छठ महापर्व : पहला अर्घ्य आज

छठ महापर्व : पहला अर्घ्य आज- खरना पूजन से ही घर में देवी षष्ठी का आगमन माना जाता है और 36 घंटे का उपवास शुरू हो जाता है संवाददाता, भागलपुरकार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यानी दीपावली के छह दिन बाद आयोजित की जाने वाला छठ का पर्व वास्तव में सूर्य की उपासना […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2015 8:30 PM

छठ महापर्व : पहला अर्घ्य आज- खरना पूजन से ही घर में देवी षष्ठी का आगमन माना जाता है और 36 घंटे का उपवास शुरू हो जाता है संवाददाता, भागलपुरकार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यानी दीपावली के छह दिन बाद आयोजित की जाने वाला छठ का पर्व वास्तव में सूर्य की उपासना का पर्व है. इसमें सूर्य की उपासना कर उनकी कृपा प्राप्त की जाती है. छठ पूजा के लिए चार दिन 15 नवंबर से 18 नवंबर तक महत्वपूर्ण हैं. रविवार को नहाय खाय के साथ छठ पर्व शुरू हुआ. साेमवार को खरना हुआ. मंगलवार की शाम में पहला अर्घ्य और बुधवार को सूर्योदय का अर्घ्य दिया जायेगा. क्या है खरना का महत्ववैसे तो आज पूरे देश में छठ पर्व को मनाया जाता है, लेकिन बिहार में विशेष रूप से मनाया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में पहले दिन चतुर्थी को नहाय खाय के दूसरे दिन पंचमी को खरना किया जाता है. खरना का व्रत रखने वाले उपासक शाम के वक्त गुड़ से बनी खीर, रोटी और फल प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. खरना पूजन से ही घर में देवी षष्ठी का आगमन माना जाता है. खरना के बाद 36 घंटे का उपवास प्रारंभ होता है. पूरा दिन व्रत रखनेवाला उपासक सप्तमी को शाम को सूर्यास्त के समय नदी व तालाब के पानी में खड़ा होकर सूर्य देव को अर्घ्य देता है. फिर अष्टमी को उदयीमान सूर्य को सुबह में अर्घ्य दिया जाता है. ऐसी भी मान्यता है कि छठ व्रतियों के कपड़े तक धोने से पुण्य की प्राप्ति होती है. खरना के दिन क्या करते हैं व्रती खरना के लिए व्रती सुबह से ही उपवास में रहती है. शाम को नये चूल्हे में खीर-पूड़ी, फल, पान, सुपारी आदि का भोग केला पत्ता या मिट्टी के बरतन में भगवान सूर्य को चढ़ाया गया. इसके बाद ही प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण किया. कहीं दूध-भात या रसिया का भी भोग लगाया गया. तिलकामांझी की खुशबू देवी ने बताया कि खरना को लेकर सोमवार को सुबह ही गंगा स्नान करने गयी थी. इसके बाद वहां से गंगा जल लाकर पूजन के स्थान को गंगा जल छिड़क कर शुद्ध किया. दिन भर उपवास रहा और शाम को खरना का प्रसाद तैयार कर छठी मइया की पूजा की. इसके बाद आसपास के लोगों में भी प्रसाद का वितरण किया. तभी खुद भी प्रसाद के रूप में भोजन ग्रहण किया. आदमपुर की सुनीता मिश्रा ने बताया कि उनके यहां पर सास छठ पर्व करती है. हरेक दिन अलग-अलग चूल्हे में प्रसाद तैयार किया जाता है. कद्दू-भात के दिन नये चूल्हे में, खरना के दिन नये चूल्हे में और पहली अर्घ्य के दिन सूप में प्रसाद चढ़ाने के लिए नये चूल्हे पर प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि तैयार करेंगे.

Next Article

Exit mobile version