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नीचुए में लेटा दीजिए, पर जल्दी भरती कर लीजिए

भागलपुर: चाट खाने से एक मां भी बीमार पड़ी थी. मां को होश नहीं था. बेसुध पड़ी हुई. उसके बगल में लेटा छह महीने का उसका बच्चा. चुप होने का नाम नहीं ले रहा था. परिजन बस इतना ही कहे जा रहे थे…नीचुए में लेटा दीजिए, लेकिन जल्दी भरती कर लीजिए डाकटर साहब. परिजनों की […]

भागलपुर: चाट खाने से एक मां भी बीमार पड़ी थी. मां को होश नहीं था. बेसुध पड़ी हुई. उसके बगल में लेटा छह महीने का उसका बच्चा. चुप होने का नाम नहीं ले रहा था. परिजन बस इतना ही कहे जा रहे थे…नीचुए में लेटा दीजिए, लेकिन जल्दी भरती कर लीजिए डाकटर साहब. परिजनों की चिंता इस बात को लेकर भी थी कि मां अधिक बीमार पड़ गयी, तो उस नन्हे को कैसे संभालेंगे. गांव से आये एक व्यक्ति भुनभुनाते हुए बोले…गोद में इतना छोटा बच्चा है…फिर भी कोनो चिंता नहीं…एक दिन चाट नहिएं खाती तो क्या बिगड़ जाता…अब भुगतो. दूसरी ओर अचानक पहुंचे 73 मरीजों से पूरा मायागंज अस्पताल ओवर फ्लो दिखने लगा था. यह इस बात का संकेत भी दे रहा था कि मायागंज अस्पताल को काफी अतिरिक्त कमरे और बेड की जरूरत है.

यह इस ओर भी इशारा कर रहा था कि इससे बड़ी घटना हो जाये, तब अस्पताल क्या करेगा. यह महसूस होने लगा था कि अब अगर मरीज पहुंचा, तो उसे जगह नहीं मिल पायेगी. अापातकालीन वार्ड का शिशु वार्ड पूरा फुल हो गया था. बरामदे पर फर्श पर बिछे गद्दे पर मरीज अटे हुए थे. लोगों को देख-देख कर चलना पड़ रहा था. कहीं किसी मरीज का पैर या हाथ न दबा जाये. इसके बाद भी बड़ी संख्या में मरीज पहुंचने लगे, तो उसे शिशु रोग विभाग में भरती कराया गया.

रात करीब 11.15 बजे पहुंचे एक एंबुलेंस से उतरे 10 मरीजों को शिशु रोग विभाग में कर्मियों ने भरती करने से मना कर दिया. गनीमत थी कि सदर एसडीओ कुमार अनुज वहां पहुंच गये और मरीज के साथ एक अटेंडेंट के रहने की ताकीद परिजनों को करते हुए भरती कराने में मदद की. अस्पताल प्रशासन मुस्तैदी के साथ बच्चों के इलाज में लगा था.

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