दुर्घटना के बाद बदहवास यात्री कूदने लगे चलती ट्रेन से

दुर्घटना के बाद बदहवास यात्री कूदने लगे चलती ट्रेन सेलैलख ममलखा स्टेशन नहीं पहुंची एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन संवाददाता, भागलपुर अप तिनसुकिया एक्सप्रेस के बेपटरी होने के साथ ही तेज खड़खड़ाहट के साथ धूल का गुब्बारा उठने लगा. इसके बाद बदहवास यात्री कोच से बाहर कूदने लगे. हालांकि ट्रेन की गति काफी धीमी थी. फिर भी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2015 10:36 PM

दुर्घटना के बाद बदहवास यात्री कूदने लगे चलती ट्रेन सेलैलख ममलखा स्टेशन नहीं पहुंची एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन संवाददाता, भागलपुर अप तिनसुकिया एक्सप्रेस के बेपटरी होने के साथ ही तेज खड़खड़ाहट के साथ धूल का गुब्बारा उठने लगा. इसके बाद बदहवास यात्री कोच से बाहर कूदने लगे. हालांकि ट्रेन की गति काफी धीमी थी. फिर भी ट्रेन से कूदने के कारण कई यात्रियों को हल्की चोटें आयी. लगभग 250 मीटर तक एसएलआर कोच बिना पटरी के घिसटता रहा. लैलख स्टेशन पर ट्रेन रुकी. सूचना मिलने के बाद भी एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन घटना स्थल पर नहीं पहुंची. इधर, अप तिनसुकिया एक्सप्रेस के यात्रियों को करीब तीन घंटे तक स्टेशन पर ही बिताना पड़ा. रेल ट्रैफिक क्लियरेंस में हुई देरीरेल ट्रैफिक क्लियरेंस में देरी होने से यात्रियों को खाने-पीने का सामान भी नहीं मिल रहा था. लैलख ममलखा स्टेशन पर पानी की भी समुचित व्यवस्था नहीं थी. यात्रियों ने रेलवे के अधिकारियों पर आरोप लगाया कि उनकी लापरवाही से यात्री तीन घंटे तक फंसे रहे. सुबह 8.21 बजे ट्रेन बेपटरी हुई और सुबह 10.15 बजे एसएलआर कोच इंजन से अलग हो सका. इस बीच लगभग दो घंटे तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी. रेल ट्रैफिक क्लियरेंस कराने के लिए जब ट्रैफिक इंस्पेक्टर जेएल मिश्रा घटना स्थल पर पहुंचे, तो उन्हें भी निर्णय लेने में समय लग गया. बेपटरी हो चुकी ट्रेन पुन: पटरी पर आने और रवाना होने में तीन घंटे लग गये.150 स्लीपर टूटा टर्निंग प्वाइंट के बाद जैसे इंजन भैंसा से टकराया, वैसे ही एसएलआर कोच का चार चक्का पटरी से उतर गया. पटरी से उतरने के साथ 250 मीटर तक भारी ट्रेन घिसटती रही. इस दौरान करीब 150 सीमेंट का स्लीपर टूट गया. यात्रियों ने की चेन पुलिंग ट्रेन बेपटरी होने के बाद जैसे ही तेज आवाज हुई आनन-फानन में एसएलआर कोच के यात्रियों ने चेन पुलिंग की. कहते हैं यात्रीछठी मैया बचा लिये, नहीं तो कुछ भी हो सकता थाट्रेन के एसएलआर और इसके ठीक पीछे वाले कोच में अधिकतर यूपी और बिहार के विभिन्न स्टेशनों पर उतरने वाले यात्री थे. दुर्घटना के बाद खुद को सुरक्षित देखा, तो उनके मुंह से निकला की छठी मैया बचा लिये, नहीं तो कुछ भी हो सकता था. ट्रेन में सोये हुए थे. तेज खड़खड़ाहट की आवाज आयी, जिससे नींद टूट गया. खिड़की से सिर बाहर कर देखा तो धूल ही धूल नजर आया. इससे पहले की कुछ समझ में आता ट्रेन एकदम से धीरे होने लगी. लोगों को ट्रेन से कूदते देखा तो मैं भी कूद गया.छोटे लाल यादव नागपुर तेज खड़खड़ाहट और उड़ते धूल को देखा तो समझ में आया की ट्रेन दुर्घटनग्रस्त होने वाली है. ट्रेन रोकने के लिए चेन पुलिंग की और इसके साथ ट्रेन की रफ्तार धीमी हो गयी और इसके बाद ट्रेन रुक गयी.सुमोस सूत्रधारदीमापुर तेज खड़खड़ाहट की आवाज से डर समा गया. कुछ समझ में नहीं आ रहा था. चलती ट्रेन से कूदने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी. मजबूरन चेन पुलिंग किया, तो जाकर ट्रेन रुकी और जान में जान आयी.निपेन सूत्रधारदीमापुर बेपटरी होने से ट्रेन झटका मारने लगी. उठ कर खड़ा होने की कोशिश की, मगर अपने पैर पर खड़ा नहीं रह सकी. भाई लोगों ने जब चेन पुलिंग की गयी और ट्रेन रूकी, तो राहत मिली. रजिना खातून दीमापुर में चढ़ी और छठ पर्व पर यूपी जा रही थी. ट्रेन दुर्घटना होने से बाल-बाल बची. छठी मैया ने हमें बचा लिया. नहीं तो कुछ भी हो सकता था. शांति देवी दीमापुर

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