एमसीआइ टीम ने जेएलएनएमसीएच का किया औचक निरीक्षण

एमसीआइ टीम ने जेएलएनएमसीएच का किया औचक निरीक्षण फोटो- आशुतोष कुमार- एमसीआइ की टीम दो ग्रुप बनाकर सुबह नौ बजे ही पहुंची थी मेडिकल अस्पताल और काॅलेज परिसर- टीम ने चार घंटे तक सभी विभागों का किया निरीक्षण और प्रत्येक वार्ड का मोबाइल से फोटो भी खींचा – अस्पताल व कॉलेज दोनों जगहों पर ड्यूटी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 23, 2015 8:38 PM

एमसीआइ टीम ने जेएलएनएमसीएच का किया औचक निरीक्षण फोटो- आशुतोष कुमार- एमसीआइ की टीम दो ग्रुप बनाकर सुबह नौ बजे ही पहुंची थी मेडिकल अस्पताल और काॅलेज परिसर- टीम ने चार घंटे तक सभी विभागों का किया निरीक्षण और प्रत्येक वार्ड का मोबाइल से फोटो भी खींचा – अस्पताल व कॉलेज दोनों जगहों पर ड्यूटी पर तैनात सभी डॉक्टरों व नर्सों से हस्ताक्षर करवा ली हाजिरी – जितने डॉक्टर सुबह में ड्यूटी पर थे उन सभी से शाम में डिक्लेरेशन फार्म भी भरवाया – एमसीआइ की तीन सदस्यीय टीम में डॉ एसके मुखर्जी, डॉ ऋतुराज व डॉ कावेरी थीं शामिल टीम आज भी मेडिकल काॅलेज का करेगी निरीक्षणसंवाददाता, भागलपुर भारतीय चिकित्सा परिषद यानी एमसीआइ की तीन सदस्यीय टीम ने सोमवार को जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल और मेडिकल कॉलेज का आैचक व सघन निरीक्षण किया. तीन सदस्यीय टीम में कोलकाता के सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ एसके मुखर्जी, गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज के डॉ ऋतुराज व कोलकाता की बांगुड़ा मेडिकल कॉलेज की डॉ कावेरी शामिल थे. टीम दो ग्रुप में सुबह नौ बजे ही जेएलएनएमसीएच और मेडिकल काॅलेज परिसर पहुंच गयी. अस्पताल का निरीक्षण करने गयी टीम ने अधीक्षक कार्यालय में ड्यूटी पर तैनात सभी डॉक्टरों व नर्सों से हस्ताक्षर कराया और शाम में सभी को अपने वारे में सेल्फ डिक्लेयरेशन देने का भी निर्देश दिया. इसी प्रकार दूसरा ग्रुप मेडिकल कॉलेज नौलखा में प्राचार्य कार्यालय में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों व अन्य स्टाफ से हस्ताक्षर लिया और सभी को अपने वारे में सेल्फ डिक्लेयरेशन देने काे कहा. नौलखा मेडिकल कॉलेज परिसर देर शाम सभी डॉक्टर अपने-अपने सेल्फ डिक्लेयरेशन देते नजर आये. अस्पताल का कहां-कहां किया निरीक्षणजेएलएनएमसीएच में टीम के डॉ शैवाल कुमार मुखर्जी ने आउटडोर व इंडाेर विभाग के अलावा आइसीयू, इमरजेंसी वार्ड और ऑडिटोरियम का निरीक्षण किया. टीम सबसे पहले इंडोर विभाग के पैथोलॉजी विभाग पहुंची और प्रभारी से रजिस्टर्ड मांगकर किये गये कार्यों का अवलोकन किया. इसके बाद हड्डी विभाग, मेडिसीन विभाग, शिशु रोग विभाग, सर्जरी विभाग, आइसीयू विभाग, इमरजेंसी वार्ड का निरीक्षण किया. सभी जगहों पर बेड की संख्या और इलाज करा रहे मरीजों की जानकारी ली. इसके बाद टीम रेडियोलॉजी विभाग गयी और सीटी स्कैन, एक्स-रे मशीन व ओटी टेबुल की जानकारी ली. बाद में आउटडोर विभाग जाकर सभी डिपार्टमेंट का निरीक्षण किया. टीम को बताया गया कि सोमवार को आउटडोर में कुल 1300 मरीजों का पंजीकरण किया गया. बता दें कि निरीक्षण के दौरान टीम के साथ अस्पताल अधीक्षक डॉ आरसी मंडल और अस्पताल मैनेजर चंद्रकांता मौजूद थीं. इसके अलावा दूसरी टीम साथ-साथ नौलखा स्थित मेडिकल काॅलेज के सभी विभागों, मेडिकल लाइब्रेरी और पोर्स्टमार्टम हाउस का भी निरीक्षण किया. टीम के साथ प्राचार्य डॉ अर्जुन कुमार सिंह मौजूद थे. पिछले निरीक्षण में जो-जो कमियां थी उसका लिया अपडेट मेडिकल असपताल के अधीक्षक डॉ आरसी मंडल और कॉलेज के प्राचार्य डॉ अर्जुन कुमार सिंह ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस पढ़ाई के लिए 50 से बढ़ाकर 100 सीट की गयी है. 100 सीटों के हिसाब से कॉलेज में डॉक्टर व सुविधाएं कितनी है, टीम ने इसकी जानकारी ली. इसके अलावा पिछली बार टीम ने निरीक्षण के दौरान जो-जो कमियां बतायी थी, उसपर कितना काम किया गया है, उस बारे में भी अपडेट लिया गया. मालूम हो कि एमबीबीएस के लिए नामांकन सीट बढ़ाेतरी किये जाने के बाद पांच साल तक एमसीआइ की टीम निरीक्षण करती है. एमसीआइ टीम की रिपोर्ट महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इनकी रिपोर्ट पर मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का दर्जा आगे स्थायी की जाती है. अगर रिपोर्ट में मानक के अनुसार सुविधा नहीं प्रदान की जा रही है तो मेडिकल कॉलेज व अस्पताल का दर्जा रद्द भी हाे सकता है. बॉक्स में ……………..शॉपिंग मॉल की तरह चकाचक कर रहा था इमरजेंसी वार्डअस्त-व्यस्त सेवा व गंदगी पटा रहने वाला जेएमएनएमसीएच का इमरजेंसी वार्ड रातों-रात चकाचक बना दिया गया. अस्पताल प्रशासन को जब रात में पता चला कि एमसीआइ की टीम भागलपुर पहुंच गयी है, तो इमरजेंसी वार्ड, आइसीयू वार्ड, इंडोर विभाग के सभी वार्ड समेत आउट डोर के सभी वार्डों की सफाई की गयी. आसपास से दुर्गंध नहीं हो, इसके लिए पूरे अस्पताल में ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया. सभी बेड की साफ-सफाई के साथ-साथ सभी बेड पर नयी चादर बिछा दी गयी थी. एक भी मरीज का इलाज फर्श पर नहीं हो रहा था. डॉक्टर से लेकर नर्स व अन्य स्टाफ भी अपने-अपने ड्रेस में दिखे.

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