सुविधा होती, तो तेजी से बढ़ती औद्योगिक गतिविधि
सुविधा होती, तो तेजी से बढ़ती औद्योगिक गतिविधि -संसाधन के अभाव में चल रही है औद्योगिक इकाई-खुद के प्रयास से चल रही है बरारी औद्योगिक प्रक्षेत्र में 50 से अधिक औद्योगिक इकाई -10 वर्षों में 20 से अधिक उद्योग बंद हुए, पांच वर्षों में आठ नयी इकाई स्थापितफोटो नंबर : आशुतोष जी प्रभात पड़ताल -एकसंवाददाता, […]
सुविधा होती, तो तेजी से बढ़ती औद्योगिक गतिविधि -संसाधन के अभाव में चल रही है औद्योगिक इकाई-खुद के प्रयास से चल रही है बरारी औद्योगिक प्रक्षेत्र में 50 से अधिक औद्योगिक इकाई -10 वर्षों में 20 से अधिक उद्योग बंद हुए, पांच वर्षों में आठ नयी इकाई स्थापितफोटो नंबर : आशुतोष जी प्रभात पड़ताल -एकसंवाददाता, भागलपुरवृहत औद्योगिक प्रांगण, बरारी (1970 में स्थापित)में संसाधन के अभाव में औद्योगिक विकास धीमा चल रहा है. समुचित संसाधन व सुविधाएं मिले] तो औद्योगिक गतिविधि बड़ी तेजी से बढ़ सकती है. यह कहना है यहां के उद्यमियों का. यहां के कारोबारियों की मानें तो बरारी औद्योगिक प्रक्षेत्र में 50 से अधिक औद्योगिक इकाई जैसे-तैसे चल रही है. 20 से अधिक यूनिट हुई बंद व 15 चालू बियाडा के उद्यमी रूपेश वैद्य बताते हैं कि यहां पर 10 वर्ष में प्लास्टिक ग्लास, जूता फैक्टरी, कील, पशु चारा फैक्टरी समेत 20 से अधिक यूनिट 10 वर्ष में बंद हुई और 15 नयी यूनिट चालू हुई है. उद्यमियों के प्रति सरकार की उदासीनता के कारण यूनिट बंद हुई है और कुछ बंद होने के कगार पर है. बिजली की समुचित सब्सिडी नहीं मिल रही है. सरकार के ढुलमुल रवैये से उद्यमी नाराज हैं.मिलता हजारों लोगों को रोजगारबरारी औद्योगिक प्रक्षेत्र में हाल के वर्षों में छह से आठ नयी औद्योगिक इकाई स्थापित हुई हैं, जबकि यहां पर सब मिला कर 50 औद्योगिक इकाई चल रही है. हरेक औद्योगिक इकाई में 10 से 15 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा है. इतना ही नहीं, एक-एक औद्योगिक इकाई 200 से अधिक लोगों को भी रोजगार प्रदान कर रहा है. इस प्रकार 50 औद्योगिक इकाई से 1000 से अधिक लोगों को रोजगार मिल रहा है. इस्टर्न बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकुटधारी अग्रवाल बताते हैं कि यदि यहां के उद्यमियों को मूलभूत सुविधाएं मिलतीं, तो यहां पर अधिक से अधिक औद्योगिक इकाई खुलती और हजारों लोगों को रोजगार मिलता. करोड़ रुपये से अधिक का होता रोजाना कारोबारयहां पर 50 से 52 औद्योगिक इकाई से रोजाना 30 लाख से अधिक का कारोबार होता है. जब यहां की इकाई नहीं बंद होती और अधिक से अधिक इकाई खुलती तो रोजाना एक करोड़ से अधिक का कारोबार होता. किन्हीं इकाई का सालाना टर्न ओवर 50 लाख रुपये है, किन्हीं का 10 करोड़ तक का, तो किन्हीं का 20 करोड़ तक. विभिन्न प्रदेशों में होता है माल सप्लाइयहां पर उत्पादित माल पश्चिम बंगाल, झारखंड समेत प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सप्लाइ होती है. जिले की इकलौती बड़ी इकाई जोधानी फूड द्वारा उत्पादित आटा, मेदा एवं सूजी का कारोबार पश्चिम बंगाल, झारखंड एवं प्रदेश के विभिन्न जिलों के बाजार में फैला है. उद्यमियों का मानना है कि जोधानी अकेले रोजाना 100 टन माल उत्पादन कर लेता है. किसानों की खेती को मिलता है बढ़ावा बरारी औद्योगिक प्रक्षेत्र में अधिकांश इकाई कृषि पर आधारित है. इनका टर्न ओवर भी सालाना करोड़ों में है. चोकर, आटा, सूजी, मैदा, चूड़ा, चावल जैसे खाद्य पदार्थ उत्पादित किये जाते हैं. इसके लिए अलग-अलग औद्योगिक इकाई स्थापित की गयी है. इसका कारण भागलपुर क्षेत्र कृषि आधारित है. यहां पर इससे संबंधित कच्चे माल प्रचुर मात्रा में आसानी से मिल जाते हैं. साथ ही किसानों को उनकी फसल की मुंहमांगी दर मिल जाती है. इस प्रकार उनकी खेती को बढ़ावा मिल रहा है. औद्योगिक इकाई के लिए सार्थक पहलू-कच्चे माल आसानी से उपलब्ध होना-आस-पास के क्षेत्रों में अच्छा बाजार मिलना-दूसरे प्रांतों की सीमा व अन्य बाजार नजदीक होना-रेल व पथ परिवहन की सुविधा होना——औद्योगिक प्रक्षेत्र में उद्यमियों को समस्याएं -जगह-जगह स्ट्रीट लाइट नहीं-पेयजल की सुविधा नहीं, तीन बोरिंग व एक जलमीनार बेकार-बैंक की शाखा नहीं खुलने से असुविधा-समुचित सुरक्षा व्यवस्था का अभाव-सुलभ शौचालय का अभाव-पानी निकासी नहीं होने से बरसात में औद्योगिक इकाई में घुस आता है पानीइन चीजों की है इकाईयहां पर आटा, बेसन, मैदा, सत्तू, मिनरल वाटर, रद्दी कपड़े से रूई, पानी बोतल तैयार करने का पी फॉर्म, फ्लाइ ऐश, रंग, प्लास्टिक पाइप, कपड़े रंगाई, कपड़े की प्रिंटिंग, अखबार छपाई, डिटर्जेंट पाउडर, बर्फ सिल्ली, ट्रांसफाॅर्मर, तेल, चावल, कार्ड बोर्ड, चूड़ा, प्लास्टिक ग्लास आदि चीजें तैयार की यूनिट चल रही है.