धुआंयुक्त पटाखों से हर्ट व दमा मरीजों को खतरा

धुआंयुक्त पटाखों से हर्ट व दमा मरीजों को खतराफाइल फोटो- डॉ डीपी सिंह- डाॅ हेमशंकर शर्मा- डॉक्टर बोले, पटाखा के धुआं से दमा व हर्ट के मरीजों को बढ़ जाती है परेशानी- अधिक धुआं व ध्वनि प्रदूषण से बुजुर्ग व बच्चों की परेशानी में होता है इजाफा- सर्तकता से पटाखा छोड़ने पर आगजनी और जलने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 7, 2015 11:27 PM

धुआंयुक्त पटाखों से हर्ट व दमा मरीजों को खतराफाइल फोटो- डॉ डीपी सिंह- डाॅ हेमशंकर शर्मा- डॉक्टर बोले, पटाखा के धुआं से दमा व हर्ट के मरीजों को बढ़ जाती है परेशानी- अधिक धुआं व ध्वनि प्रदूषण से बुजुर्ग व बच्चों की परेशानी में होता है इजाफा- सर्तकता से पटाखा छोड़ने पर आगजनी और जलने के खतरा से बच सकते हैं संवाददाता,भागलपुर खुशियों का त्योहार दीपावली में खुशी का इजहार करने के लिए लोग बड़े पैमाने पर पटाखा छोड़ते हैं. जिले में पटाखों का होता है लाखों रुपये का कारोबार. इसी से अनुमान लगा सकते हैं कि दीपावली में किस कदर लोग पटाखा छोड़ते हैं. दीपावली में भले ही अपनी खुशी का इजहार पटाखा छोड़कर करते हों, लेकिन पटाखों के खतरनाक धुआं और कानफाड़ू आवाज से पर्यावरण के साथ-साथ रोगियों, बुजुर्गों व बच्चों को कितना नुकसान होता है, इसकी कल्पना कर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि जितना हो सके कम-से-कम पटाखा छोड़ें और अगर पटाखा छोड़ना भी पड़े तो कम धुंआ वाला ही पटाखा छोड़ने का प्रयास करें. पटाखों से तीन प्रकार का खतरा, बरतें सावधानी जेएलएनएमसीएच के चेस्ट विभाग के डॉ डीपी सिंह और मेडिसिन विभाग के डॉ हेम शंकर शर्मा का कहना है कि शुद्ध हवा व पानी प्रकृति ने हमें सौगात के रूप में दी है, लेकिन जाने अनजाने में हम इसे प्रदूषित करते हैं. इसका कुप्रभाव सीधा हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है. डॉक्टरों का कहना है कि दीपावली पर्व पर पटाखों का उपयोग करते हैं. हमलोगों को जहां तक हो सके कम पटाखों का उपयोग करना चाहिए. अगर पटाखों का उपयोग करते भी हैं तो कम धुंआ वाले पटाखों का उपयोग करें. पटाखों के दुस्प्रभाव के बारे में डॉक्टरों का कहना है कि पटाखों से स्वास्थ्य पर तीन प्रकार का खतरा होता है. सबसे पहले खतरनाक धुंआ से सांस की तकलीफ वाले मरीज जैसे हर्ट, दमा व हफ्शी को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. सांस लेने में दिक्कत व दमा उखड़ जाते हैं. तेज आवाज वाले बम व पटाखों से हार्ट व धड़कन की बीमारी के रोगी को कठिनाई होती है. बहरापन की शिकायत के साथ-साथ कान के परदे व शरीर की कई इंद्रियां बुरी तरह डैमेज हो जाती है. पटाखा फोड़ने के दौरान थोड़ी सी असावधानी होने पर जलने की संभावना रहती है. एेसे में पटाखा छोड़ने वाले स्थान पर पानी की बाल्टी जरूर रखनी चाहिए. इंजूरी होने पर कम-से-कम शरीर की चमड़ी जल सके. बच्चों के द्वारा पटाखा छोड़ने वक्त परिवार के लोगों को साथ रहना चाहिए.

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