदा
अस्पताल के भवन व छतों के रख-रखाव के प्रति अस्पताल प्रबंधन संजीदा नहीं है. तभी तो इंडोर छत के ऊपर टूटी कुरसी, लाइट, बेड, खाट, गद्दा सहित अन्य चीजों को रख दिया गया है. नतीजतन बारिश का पानी छत पर जमा होकर रिसता है. छत पर शराब व बीयर की बोतलें फेंकी हुई मिली. अस्पताल की छत पर ये बोतलें कहां से आयी, जबकि सुरक्षा गार्ड 24 घंटे अस्पताल में मौजूद रहते हैं.

खुली टंकी, दूषित पानी पीते हैं मरीज
अस्पताल की छत पर मौजूद पानी टंकी के ढक्कन खुले हुए हैं. ऐसे में टंकी में काफी गंदगी जमा हो गयी है. इसकी सफाई वर्षो से नहीं हुई है. छत पर तीन पुराने टंकी हैं पर सभी के ढक्कन खुले ही छोड़ दिये गये हैं. अगर यह पानी मरीज पी रहे हैं तो स्वाभाविक है कि मरीज स्वस्थ होने के बजाय बीमार पड़ जायेंगे. जबकि यहां प्रसूता अपने नवजात के साथ दो से आठ दिनों तक ऑपरेशन या प्रसव के बाद रहती हैं. ऐसे में मां के साथ उनके नवजात भी बीमार पड़ सकते हैं.

यह है स्थिति

नहीं होता मॉस्किटो व कॉकरोच को भगाने के लिए स्प्रे का प्रयोग

24 घंटे नहीं होती सफाई

चूना व गैमेक्सीन का हर जगह नहीं होता छिड़काव

छत की दीवारों की नहीं होती नियमित सफाई

बाथरुम में बदबू और गंदगी का अंबार


ये हैं निर्देश

अस्पताल के आंतरिक परिसर की सफाई में सभी कमरे, वार्ड, बरामदा, शौचालय, दीवार के किनारे लगे टाइल्स आदि शामिल हैं

क्षेत्रफल की गणना में फर्श, दीवार व छत का आंतरिक क्षेत्रफल शामिल है

सफाई का कार्य 24 घंटे व अस्पताल के नालों की सफाई प्रतिदिन

फिनाइल व फ्लोर क्लिनर, ग्लास क्लिनर, मॉस्किटो व कॉकरोच स्प्रे से प्रतिदिन सफाई करना

भवन से सटे परिसरों की सफाई व दूषित सामान को निर्धारित स्थान पर फेंकना व चूना, गैमेक्सीन, ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करना

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