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अंगरेजी शासनकाल में रहते थे घोड़े, अब रहते टीएनबी कॉलेज के कर्मचारी

अंगरेजी शासनकाल में रहते थे घोड़े, अब रहते टीएनबी कॉलेज के कर्मचारी-टीएनबी कॉलेज के स्थापना वर्ष 1883 के बाद आज तक दुरुस्तीकरण पर नहीं हुआ खर्च, कर्मचारी ही कराते रहे हैं जर्जर क्वार्टर का मेंटेनेंस -कॉलेज को दो करोड़ रुपये का मिला है आवंटन ,लेकिन उसमें जर्जर क्वार्टर के नवीनीकरण का काम शामिल नहीं -कुल […]

अंगरेजी शासनकाल में रहते थे घोड़े, अब रहते टीएनबी कॉलेज के कर्मचारी-टीएनबी कॉलेज के स्थापना वर्ष 1883 के बाद आज तक दुरुस्तीकरण पर नहीं हुआ खर्च, कर्मचारी ही कराते रहे हैं जर्जर क्वार्टर का मेंटेनेंस -कॉलेज को दो करोड़ रुपये का मिला है आवंटन ,लेकिन उसमें जर्जर क्वार्टर के नवीनीकरण का काम शामिल नहीं -कुल 45 क्वार्टर में रहने वाले कर्मचारियों को शुरू से नहीं मिल सका है शौचालय, किचन, बरमदा व पानी की सुविधाएं, सारी मूलभूत सुविधाएं न पहले थी और न अभी है संवाददाता, भागलपुरवर्तमान में जिस क्वार्टर में टीएनबी कॉलेज के कर्मचारी रहते हैं, वहां अंग्रेजों का घोड़ा रहता था. यह बात टीएनबी कॉलेज के स्थापना वर्ष 1883 के पहले की है. कॉलेज के स्थापना के बाद से अंग्रेजों के इस अस्तबल को कर्मचारियों का क्वार्टर घोषित कर दिया गया और इसमें कॉलेज के कर्मचारी रहने लगे. अबतक कॉलेज प्रशासन की ओर से क्वार्टर का न तो दुरुस्तीकरण कराया गया और न ही नवीनीकरण के बारे में सोचा गया. टीएनबी कॉलेज के तीन स्थानों पर इस्ट, वेस्ट व प्राचार्य आवास के नजदीक स्थापित क्वार्टर जीर्ण-शीर्ण है. अब क्वार्टर जानवर के रहने लायक भी नहीं है. कॉलेज प्रशासन नवीकरण को लेकर गंभीर नहीं है. हाल में कॉलेज को विभिन्न योजनाओं के लिए तकरीबन दो करोड़ रुपये का आवंटन मिला है, मगर उसमें जर्जर क्वार्टर के नवीनीकरण की योजना शामिल नहीं है. वर्तमान स्थिति कर्मचारियों को शुरू से नहीं मिला शौचालय, किचन और बरामदा कर्मचारियों के लिए कॉलेज के इस्ट में 17, वेस्ट में 18 व प्राचार्य आवास के नजदीक 10 क्वार्टर है. कुल 45 क्वार्टर में रहने वाले कर्मचारियों को शुरू से शौचालय, किचन, बरामदा व पानी की सुविधा नहीं मिली. सारी मूलभूत सुविधाएं न पहले थी और न अभी है. अस्तबल रहने के कारण शौचालय, किचन और बरामदा का निर्माण नहीं हुआ था. जर्जर होने के कारण छत में दरार है. एक दिन बारिश होती है, तो कई दिनों तक पानी टपकते रहता है. बारिश होने पर कमरे में पानी जमा हो जाता है. झाड़-पात ने क्वार्टरों को ढक लिया है. कर्मचारियों में भय रहता है कि अगर छत गिर जाये, तो कोई नहीं बचेंगे. इसके बावजूद कॉलेज प्रशासन ध्यान देना नहीं दे रहा है. तय हुआ क्वार्टर बनना, तो बना दिया लड़कियों का हॉस्टलवर्ष 1996 में क्वार्टर बनाने के लिए जगह चिह्नित कर लिया गया, लेकिन तत्कालीन प्राचार्य गोपाल यादव ने चिह्नित जगह पर लड़कियों के लिए हॉस्टल बनवा दिया. अब कर्मचारियों के लिए क्वार्टर बनवाने की दिशा में गंभीरता नहीं है. विरोध किया, तो दो साल से कर्मचारियों को नहीं लग रहा हाउस रेंट कर्मचारियों ने जब विरोध किया, तो पिछले दो साल से हाउस रेंट नहीं लग रहा है. कॉलेज प्रशासन कर्मचारियों से हाउस रेंट वसूलता था. कर्मचारी कुलपति से मिले, तो कुलपति ने संज्ञान लिया और हाउस रेंट बंद करा दिया. कर्मचारी खुद से करते छोटा-मोटा मेंटेनेंस कार्य कर्मचारियों ने बताया कि जब रहने लायक नहीं होता है, तो छोटा-मोटा मेंटेनेंस कार्य खुद से कराते हैं. अब यह स्थिति हो गयी है कि खर्च के बाद भी रहना संभव नहीं होगा. क्वार्टर का अस्तित्व खत्म हो चला है. वेस्ट में बन रहा कर्मचारियों के लिए शौचालय कॉलेज प्रशासन वेस्ट में कर्मचारियों के लिए शौचालय का निर्माण करा रहा है. इस्ट के कर्मचारियों के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. शौचालय निर्माण पर 4.5 लाख रुपये खर्च होंगे. अंग्रेजों के घोड़ा रहने वाले कमरे कर्मचारियों को रहने के लिए दिया गया है. यह कहीं से क्वार्टर नहीं है. फिर भी हाउस रेंट लिया जा रहा था. आवाज उठाने पर हाउस रेंट बंद हुआ है. क्वार्टर निर्माण के लिए चिह्नित जमीन पर लड़कियों के लिए क्वार्टर बनवा दिया गया. अब क्वार्टर निर्माण की बात नहीं हो रही है. सुशील मंडल प्रक्षेत्रीय मंत्रीबिहार राज्य विश्वविद्यालय महाविद्यालय शिक्षकेत्तर कर्मचारी महासंघ यह क्वार्टर नहीं है. इसलिए शौचालय,बरामदा और पानी की व्यवस्था नहीं है. अब वेस्ट में शौचालय बन रहा है. इस्ट के लिए प्रस्ताव भेजा गया है. क्वार्टर के नवीनीकरण का कोई प्रस्ताव नहीं है. आरपीसी वर्मा प्राचार्य, टीएनबी कॉलेज

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