दिन भर नहीं मिले साहब, डटे रहे शक्षिक
दिन भर नहीं मिले साहब, डटे रहे शिक्षक-प्रोन्नति मामले में विभाग का पक्ष जानने के लिए सोमवार की शाम में करीब तीन घंटे तक डीइओ कार्यालय में डटे रहे शिक्षकसंवाददाता, भागलपुरकरीब 250 शिक्षकों को प्रोन्नति से वंचित रखने के निर्णय के बाद डीइओ की ओर से शिक्षकों को आश्वासन मिला कि प्रोन्नति समिति की एक […]
दिन भर नहीं मिले साहब, डटे रहे शिक्षक-प्रोन्नति मामले में विभाग का पक्ष जानने के लिए सोमवार की शाम में करीब तीन घंटे तक डीइओ कार्यालय में डटे रहे शिक्षकसंवाददाता, भागलपुरकरीब 250 शिक्षकों को प्रोन्नति से वंचित रखने के निर्णय के बाद डीइओ की ओर से शिक्षकों को आश्वासन मिला कि प्रोन्नति समिति की एक बार पुन: बैठक की जायेगी, जिसकी तिथि जल्द ही तय कर ली जायेगी. प्रोन्नति समिति की बैठक की तिथि जानने के लिए सोमवार को बिहार प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ दिन भर डीइओ कार्यालय पर डीइओ व डीपीओ का इंतजार करते रहें, लेकिन वे नहीं मिले. आक्रोशित शिक्षक सोमवार की शाम करीब चार बजे डीइओ कार्यालय पहुंचे और कार्यालय पर डीइओ का इंतजार करने लगे. तीन घंटे इंतजार करने के बाद जब डीइओ नहीं पहुंचे, तो शिक्षक वापस हो गये. इस दौरान सुमन कुमारी, मो गौस रब्बानी, अनोज कुमार रजक, प्रवीण कुमार, नीलिमा कुमारी झा, परमानंद चौधरी, ब्रह्मदेव रविदास, नीलेंद्र कापरी, अजित पाल, राजन कुमार, मनोज कुमार, विद्यार्थी आेम प्रभाष, मनाेज कुमार साह, दिलीप कुमार, चक्रधर मंडल व सुबोध कुमार आदि मौजूद थे. तीन मांगों को पूरा करने की मांगशिक्षकों ने डीइओ से 31 दिसंबर 2013 को आधार वर्ष मानते हुए प्रोन्नति देने की मांग की. 31 दिसंबर 2012 को स्नातक वेतनमान में प्रोन्नति प्राप्त शिक्षक जिन्होंने 14 जनवरी 2013 या उसके बाद विद्यालय में ज्वाइन किया और उनकी योग्यता स्नातकोत्तर की हो, उन्हें भी प्रोन्नति प्रक्रिया में शामिल किया जाये. प्रात:कालीन सत्र में विभागीय अनुमति प्राप्त कर योग्यता विस्तार करने वाले शिक्षकों को वरीयता सूची में शामिल कर उन्हें प्रोन्नति दी जाये. शिक्षक नेताओं ने दी चेतावनीबिहार प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ शेखर कुमार गुप्ता ने कहा कि अगर प्रोन्नति समिति की बैठक की तिथि तय नहीं की गयी, तो 26 को आंदोलन होगा. संगठन के उपाध्यक्ष प्रदीप रविदास ने कहा कि कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर शिक्षाधिकारी द्वारा 250 शिक्षकों को उनके हक से वंचित किया जा रहा है.